गौतम बुद्ध नगर जिला दीवानी एवं फौजदारी न्यायालय और दो अध्यक्षों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्तियों के मायने
Meaning of press releases issued by Gautam Buddha Nagar District Civil and Criminal Court and two chairpersons

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर जिला दीवानी एवं फौजदारी न्यायालय में अधिवक्ता संदीप भाटी के साथ न्यायालय परिसर में हुई मारपीट की घटना के बाद परिस्थितियां तेजी से बदल रही है। एक दिशा में चल रही जिला दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन घटना के बाद दो विपरीत दिशाओं में जाती हुई दिख रही है। इस प्रकरण के बाद गौतम बुद्ध नगर जिला न्यायालय में दो अध्यक्ष अस्तित्व में हैं। इसकी पुष्टि बुधवार को कार्यवाहक अध्यक्ष संदीप भाटी एवं बार एसोसिएशन के अध्यक्ष परमिंदर भाटी द्वारा अलग अलग जारी प्रेस विज्ञप्तियों से भी हो रही है।
बता दें कि अधिवक्ता संदीप भाटी के साथ दो दिन पूर्व न्यायालय परिसर में दो दर्जन लोगों ने मारपीट की घटना को अंजाम दिया था। घटना के विरोध में बार एसोसिएशन की आम सभा की आपातकालीन बैठक बुलाकर कार्यकारिणी को भंग कर आगामी बार एसोसिएशन के चुनाव तक संदीप भाटी को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। बाद में घटना के लिए बार एसोसिएशन अध्यक्ष परमिंदर भाटी एवं उनके चार सहयोगियों के खिलाफ नामजद मुकदा दर्ज कराया गया। वहीं, अधिवक्ता कृष्ण कुमार ने संदीप भाटी एवं अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
कार्यवाहक बार एसोसिएशन अध्यक्ष संदीप भाटी की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि दो दिन पूर्व जिस तरह से न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं की सभा के दौरान अधिवक्ता पर हमला किया गया। पिस्टल लहराकर जान से मारने की धमकी दी गई। यह न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था के लिए बेहद गंभीर मामला है। भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कड़ी कार्रवाई आवश्यक है। इस संबंध में जिला न्यायधीश से मुलाकात कर पिस्टल बरामदी के लिए कहा गया। यदि रविवार शाम तक पुलिस घटना में प्रयुक्त पिस्टल को बरामद नहीं करती है तो 16 जून को बड़ी संख्या में अधिवक्ता पुलिस कमिश्नर का घेराव किया जाएगा। परमिंदर भाटी गुट काफी आक्रामक दिख रहा है। वहीं, इसप्रकरण के बाद आम अधिवक्ता के मन में भी गुस्से का भाव प्रतीत हो रहा है।इस मौके पर सैकड़ों अधिवक्ताओं के उपस्थित होने का दावा किया गया है।
वहीं, बार एसोसिएशन अध्यक्ष परमिंदर भाटी ने भी एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। उन्होंने बताया कि बार एसोसिएशन के सभागार में राजेश पायलट की पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वंंय परमिंदर भाटी ने और संचालन अजीत नागर द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों अधिवक्ताओं के उपस्थित होने का दावा किया गया है। भले ही इस कार्यक्रम का आयोजन प्रथम दृष्टया सामान्य प्रतीत हो रहा हो, जिला न्यायालय में अधिवक्ता के साथ हुई मारपीट की घटना के बाद इसमें बड़ा संदेश छिपा है। इस कार्यक्रम को परमिंदर भाटी एवं उनके समर्थकों की ओर से वर्तमान परिस्थितियों में शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। कार्यक्रम के माध्यम से परमिंदर भाटी एवं उनके समर्थकों की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया है कि वह ही बार एसोसिएशन के एक मात्र अध्यक्ष हैं।
इस सबके बावजूद ऊपर तौर पर दो फाड़ होती दिख रही बार एसोसिएशन को लेकर कुछ मूल सवाल भी पैदा होते हैं। क्या नई बार एसोसिएशन के गठन ( बार एसोसिएशन का चुनाव संभवत: दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में होता है) से पूर्व शेष समय के लिए दो अध्यक्ष कार्यरत रहेंगे ? अहम मौकों पर बार एसोसिएशन अध्यक्ष के कर्तव्यों का निर्वहन कौन करेगा, संदीप भाटी या परमिंदर भाटी ? क्या जिला न्यायालय परिसर एक बार फिर दो अध्यक्षों के बीच टकराव का गवाह बनेगा ?
क्या संदीप भाटी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए जाना बार एसोसिएशन के अध्यक्ष परमिंदर भाटी एवं उनकी कार्यकारिणी के खिलाफ अप्रस्ताव माना जाए ? यदि ऐसा नहीं है तो फिर फिर इससे क्या लाभ होने वाला है ? यदि ऐसा है तो क्या अप्रस्ताव लाने से पूर्व तय प्रक्रिया का पालन किया गया है ? सबसे बड़ा सवाल तो यह उठता है कि जिस तरह से गौतम बुद्ध नगर बार एसोसिएशन में पिछले कुछ सालों से माहौल बन गया है, ऐसे में बार एसोसिएशन अपने दायित्वों का सही से निर्वहन कर पा रही है ?
यदि इसका उत्तर नहीं में है तो क्या यह बार एसोसिएशन की भूमिका पर बड़ा सवालिया निशान नहीं लगा रहा है ? कुल मिलाकर गौतम बुद्ध नगर जिला न्यायालय में घट रही नकारात्मक घटनाओं से जिला न्यायालय और बार एसोसिएशन, दोनों की साख पर बट्टा लग रहा है। यह एक विचारणीय प्रश्न है कि जिस वकालत को देश के प्रतिष्ठित पेशों में गिना जाता है, गौतम बुद्ध नगर में उस पेशे की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं। देश के सबसे संपन्न और संसाधनयुक्त जिलों में गौतम बुद्ध नगर की गिनती होती है। ऐसे में होना यह चाहिए था कि गौतम बुद्ध नगर जिला बार एसोसिएशन द्वारा अधिवक्ता हित में ऐसे काम किए जाने चाहिए थे जो देश में एक मिसाल बन जाएं। दुर्भाग्य से ऐसा होता हुआ दिख नहीं रहा है।