गांव के युवाओं ने पेश की मिसाल : भूभलिया परिवार को आ रही थी समस्या, गांव ने मिलकर कराई बेटियों की शादी
The youth of the village set an example: Bhubhalia family was facing problems, the village together got the daughters married
डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 : आज की चकाचौंध का सबसे अधिक प्रभाव युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। चमकधमक भरा जीवन जीने के चक्कर में युवा वर्ग अपराध के रास्ते पर पैर रख रहा है। नशा और असामाजिक गतिविधियों में भी इसी वर्ग की सबसे अधिक संलिप्तता पाई जा रही है। वहीं, इस बीच चिटैहरा गांव में युवा वर्ग ने मानवता की मिसाल पेश की है। गांव में पिछले एक दशक से रह रहे एक भूभलिया परिवार की दो बेटियों की शादी का जिम्मा न केवल अपने ऊपर लिया बल्कि शाादी की सारी व्यवस्था को बनाया। भूभलिया परिवार जैसा चाहता था वैसे ही दोनों बेटियों की शादी सम्पन्न कराई। युवा वर्ग की इस पहल को गांव ने भी भरपूर सहयोग दिया।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, चिटेहरा गांव में पिछले एक दशक से कुछ भूभलिया अस्थाई तौर पर डेरा डालकर रह रहे हैं। यह परिवार लोगों की दैनिक आवश्यकता की चीजे बनाकर गांव में बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। इनमें से एक राजेन्द्र सिंह भूभलिया का भी परिवार हैं। राजेन्द्र सिंह की दो बेटिया पलक और मुस्कान विवाह योग्य हो गई। पिता राजेन्द्र को दोनों बेटियों की शादी की चिंता सताने लगी, लेकिन माली हालत बेटियों की शादी में आड़े आ रही थी। इस बीच राजेन्द्र ने सारी बात ईश्वर भरोसे छोड़कर दोनों बेटियों की शादी मेरठ निवासी कलुआ के बेटो सुमित और कर्ण के साथ तय कर दी। धीरे धीरे शादी का दिन करीब आ गया। राजेन्द्र सिंह ने गांव के कुछ युवाओं से अपनी परेशानी साझा की। युवाओं ने मानवीय हाथ बढ़ाते हुए राजेन्द्र सिंह को हर मदद का भरोसा दिया। इतना ही नहीं युवाओं ने राजेन्द्र सिंह ने बेटियों की शादी के बारे में उनकी इच्छा भी पता की। उसके अनुसार ही युवाओं ने शादी की सारी व्यवस्था की। गांव के हनुमान मन्दिर और आसपास बाकायदार टेंट लगाया गया। डीजे बजा, खाने की उच्च दर्जे की दावत की भी व्यवस्था की गई। इतना ही नहीं इस सारी व्यवस्था की देख रेख भी युवाओं ने अपने हाथ में ली। दोनों बेटियों के लिए क्षमता अनुसार दहेज की भी व्यवस्था की । दोनों बेटियों की बारात गांव पहुंची। बाकायदा परम्परागत तरीके से बारात की चढ़त भी हुई। वीरवार सुबह दोनों बेटियों की खुशी खुशी डोली उठाई गई और बारात विदाई की रस्म पूरी हुई। ग्रामीणों के इस व्यवहार से जहां दोनों बेटियों के पिता और उनका परिवार खुश है। वहीं, बारात के लिए की गई व्यवस्था को देखकर दूल्हा पक्ष भी अभिभूत है।
कैसे शुरू हुई मुहिम ?
दरअसल, यह मुहिम गांव के एक सोशल मीडिया ग्रुप से शुरू हुई। गांव के कुछ युवाओं ने ‘युवा वर्ग बड़ा मोहल्ला’ के नाम से एक वॉटसअप ग्रुप बनाया हुआ है। राजेन्द्र सिंह ने इस ग्रुप के सदस्यों को अपनी परेशानी बताई। बाद में इस ग्रुप से जुड़े कुछ लोगों ने इस पर विचार किया और राजेन्द्र सिंह की मदद का निर्णय किया। युवाओं के इस निर्णय का ग्रामीणों ने भरपूर सहयोग किया। संदीप भाटी, जोगेन्द्र भाटी, धम्पी सिंह, अंकित अधाना, वीरेन्द्र भाटी (कालूराम) और सोविन्द्र भाटी सहित तमाम युवाओं ने गांव के हर मोहल्ले के लोगों को इस बारे में बताया और मदद की बात कही।
कौन है भूभलिया ?
राजेन्द्र सिंह भूभलियां ने बताया कि वह मूलरूप से राजस्थान के चित्तौौड़ के रहने वाले हैं। उनके पुरखे महाराणा प्रताप के साथ कंधा से कंधा मिलाकर युद्ध लड़े थे। वह महाराणा प्रताप की सेना के लिए हथियार बनाते थे। महाराणा प्रताप के चित्तौड़ छोड़ना पड़ा तो अपने राजा के साथ उन्होंने भी चित्तौड़ त्यागने का संकल्प लिया था। इसके बाद उनके परिवार कभी चित्तौड़ नहीं लौटे। इन्हें भूभलिया, धुधलिया और बागडि़या लोहार भी कहा जाता है।