नोएडा जोन

चमत्‍कार है गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट का आईजीआरएस पोर्टल पर अन्तिम से प्रथम पायदान तक का सफर ?

Is the journey of Gautam Buddha Nagar Police Commissionerate from last to first position on IGRS portal a miracle?

डॉ देवेन्‍द्र कुमार शर्मा 

Panchayat 24 : साल 2024 में प्रदर्शन के आधार पर गौतम बुद्ध नगर पुलिस अव्‍वल रही है। प्रयास होना चाहिए कि आप न केवल कमिश्नरेट स्‍तर पर अव्‍वल आए, आपके थाने भी प्रदेश में किसी न किसी न किसी रैंक पर अवश्‍य आएं। प्रथम आना महत्‍वपूर्ण नहीं है। यदि आप पहले दस स्‍थानों पर भी आते हो तो पता चलता है कि आप अपने दायित्‍वों का अच्‍छे से निर्वहन कर रहे हैं। यही स्‍प्रीट मैंने गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट को दी है। यदि आप ठान ले तो कोई भी चुनौती मुश्किल नहीं है। हर असंभव को संभव किया जा सकता है। यह बातें गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नर लक्ष्‍मी सिंह ने तीन थानों, एक्‍सप्रेस-वे, बादलपुर और नॉलेज पार्क के आईएसओ 9001:2015 के प्रमाणन के अवसर पर सेक्‍टर 108 स्थित अपने कार्यालय के सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं।

उन्‍होंने बताया कि जब मैं यहां आई थी तो महिला संबंधी अपराधों में आईजीआरएस पोर्टल पर गौतम बुद्ध नगर लगातार डिफाल्‍डर प्रदर्शित किया जा रहा था। पिछले दो सालों से हम बिना किसी डिफाल्‍ट के अव्‍वल आ रहे हैं। यह बताता है कि न केवल महिला अपराधों के मामले में गिरफ्तारियां हो रही है, विवेचनाओं का समय पर निस्‍तारण भी हो रहा है। केन्‍द्रीय गृह मंत्रालय ने भी गौतम बुद्ध नगर पुलिस की सराहना की है। लक्ष्‍मी सिंह द्वारा कही गई बातों के बाद कुछ सवाल पैदा होते हैं। गौतम बुद्ध नगर में अपराध बेकाबू थे ? क्‍या वाकई में गौतम बुद्ध नगर पुलिस का प्रदर्शन कुछ साल पूर्व तक निम्‍न स्‍तरीय था ? क्‍या गौतम बुद्ध नगर पुलिस का मनोबल कमजोर था ?  क्‍या गौतम बुद्ध नगर पुलिस के प्रदर्शन में आया बदलाव कोई चमत्‍कार है ? इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए अतीत के पन्‍नों को पलटा जरूरी है।

दरअसल, जिला गौतम बुद्ध नगर गाजियाबाद और बुलन्‍दशहर के हिस्‍सों  को काटकर 9 जून 1997 को बनाया गया था। विकास के साथ अपराध भी यहां खूब फला फूला है। उत्‍तर प्रदेश की बदलती सत्‍ता का रंग भी गौतम बुद्ध नगर पुलिस के चेहरे पर दिखाई देता रहा है। साल 2004 में तत्‍कालीन जिला पंचायत अध्‍यक्ष नरेश भाटी की हत्‍या के बाद  सुन्‍दर भाटी, अनिल दुजाना और रणदीप भाटी जैसे संगठित अपराधिक गिरोह का जन्‍म हुआ। जिले में तेजी से बढ़े औद्योगिक और नगरीय विकास ने इन गिरोहों के बीच व्‍यवसायिक प्रतिस्‍पर्धा को बढ़ा दिया। कंपनियों के ट्रांसपोर्ट कारोबार, ठेकेदारी, वसूली, स्‍क्रैप और सरिया के अवैध कारोबार को लेकर इन गिरोहों से जुड़े लोगों के बीच हिंसक झडपें होने लगी। आगे चलकर यह हिंसा इन कुख्‍यात गिरोहों के बीच सीधे टकराव का कारण बन गई। कई लोगों की हत्‍यांए भी हुई। तेजी से बढ़ते अपराध का सबसे बुरा प्रभाव युवा और नाबालिगों पर पड़ा। अपराधी इनके रॉल मॉडल बन गए। कई बड़े अपरधों को इन्‍होंने अंजाम दिया। गली मोहल्‍लों से लेकर दिन दहाड़े बीच सड़क पर अपराधिक वारदातों को अंजाम दिया जाना आम बात हो गई थी। पुलिस का रूतबा जिले में कमजोर पड़ता दिखने लगा था।

हालांकि कई अधिकारियों ने अपराध पर लगाम लगाने का प्रयास जरूर किया लेकिन वांछित परिणाम नहीं मिले। रंगदारी, अवैध वसूली और सम्‍पत्ति पर कब्‍जा करना जैसे अपराध एक उद्योग बन गए थे। निवेशक एवं व्‍यापारी नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा, दादरी और दनकौर से पलायन करने लगे थे। कई कारोबारी नेताओं की हत्‍याएं भी हुई। गौतम बुद्ध नगर में एसटीएफ यूनिट और गौतम बुद्ध नगर को पुलिस कमिश्नरेट में तब्‍दील किया जाना भी इस बात को दर्शाता है कि एक समय यहां अपराध अपने चरम पर पहुंच गया था। 13 जनवरी 2020 को सरकार ने गौतम बुद्ध नगर को पुलिस कमिश्नरेट बनाने का निर्णय लिया। पुरानी कहावत है कि टीम का प्रदर्शन कप्‍तान के नेतृत्‍व पर निर्भर करता है। आलोक सिंह को गौतम बुद्ध नगर का पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया। पुलिस कमिश्नर के रूप में आलोक सिंह ने अपराधियों पर कार्रवाई को तेज किया। गौतम बुद्ध नगर पुलिस को कमिश्नरेट के स्‍वरूप में ढाला। पुलिस कमिश्नरेट बनने के बावजूद अभी तक पर्याप्‍त संधानों का अभाव ही था। फिर भी उन्‍होंने अपराधियों से सख्‍ती से निटपटने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया। उनके कार्यकाल में कुछ जातीय विवाद भी हुए। एक प्रकरण के छीटे उनके दामन तक भी पहुंचे।

28 नवंबर 2022 को लक्ष्‍मी सिंह को गौतम बुद्ध नगर का पुलिस कमिश्नर बनाया गया। शुरूआती दौर में उनका नेतृत्‍व बहुत सामान्‍य प्रतीत हुआ। जानकारों का मानना था कि जिले की महिला पुलिस कमिश्नर व्‍यवस्‍था को धीरे धीरे समझ रही है। यह बातें उस समय सही प्रतीत हुई जब पुलिस विभाग से खबरें छनकर बाहर आने लगी कि लक्ष्‍मी सिंह के इर्द-गिर्द बने हुए लोग उनकी योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं। धीरे-धीरे उनका अपराध और अपराधियों के प्रति नजरिया साफ होने लगा। परिणामस्‍वरूप गौतम बुद्ध नगर में संगठित अपराध पर अभी तक की सबसे कठोर चोट हुई। जिले के प्रमुख संगठित गिरोह सुन्‍दर भाटी और अनिल दुजाना गिरोह की कमर टूट चुकी है। संगठित अपराध अभी तक के निम्‍न स्‍तर पर है। स्‍क्रैप माफिया रवि काना गिरोह का काला साम्राज्‍य छिन्‍न भिन्‍न हो चुका है। रवि काना को विदेश से डिपोट कराकर लक्ष्‍मी सिंह ने एक नजीर पेश की है। पुलिस पब्लिक रिलेशन भी बेहतर दौर में हैं। हालांकि थाना स्‍तर पर अभी भी सुधार की गुंजाइश है। उत्‍तर प्रदेश में लगातार अव्‍वल स्‍थान प्राप्‍त करना बताता है कि गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट पुलिस की कार्यशैली में तेजी से बदलाव आया है। इसका श्रेय पुलिस कमिश्नर लक्ष्‍मी सिंह के मूलमंत्र, ” यदि ठान लिया जाए तो कोई भी चुनौती मुश्किल नहीं है।”, को जाता है।

Related Articles

Back to top button