साजिश : पुलिसवाला पुलिस को चकमा देने में खा गया चकमा, साजिश का फिल्मी स्टाइल में पुलिस ने किया ‘The end’
Conspiracy: The policeman got fooled while trying to deceive the police, the police put an end to the conspiracy in a filmy style

Panchayat 24 : अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो, उसका पुलिस के हाथों से बच पाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन जब अपराधी एक पुलिसवाला हो तो वह पुलिस के सामने बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है। कारण स्पष्ट है कि अपराधी पुलिसवाला अपराध को करते समय एक पुलिस के नजरिए से सोचता है। यदि वह अपराध को योजनाबद्ध तरीके से करे तो वह उन सभी रास्तों को बंद करने का प्रयास करता है जिनसे होकर पुलिस उसके गुनाह तक पहुंच सके। इस तरह की क्राइम स्टोरी पर फिल्में बन चुकी है। ऐसा ही एक प्रकरण ग्रेटर नोएडा में भी सामने आया है। इस प्रकरण में अपराधी एक निलंबित पुलिसवाला है जिसने एक कारोबारी की हत्या करने की साजिश से लेकर हत्या करना और शव को ठिकाने लगने तथा सबूतों को मिटाने के लिए बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से काम किया। उसकी अपराधिक शैली से पता चलता है कि जिस तरह से उसने अपराध को अंजाम दिया, वह पुलिस के तौर तरीकों से वाकिफ था। उसने न केवल मतक के परिजनों और दोस्तों को गुमराह करने का प्रयास किया, बल्कि पुलिस को भी भ्रम में डालने के लिए पूरी तैयारी कर ली थी। इसके लिए सीसीटीवी कैमरों से बचना, पुलिस जांच में खुद की लॉकेशन अपने मनमाफिक स्थान पर दिखाने, हत्या कर शव को ठिकाने लगाने की पूर्व तैयारी और सबूत मिटाने के प्रयास फिल्मी अंदाज में किए गए। अपराध को अंजाम देने से पूर्व उसकी योजना और साजिश की जानकारी के बाद कहा जा रहा है कि उसने बॉलीवुड की हिन्दी फिल्म दृश्यम को देखकर पूरी वारदात को अंजाम दिया है। हालांकि पुलिस ने 13 दिनों की जांच के बाद पूरे प्रकरण का खुलासा फिल्मी स्टाइल में साजिश का The end कर दिया।
क्या है पूरा मामला ?
ग्रेटर नोएडा जोन डीसीपी साद मिया खां ने बताया कि 9 अगस्त को सूचना मिली थी कि निवासी गोल्फ विस्टा अपार्टमेंट सेक्टर अल्फा-2 एक कारोबारी अंकुश शर्मा की गुमशुदगी की सूचना मिली थी। अंकित शर्मा रेलवे में ठेकेदारी करता था। पुलिस ने 13 दिनों तक मामले की जांच की। आसपास के कई सीसीटीवी फुटेज खंगाले। सर्विलांस और मुखबिर से मिली सूचनाओं को ध्यान में रखकर मामले में तजांच केा आगे बढ़ाया। 13 दिनों की जांच में पुलिस को पता चला कि आपसी लेनदेन में अंकुश की हत्या कर दी गई है। पुलिस ने 23 अगस्त देर रात हत्यारोपी प्रवीण को स्वाट टीम की मदद से एलजी गोलचक्कर के पास से गिरफ्तार कर लिया। उसके कब्जे से घटना में प्रयुक्त हथौड़ा और गाड़ी भी बरामद कर लिया। हत्यारोपी की निशानदेही पर पुलिस ने शव को भी बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। अंकुश शर्मा हत्याकांड़ का आरोपी प्रवीण एक दिल्ली पुलिस का निलंबित सिपाही है। वह साल 2004 में दिल्ली पुलिस में आरक्षी पद पर भर्ती हुआ था। वर्तमान में कई माह से निलंबित चल रहा है।
फ्लैट की खरीद फरोख्त से शुरू हुई कहानी
दरअसल, प्रवीण ने ब्रोकर संचित के माध्यम से एक फ्लैट खरीदने के लिए सम्पर्क किया। प्रवीण को ब्रोकर ने अंकुश शर्मा का सस्ता एवं अच्छा फ्लैट ईटा-2 में बेचने की बात कही। संचित ने दिनांक 20 फरवरी को प्रवीण की अंकुश के साथ मीटिंग करायी। मीटिंग के बाद दोनों के बीच फ्लेट की डील 1 करोड 18 लाख रूपये में तय हो गई। यह फ्लैट एस के एस हाऊसिंग में स्थित है। समझौते के अनुसार 88 लाख रूपये बैंक अकाउंट में और 30 लाख रूपये नकद देने तय हुए। प्रवीण ने अंकुश को टोकन मनी के रूप में 51 हजार रूपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। प्रवीण दो बार में क्रमश: दो लाख और पांच लाख रूपये भी बाद में अंकुश के खाते में ट्रांसफर कर दिए थे जिसके बाद दोनों ने एग्रीमेंट साइन कर दिया। दोनों ने 27 अप्रेल को टीएम प्रक्रिया शुरू हो गई। 10 मई को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से टीएम लेटर प्राप्त कर लिया गया।
अंकुश ने फ्लैट की रकम बढ़ा दी, प्रवीण फ्लैट की रकम चुकाने में असमर्थ था
इसके बाद अंकुश कनाडा चला गया जिसके कारण फ्लैट की रजिस्ट्री अटक गई। प्रवीण ने फ्लैट का सौदा तो कर लिया था लेकिन उसके पास रकम चुकाने के लिए पैसे नहीं थे। जुलाई के प्रथम सप्ताह में अंकुश कनाडा से भारत लौटा। इस दौरान उसने मैजिक ब्रिक्स पर अपने फ्लैट की कीमत लगवाई तो पता चला कि उसका फ्लैट 1 करोड़ 60 लाख रूपये का है। ऐसे में उसको लगा कि उसको प्रवीण को फ्लैट बेचने में हानि है। उसको और अधिक रूपये मिलने चाहिए। अंकुश ने प्रवीण से तय समझौते से 20 लाख रूपये की मांग कर दी। प्रवीण पहले ही फ्लैट की रकम चुकाने में असमर्थ था। ऐसे में 20 लाख अतिरिक्त रूपये चुकाना उसकी क्षमता से बाहर था। वहीं, टीएम की समय सीमा भी करीब आ रही थी जिससे उसकी परेशानी और बढ़ गई थी। 5 अगस्त को प्रवीण ब्रोकर संचित को लेकर अंकुश के कार्यालय पहुंचा। यहां तीनों की बातीचत हुई। बातचीत में प्रवीण अंकुश को 11 लाख रूपये देने को तैयार हो गया, लेकिन उसके रकम चुकाने का कोई स्रोत्र नहीं था।
समस्या के समाधान के लिए रची खतरनाक साजिश
आर्थिक परेशानी से जूझ रहे प्रवीण ने समस्या समाधान के लिए खतरनाक साजिश रची। प्रवीण ने अंकुश की हत्या करने की साजिश रच डाली। वह अंकुश की हत्या करके प्रकरण को गुमशुदगी दिखाना चाहता था। उसकी योजना था कि वह अंकुश की हत्या करके शव को कहीं छिपा दे जिससे पुलिस शव को बरामद न कर सके। ऐसे में पुलिस मामले को हत्या साबित नहीं कर सकेगी। मामला गुमशुदगी का होगा और उसका फ्लैट पर कब्जा भी हो जाएगा और अन्य रकम भी नहीं देनी पड़ेगी। उसने 9 अगस्त को अंकुश को 11 लाख रूपये देने के लिए उसके ही कार्यालय पर मुलाकात करने के लिए कहा। प्रवीण के कहने पर अंकुश ने उसको दोपहर 2 बजे सेक्टर अल्फा-2 स्थित सत्यम कॉम्प्लेक्स में अपने कार्यालय पर बुला लिया। प्रवीण 1:30 बजे ही अपनी क्रेटा कार की सीट के नीचे हथोड़ा छिपाकर अंकुश के कार्यालय के नीचे पहुंच गया। वहां से उसने अंकुश को फोन किया। अंकुश ने बताया कि वह 20 मिनट में पहुंचने वाला है।
प्रवीण ने लस्सी में नशे की गोली मिलाकर अंकुश को पिला दी
अंकुश से मुलाकात के बाद प्रवीण ने कहा कि आज वह उसकी रकम चुका देगा। इसके बाद प्रवीण ने अंकुश को अपनी कार में बिठा लिया और उसको लेकर चल दिया। रास्ते में कुछ खया पिया। प्रवीण ने लस्सी बनवाकर उसमें एलप्रैक्स गोली पीसकर मिला दी। यह लस्सी अंकुश को पीने के लिए दी। अंकुश को प्रवीण की साजिश पर शक नहीं हुआ और वह लस्सी को पी गया। दरअसल, पूर्व में भी कई बार प्रवीण ने अंकुश को लस्सी पिलाई थी जिससे उसको इस बार लस्सी में नशीला पदार्थ मिला होने का शक नहीं हुआ। इसके बाद प्रवीण अंकुश को अपने घर की ओर लेकर चल दिया। बीच रास्ते में जहां पर सीसीटीवी कैमरे की निगरानी नहीं थी, प्रवीण ने अंकुश को पीछे वाली सीट पर बैठने के लिए कहा। प्रवीण ने कहा कि फ्लैट की रकम बढ़ाने से उसकी पत्नी से नफरत करती है। अंकुश प्रवीण की बात को मान गया और कार की पीछे की सीट पर बैठ गया। प्रवीण कार को एसकेएस सोसायटी की पार्किंग में लेकर पहुंचा। तब तक अंकुश बेहोश हो गया। मौका पाकर प्रवीण ने अंकुश के सिर पर हथौड़े से प्रहार किया। इससे भारी खून बहने लगा जिससे उसकी मौत हो गई। बाद में प्रवीण ने अंकुश की हत्या को निश्चित करने के लिए गला दबा दिया। इस दौरान गाडी के हैड रैस्ट और पीछे मैट पर खून फैल गया था। योजना के अनुसार के प्रवीण ने गाडी बेसमेंट पार्किंग में खडी कर दी और पार्किंग में से गाडी निकालकर एलजी गोल चक्कर होते हुए शारदा गोल चक्कर की तरफ टी सीरीज कंपनी के पास के जंगल में झाडियों में ले जाकर अंकुश के शव को छिपा दिया था।
पुलिस, पीडित परिजनों और अंकुश के मित्रों को भ्रमित करने का प्लान बनाया
अंकुश की हत्या करने के बाद प्रवीण ने बड़ी चालाकी से अपने आचारण को सामान्य रखा। अन्य दिनों की तरह काम करता रहा और ग्रेटर नोएडा में आता जाता रहा। शव को ठिकाने के लिए उसने एलजी गोलचक्कर के पास टी सीरिज कंपनी के पास के जंगल में झाडि़यों में छिपा दिया। इसके बाद उसने पुलिस, अंकुश की पत्नी और अंकुश के मित्रों और वकील को भ्रमित करने के लिए उसके मोबाइल फोन से अंकित के फोन से ही व्हाट्सएप पर पैसे मिलने और डाक्यूमेंट तैयार कराने का मैसेज भेजा। खुद को भी एक मैसेज किया। जिससे पुलिस को शक न हो। घटना को गुमशुदगी दिखाने के लिए अगले दिन अंकित के फोन से ही उसके नौकर के फोन पर मैसेज किया कि उसको कारोबार में काफी नुकसान हो गया है। वह, कहीं जा रहा है। इससे यह लगता रहे कि अंकुश जिंदा है और कहीं चला गया है।
अपने पक्ष में सबूत बनाने के लिए पूरी योजना बनाई थी
इस पूरे प्रकरण में उसने पुलिस से बचने के लिए कई स्थानों पर खुद को सीसीटीवी कैमरों में कैद किया। पिछले एक सप्ताह से एक जैसी एक्टिविटी कर रहा था। खुद को अलग अलग कैमरों में कैप्चर कर रहा था। यहां तक कि पार्किंग में भी एक सप्ताह पूर्व ही रेकी करके ऐसी जगह को चुना जहां पर घटना को अंजाम दिया जा सके। इतना ही नहीं उसने शव को ठिकाने लगाने के लिए भी ग्रेटर नोएडा में सुरक्षित स्थान की तलाश कर रहा था। टी सीरिज के पास के जंगल में स्थान चुनने के बाद उसने झाडियों के पास कई दिनों तक लगातार लकड़ी एक कूडा करकट एकत्रित किया था। इतना ही नहीं, वहां पर अपनी लॉकेशन को जस्टिफाई करने के लिए पास में ही स्थित सीएन पम्प पर कई दिनों से जाना शुरू कर दिया था।
सबूत मिटाने के लिए गाड़ी को धुलवा दिया
अंकुश के सिर पर हथौड़े से प्रहार करने के दौरान कार कार में काफी खून फैल गया था। सबूत छिपाने के लिए प्रवीण ने कार को धुलवा दिया था। वह कार को धुलवाने के लिए जैतपुर में ही कार्सटाउन ले गया था। कार को धुलने वाले कर्मचारी ने कार में खून के बारे में पूछा तो प्रवीण ने बताया कि मेरे बेटे का एक्सीडेंट हो गया था। उसके सर में चोट लग गयी थी। उसको इसी कार से अस्पताल में भर्ती कराने के लिए लेकर गया था। इसी दौरान कार में खून लग गया था।