ग्रेटर नोएडा जोन

प्राधिकरण सख्‍त : गंगाजल पाइप लाइन परियोजना को लेकर बढ़ सकता है प्राधिकरण और किसानों के बीच टकराव

Authority strict: Conflict between authority and farmers may increase regarding Gangajal pipeline project

Panchayat24com : ग्रेटर नोएडावासियों की प्‍यास बुझाने के लिए अतिमहत्‍वाकांक्षी परियोजना को लेकर प्राधिकरण सख्‍त रूख अपनाता हुआ दिख रहा है। वहीं किसान अपनी मांगों को लेकर पल्‍ला गांव स्थित डब्‍ल्‍यूटी पर लगातार लम्‍बे समय से धरने पर बैठे हैं।  वहीं, प्राधिकरण की ओर से आवश्‍यकता पड़ने की स्थिति में मदद के लिए पुलिस को भी पत्र लिखा गया है। यदि दोनों पक्षों की ओर से बातचीत की संभावनाएं समाप्‍त हो जाती है तो किसान और प्राधिकरण के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।

क्‍या है पूरा मामला ?

दरअसल, ग्रेटर नोएडा में अपर गंगा कैनाल हापुड़ के जरिए 85 क्यूसेक गंगाजल लाने का प्रस्ताव सबसे पहले 2005 में बना। 2012 से 2014 के बीच इस परियोजना के तहत ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में जलापूर्ति नेटवर्क को तैयार कर लिया गया। 2017 के बाद देहरा से जैतपुर तक 23 किलोमीटर की पाइपलाइन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और देहरा में इंटेक (प्रारंभिरक ट्रीटमेंट प्लांट) के निर्माण के कार्य शुरू किया गया।

कई बार परियोजना में आई अड़चने

  • देहरा से 7.4 किलोमीटर की पाइप लाइन सिंचाई विभाग की जमीन पर की जानी थी। प्राधिकरण ने सिंचाई विभाग से अनुमति लेकर कार्य प्रारंभ किया। हापुड़ में वन विभाग ने यह कहते हुए काम रोक दिया गया कि यह जमीन वन विभाग की है। अन्य भाग पर प्राधिकरण ने सिंचाई विभाग की अनुमति के अनुसार 2018 तक काम पूरा कर लिया। उसके बाद पाइपलाइन को सात गांवों की जमीन से गुजरना था। ग्राम रानौली लतीफपुर में कुछ लोगों द्वारा परियोजना में अवरोध पैदा किया गया। इसके बाद प्राधिकरण ने अन्य विकल्प तलाशा और एनटीपीसी की जमीन से पाइपलाइन बिछाने का निर्णय लिया।
  • 2019 में एनटीपीसी से एनओसी लेकर काम शुरू कर दिया । पल्ला के पास दिल्ली-हावड़ा रेलवे लाइन के नीचे पाइपलाइन डालने के लिए भी प्राधिकरण को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। एक अन्य बाधा आईओसीएल व गेल की गैस पाइप लाइन बनी। प्राधिकरण ने कई दौर की वार्ता के बाद इसे सुलझा लिया।
  • ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के नीचे से पाइपलाइन को क्रॉस कराने में भी दिक्कत आई। एक्सप्रेसवे की सुरक्षा का हवाला देकर काम रुकवा दिया गया। प्राधिकरण ने इसके एवज में अनुमति शुल्क, प्रोसेसिंग फीस और बैंक गारंटी देकर एनओसी प्राप्त की और ट्रंचलेस विधि से काम करके पाइपलाइन को एक्सप्रेसवे पार कराया।

इस तरह तमाम बाधाओं को दूर करते हुए दिसंबर 2021 में गंगाजल पल्ला के डब्ल्यूटीपी तक पहुंच गया। उस समय ग्रेटर नोएडावासियों को उम्मीद हो गई कि अब उनके घरों तक गंगाजल शीघ्र पहुंच जाएगा। प्राधिकरण अधिकारियों के अनुसार इस बीच पल्ला में शरारती तत्वों के उकसाने पर कुछ लोग डब्ल्यूटीपी पर ही धरने पर बैठ गए, जबकि जमीन का यह विवाद दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से जुड़ा था, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की गंगाजल परियोजना को रोक दिया गया।

पल्ला से जैतपुर तक करीब पांच किलोमीटर पाइपलाइन व डब्ल्यूटीपी की कमिश्निंग का काम होना था। इसके बाद ग्रेटर नोएडावासियों को शीघ्र गंगाजल मिलने लगता। चंद लोगों के विरोध के चलते काम रुक गया। कुछ लोग अब भी धरने पर बैठे हुए हैं।

परियोजना में देरी पर केन्‍द्र और प्रदेश सरकार नाराज

परियोजना में देरी पर केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार ने भी नाराजगी जताई है। शासन ने इसे शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए पुलिस की मदद भी ली जा सकती है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ अदिति सिंह की तरफ से इसके लिए पुलिस आयुक्त को भी पत्र लिख दिया गया है। यदि धरनारत लोग बातचीत से जल्द न माने तो पुलिस की मदद से परियोजना को पूरा कराया जाएगा। ग्रेटर नोएडावासियों को शीघ्र गंगाजल उपलब्‍ध कराने का यह एकमात्र मार्ग होगा।

किसानों से विरोध वापस लेने की अपील

प्राधिकरण की एसीईओ अदिति सिंह ने लोगों से विरोध को वापस लेते हुए इस परियोजना को पूरा होने देने की अपील की है। गंगाजल परियोजना अधूरी होने के चलते एक तरफ ग्रेटर नोएडा की 8 लाख आबादी मीठे पानी से वंचित हैं। वहीं, प्राधिकरण के सीईओ और मेरठ मण्‍डलायुक्‍त सुरेन्‍द्र सिंह का कहना है कि गंगाजल परियोजना ग्रेटर नोएडा के सभी निवासियों के लिए बेहद अहम है। यह परियोजना ग्रेटर नोएडा के सेक्टरों व गांवों में रहने वाले सभी लोगों को इसका लाभ मिलेगा। यह परियोजना आगामी भविष्‍य में ग्रेटर नोएडा की लाइफलाइन बनेगी। आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी इससे सुरक्षित होगा। उन्‍होंने धरनारत किसानों से अपील की है कि वह परियोजना के महत्‍व को समझे और इसे पूरा होने दे। अन्‍यथा मजबूरन पुलिस की मदद लेनी पड़ेगी।

गंगाजल परियोजना की महत्वपूर्ण तिथियों पर एक नजर

  • 2005 में गंगाजल परियोजना का हुआ एलान
  • फरवरी 2019 में दिल्ली-हावड़ा रेलवे लाइन के नीचे काम करने की अनुमति
  • जुलाई 2019 में एनटीपीसी दादरी से मिली एनओसी
  • जून 2021 में वन विभाग ने दी काम करने की अनुमति
  • जुलाई 2021 में आईओसीएल से पाइप लाइन डालने की मिली अनुमति
  • अक्तूबर 2021 में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के नीचे से लाइन डालने की अनुमति
  • दिसंबर 2021 में पल्ला के डब्ल्यूटीपी तक पहुंचा गंगाजल
  • चंद लोगों के विरोध के चलते दिसंबर से अब तक काम अटका

 

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