दादरी विधानसभा

हिन्‍दी पत्रकारिता दिवस पर देश की राजधानी में पानी को लेकर मारामारी के दृश्‍य और प्रधानमंत्री के ध्‍यान का महायोग

On Hindi Journalism Day, the scenes of fighting over water in the country's capital and the Prime Minister's attention were a great coincidence

Panchayat 24 : आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है।197 वर्ष पहले आज की तिथि को कोलकाता से साप्ताहिक समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड के प्रकाशन से हिंदी पत्रकारिता अस्तित्व में आई थी।आज ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामेश्वरम में दो दिवसीय ध्यान शुरू किया है और आज ही मैंने देश की राजधानी दिल्ली में पानी के लिए लंबी लंबी कतारें लगी देखीं।

इन तीनों घटनाओं का क्या कोई अंतर्संबंध हो सकता है? प्रधानमंत्री मोदी के ध्यान में क्या है? देश की राजधानी में पानी की मारामारी क्यों है? हिंदी पत्रकारिता का वर्तमान कैसा है? इन तीनों प्रश्नों का क्या कोई अंतर्संबंध है? अपनी लगभग साढ़े तीन दशक की पत्रकारिता यात्रा में मैं इतना ही समझ पाया हूं कि पत्रकारिता का कोई स्थाई भाव नहीं है। जैसे पानी का कोई स्थाई भाव नहीं है।जैसे ध्यान का कोई स्थाई भाव नहीं होता है।

देश के प्रधानमंत्री को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि पानी की व्यवस्था क्या है?  पत्रकारिता का ध्यान लोगों की समस्याओं पर होना चाहिए। दिल्ली में उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार आपस में पानी पानी खेल रहे हैं। पानी में आग लग गई है। लोग मुहल्लों में पहुंच रहे पानी के टैंकरों पर दौड़ कर चढ़ रहे हैं। टैंकर से पानी निकालने वाले पाइप पर अधिकार को लेकर झगड़े की नौबत आ रही है।

दिल्ली समेत एनसीआर में अगला लोकसभा चुनाव पानी को केंद्र में रखकर हो सकता है। हालांकि नोएडा प्राधिकरण के जल विभाग के महाप्रबंधक राघवेन्द्र प्रताप सिंह आगामी पंद्रह वर्षों के लिए पानी की उपलब्धता को लेकर निश्चिंत हैं। परंतु दिल्ली कहां जाए ? यह प्रश्न मीडिया को पूछना चाहिए।आज तो पत्रकारिता दिवस भी है परंतु मीडिया ध्यान पर ध्यान लगा कर बैठी है।

लेखक : राजेश बैरागी, वरिष्‍ठ पत्रकार

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