बेटिंग के चक्कर में बन गए घनचक्कर, दुबई और थाईलैंड की जगह पहुंच गए जेल, अपहरण की झूठी सूचना ने बिगाड़ा खेल
Betting confused, ended up in jail instead of Dubai and Thailand, false information of kidnapping spoiled the game

Panchayat 24 : ग्रेटर नोएडा पुलिस ने अन्तर्राष्ट्रीय सट्टा गिरोह के 8 आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। आरोपी भारत में प्रतिबंधित क्रिकेट एप के माध्यम से सट्टा कारोबार से जुड़े थे। गिरोह के तार दुबई और जुड़े हैं। दिल्ली एनसीआर में ही इस गिरोह की 25 से 30 शाखाएं हैं। कार्रवाई के दौरान पुलिस को मनी लांडरिंग के भी सुराग हाथ लगे हैं। वहीं, आरोपियों से भी कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं। आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने 4 लैपटॉप, 26 मोबाइल फोन, 16 सिम, फर्जी आधार कार्ड, चैक बुक, पासबुक, पासपोर्ट और कुछ अन्य सामान बरामद किया है। गिरफ्तार किए गए अधिकांश आरोपी राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के रहने वाले हैं। वर्तमान में ग्रेटर नोएडा में ही रह रहे थे। कार्रवाई को स्वाट एवं कासना कोतवाली पुलिस ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया है।
क्या है पूरा मामला ?
डीसीपी ग्रेटर नोएडा जोन साद मिया खां के अनुसार मूलरूप से राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले सुभाषचंद्र ने बीते 12 जून को कासना कोतवाली पर 112 पर एक अपहरण की दी थी। उन्होंने पुलिस को बताया था कि उनका बेटा भीम (22) एवं भतीजा नारायण सिंह (25) ग्रेटर नोएडा लगभग 15 दिन पूर्व नौकरी के लिए आए थे। उनका किसी ने अपहरण कर लिया है। अपहरणकर्ताओं ने फोन कर फिरौती की सात लाख रूपया फिरौती की रकम मांगी है। रकम को खाते में ट्रांसफर करने की बात कही थी। ऐसा नहीं करने पर फिरौती मांगने वाले ने दोनों लड़कों को जान से मारने की धमकी दी थी। उन्होंने बताया कि दोनों लड़के पूर्व में ग्रेटर नोएडा में नौकरी कर चुके हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता है कि दोनों लड़के कहां नौकरी करते हैं। दो युवकों की सूचना पाते ही कासना कोतवाली प्रभारी धर्मेन्द्र शुक्ला ने स्वाट टीम के साथ मिलकर तलाशी अभियान शुरू कर दिया।
पुलिस को दोनों लड़कों के ग्रेटर नोएडा वेस्ट में होने की जानकारी हुई
डीसीपी के अनुसार पुलिस की टीमों ने दोनों लड़कों की तलाश में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस एवं मुखिबरों की मदद ली। काफी तलाश के बाद पुलिस को पता चला कि दोनों लड़के ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित चेरी काउंटी क्षेत्र में हैं। यहां पुलिस के सामने एक चुनौती यह थी कि जहां दोनों लड़कों को जल्द से जल्द सकुशल बरामद करना था। वहीं, चेरी काउंटी क्षेत्र में बड़ी संख्या में हाईराइज इमारतें हैं। हजारों की संख्या में फ्लैट्स हैं। ऐसे में उनका पता करना मुश्किल हो रहा था। इस बीच पुलिस को शिकायतकर्ता का बेटा लड़के भीम सिंह के बारे में पता चला कि वह व्हाईट आर्किंड अपार्टमेन्टके आसपास है। तलाश के दौरान पुलिस को पता चला कि गौर सिटी के व्हाईट आर्किंड अपार्टमेन्ट के टावर संख्या-2 के एक फ्लैट में कुछ युवक रह रहे हैं। यह किसी से बहुत अधिक मिलते नहीं हैं। इनमें से एक युवक का संबंध शिकायतकर्ता के बेटे भीम सिंह से है।
युवकों की बरामदगी से अपहरण की पूरी कहानी ही बदल गई
डीसीपी ग्रेटर नोएडा जोन के आनुसार सूचना पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों लड़कों की बरामदगी के लिए फ्लैट पर छापेमारी की। फ्लैट के अंदर का नजारा देखकर पुलिस आश्चर्यचकित रह गई। वहां पुलिस को ध्रुव नामक एक युवक और उसके तीन साथी मुकीम, विशाल कुमार, सन्नी कुमार मिले। वहां काफी सारे मोबाइल, लैपटॉप, सिम कार्ड और आधार कार्उ तथा रजिस्टर रखे हुए थे। पुलिस ने इन्हें हिरासत में लेकर फ्लैट में रखे सारे सामान को जब्त कर लिया। पूछताछ में पता चला कि उनके अन्य साथी राधा स्काई सोसायटी के तल पर फ्लैट संख्या 18 में हैं। पुलिस ने इस फ्लैट पर छापेमारी करके चार अन्य युवक मिले। इनमें भीम सिंह और नारायण सिंह भी शामिल था। उनके पास भी काफी सारे मोबाइल, लैपटॉप, सिम और रजिस्टर्ड आदि रखे हुए थे।
रूद्र क्रिक लाइन एप के माध्यम से सट्टा गैंग से जुड़े थे सभी आरोपी
डीसीपी के अनुसार पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह सभी रूद्र क्रिक लाइव एप के माध्यम से वह एक सट्टा गिरोह से जुड़े हुए हैं। इस एप के माध्यम से क्रिकेट मैच मे एक ओवर के दौरान बनाये जाने वाले रन, कुल स्कोर व विकेट गिरने, चौके एवं छक्के के साथ हार एवं जीत पर ऑनलाइन सट्टा लगाते थे। ध्रुव, मुकीम, विशाल कुमार, सन्नी कुमार से इस एप पर ऑनलाइन विज्ञापन में हमारे वॉटसअप नंबर लगातार चलते रहते है। जिन्हें बैंटिंग (सट्टा) खेलना होता है वह उन नंबरों पर वॉटसअप कॉल करके हमसे संपर्क करते हैं। इन लोगों को अलग अलग दी जाती है।
दुबई एवं थाईलैंड से जुड़े हैं गिरोह के तार
पूछताछ में पुलिस को पता चला कि इस गिरोह के तार दुबई एवं थाईलैंड से जुड़े हुए हैं। वहीं से इस पूरे अन्तर्राष्ट्रीय रैकेट का संचालन किया जा रहा था। गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों को फर्जी नाम एवं पते पर गिरोह के सरगनाओं ने सिम कार्ड एवं फर्जी अकाउंट उपलब्ध कराए थे। इन लड़कों को 15 से 20 हजार रूपये प्रति माह दिए जा रहे थे। वहीं, हर शाखा के मैनेजर को एक लाख तक का वेतन दिया जा रहा था। प्रत्येक शाखा पर प्रतिदिन 2 लाख रूपये तक कमाई की जा रही थी। इस रकम को दुबई एवं थाईलैंड में बैठे आकाओं के खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था। प्रतिदिन लगभग 30 लाख रूपया इन खातों में भेजा जा रहा था। हर ब्रांच पर चार से दस लोग काम करते हैं।
दोनों लड़कों ने क्यों दी अपने परिजनों को अपहरण की झूठी सूचना
डीसीपी साद मिया खां ने बताया कि भीम सिंह एवं नारायण सिंह से रूद्र क्रिक लाइव एप से होने वाली काली कमाई की रकम में लगभग दस लाख रूपये का हेरफेर हो गया था। इनके ऊपर गिरोह की ओर से जल्द से जल्द रकम को लौटाने का दबाव बनाया जा रहा था। दोनों ने इस रकम को लौटाने के लिए एक योजना बनाई और अपने ही मैनेजर की मदद से अपने परिजनों को कॉल कर फिरौती की रकम मांगी।
ऑनलाइन एप लोगों को अपने जाल में फंसने के लिए जीत के सपने दिखाते हैं
डीसीपी ने बताया कि यह गिरोह ऑनलाइन विज्ञापनों के सहाने लोगों से संपर्क करता था। जो लोग खेलने के लिए इस एप पर आते थे। उन्हें जाल में फंसाने के लिए पहले छोटी रकम आसानी से जितवाते थे। जब बैटिंग करने वाले व्यक्ति और अधिक जीत के चक्कर में बड़ी रकम दांव पर लगाता था। उस समय एप उसको हरा देता था। या फिर उसकी रकम अपने खातों में डलवाकर उससे संपर्क तोड़ लेते थे। डीसीपी के अनुसार इस एप का एलगोरिदम इस प्रकार तैयार किया जाता था कि बैटिंग करने वाला यदि छोटी रकम लगाता था तो वह जीत जाता था। तय करम से अधिक रकम दांव पर लगाने पर आरोपी उसको अपने जाल में फंसाकर उसकी रकम हड़प लेते थे।