ग्रेटर नोएडा जोन

जुल्‍म के खिलाफ बारिश में भी जलाई मशाल : एसिड अटैक के खिलाफ महिलाओं ने निकाला कैंडल मार्च, कठोर सजा की मांग

Torch lit in rain against oppression: Women took out candle march against acid attack, demanding harsh punishment

Panchayat24 : ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट स्थित एक मूर्ति गोलचक्‍कर पर शहरवासियों ने देश और दुनिया में महिलाओं पर हो रहे एसिड अटैक के हमलों के विरोध कैंडल मार्च निकाला। इस दौरान लोगों ने जहां एसिड अटैक की पीडित महिलाओं को जल्‍द से जल्‍द न्‍याय दिए जाने की मांग की, वहीं आरोपियों के खिलाफ सजा को और सख्‍त करने की भी मांग की। इस जघन्‍य अपराध के खिलाफ लोगों के गुस्‍से को इससे समझा जा सकता है, कि बारिश के बावजूद भारी संख्‍या महिलाएं पुरूष तथा युवा कैंडल मार्च शामिल हुए। नेफोवा टीम के सदस्‍य भी इस दौरान उपस्थित रहे।

क्‍या है पूरा मामला ?

दरअसल, लोगों का कहना था कि देश में एसिड अटैक की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन पूरी तरह समाप्‍त नहीं हुए हैं। दो दिन पूर्व नोएडा में भी एक महिला के ऊपर एक सिरफिरे ने एसिड अटैक किया था। महिला का दिल्‍ली के सफदरजंग अस्‍पताल में उपचार चल रहा है। ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट से कुछ लोग पीडिता से दिल्‍ली जाकर मिले थे।

इसके बाद ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट में रहने वाले लोगों ने एसिड अटैक जैसी क्रूरता के विरोध में शनिवार शाम को कैंडल मार्च निकालने का निर्णय किया था। शाम को बारिश होने के बावजूद सैकड़ों की संख्‍या में लोग छाता लेकर कैंडल मार्च में शामिल हुए। शाम को समय बारिश के कारण ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट में ट्रेफिक का भारी दबाव रहता है। बारिश से हालात और अधिक विकराल हो जाते हैं। ऐसे में लोगों ने एक मूर्ति गोलचक्‍कर के चारों ओर लगभग दो घंटों तक खड़े रहकर अपना विरोध जताया।

महिलाओं का कहना था कि एसिड अटैक जैसी जघन्‍य घटना में ना केवल महिला का शरीर दर्दनाक आग में झुलस जाता है, बल्कि आत्‍मा भी घायल हो जाती है। एसिड अटैक एक ऐसा क्रूर और कायराना अपराध है जिससे महिला के अस्तित्‍व पर प्रहार करने किया जाता है। महिला जिस पहचान को लेकर जीवन में आती है, एसिड अटैक के बाद बिना उसके जीवन जीने को मजबूर होना पड़ता है। एसिड अटैक से पीडित महिला को सबसे अधिक पीडा उस समय होती है जब उनके प्रति समाज का नजरिया भी बदल जाता है। ऐसे में जीवन जीने के लिए पीडिता को जो संघर्ष करना पड़ता है वह पीड़ा और कष्‍ट भरा होता है।

कैंडल मार्च में शामिल महिलाओं ने कहा कि भारत में एसिड अटैक को लेकर कानून हैं, लेकिन इन्‍हें और सख्‍त करने की जरूरत है। इसके अतिरिक्‍त अपराधियों को ऐसी सजा मिले जिससे अन्‍य लोगों के मन में इस तरह के जघन्‍य अपराधों को करने से डर का एहसासा हो। वहीं लोगों ने यह भी कहा कि समाज को भी चाहिए कि एसिड अटैक पीडिता की मनोदशा को समझे। दर्दनाक हादसे के बाद पीडिताओं को समाज के समर्थन की जरूरत होती है, झूठी सहानभूति अथवा हमदर्दी की नहीं। पीडिताओं से मिले, उन्‍हें भावनात्‍मक सपोर्ट करें। वहीं सरकार और स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं को चाहिए कि एसिड अटैक पीडिताओं की काउंसलिंग की बेहतर व्‍यवस्‍था करें जिससे उनके मन में समाज के प्रति अलगाव का भाव समाप्‍त हो सके।

 

 

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