राम की कांवड़ का सेवादार बना रहीम, ना कोई बैर, ना द्वेष, संदेश बस एक-हिन्दू मुस्लिम भाईचारा
Rahim became the servant of Ram's kanwar, no enmity, no malice, message just one - Hindu Muslim brotherhood
Panchayat 24 : देश में पिछले कुछ समय से हिन्दू मुस्लिम साम्प्रदायिक सौहादर्य को कुछ लोग बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है कि दोनों समुदायों के बीच अविश्वास का माहौल बन रहा है। लेकिन इस बीच दादरी कस्बे में कुछ लोगों ने इस सौहादर्य को मजबूत करने के लिए पहल की है। महादेव के जो भक्त कांवड़ ला रहे हैं, उनके लिए कांवड़ शिविर लगाया गया है। कांवड़ शिविर का आयोजन भारत बचाओ, संविधान बचाओ के तत्वाधान में मुस्लिम समाज द्वारा आयोजित किया गया है। शिविर में हिन्दू धर्मगुरू तथा समाज के लोगों को भी आमंत्रित किया गया है। मुस्लिम समाज द्वारा आयोजित इस शिविर की विशेषता है कि कांवडियों की सेवा में तैनात सभी सेवादार मुस्लिम समाज से जुड़े लोग हैं। कांवड़ शिविर के आयोजनकों का कहना है कि हिन्दू मुस्लिम एकता भारत की बुनियादी विशेषता है। कुछ लोगों के कुत्सित प्रयासों से यह कमजोर नहीं होगी।
दरअसल, दादरी में भी मुस्लिम समाज की ओर से पेश किया गया है। मुस्लिम समाज के लोगों ने दादरी मिहिर भोज डिग्री कॉलेज के सामने जी टी रोड पर कांवडियों की सेवा के लिए शिविर लगाया है। शिविर में कांवडियों के ठहरने की व्यवस्था और जलपान की व्यवस्था की गई है। इस शिविर से जुड़े लोगों का कहना है कि यह कार्य किसी प्रदर्शन या मजबूरी में नहीं किया जा रहा है। ऐसा करके हमे रूहानी सकून मिलता है। शिविर से जुड़े फकरूद्दीन मेवाती का कहना है कि हम लोगों द्वारा दिल्ली के सीलमपुर क्षेत्र में भी इस तरह के कांवड शिविरों का आयोजन पिछले 6 सालों से करते आ रहे हैं।
शिविर में उपस्थित हिन्दू धर्म गुरू स्वामी जीवनऋषि महाराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय शंति वाहिनी ने कहा कि सभी धर्म अलग अलग भाषा में एक ही शिक्षा देते हैं। हर धर्म में मानवता को सर्वोपरि माना गया है। कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए धर्म की शिक्षाओं की गत परिभाषा लोगों को बताते हैं। यह समाज के लिए घातक है। इस मौके पर फकरूद्दीन मेवाती, रफीक मलिक, फकरू मलिक, साबू मेवाती, इमाम सैफी, आजाद मलिक, फकरूद्दीन कोटिया, फिरोज मलिक और इरफान मेवाती आदि लोग उपस्थित थे।
सामाजिक भाईचारे का संदेश देते हैं ऐसे आयोजन
सांवन का महीना सनातन धर्म के मानने वालों के लिए विशेष महत्व रखता है। भगवान महादेव के भक्त अपने आराध्य से मनोकामना मांगते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर सावन के इस पवित्र महीने में गंगाजल लाकर शिवरात्रि के दिन अपने इष्ट महादेश का जलाभिषेक करते हैं। इस मौके पर जहां दिल्ली तथा मेरठ की तरह कुछ असामाजिक तत्व जहां कांवडियो की कांवड़ को खंडित कर समाज में साम्प्रदाकिय वैमन्स्य पैदा करने का प्रयास करते हैं, वहीं ऐसे उदाहरण भी देखने में आता है रहा है जब मुस्लिम समाज के लोग कांवडियों की सेवादारी करते हैं। रास्तों से गुजरने वाले कांविडयों पर फूलों की वर्षा करते हैं। कावंडियोंं की सेवा के लिए शिवरों का आयोजन करते हैं। ऐसे आयोजन समाज में सामाजिक भाईचारे का संदेश देते हैं।
लोग मिसाल देते हैं दादरी के साम्प्रदायिक सौहार्द की
दादरी की क्षेत्र में साम्प्रदायिक सौहादर्य को याद करते हुए रहीम खान मेवाती का कहना है कि दादरी तथा आसपास के क्षेत्र का साम्प्रदायिक सौहादर्य देश में एक मिसाल है। जब देश में साम्प्रदाियक तनाव अपने चरम पर रहा, उस सयम दादरी में इसका असर दिखाई नहीं दिया। यदि किसी असामाजिक तत्व ने ऐसा प्रयास भी किया तो दोनों पक्ष के लोगों ने इसे आपसी समझदारी से हल कर लिया। वहीं जाकिर सैफी का कहना है कि एक दौर था जब हिन्दू मुस्लिम समाज के लोगों का एक दूसरे से घनिष्ठ लगाव था। दोनों समाज के लोग एक दूसरे की परेशानियों को समझते थे और आगे बढ़कर मदद करते थे। समय के साथ वक्त में बदलाव जरूर आया है। लेकिन दादरी में आज भी साम्प्रदायिक सौहादर्य एक मिसाल है। वहीं इकबाल अलवी और शाहिद मंसूरी का कहना है कि हमे याद आता है कि दादरी के मुस्लिमों के पास भी खेती बाड़ी की जमीन हुआ करती थी। आसपास के चिटेहरा, कटेहरा तथा कई गांवों के लोगों के साथ मिलकर खेती की जाती थी। नई पीढी को इस बारे में अपने बुजुर्गों से जानना चाहिए।
रोजगार के साथ सेवादारी
इस कांवड़ शिविर में मुस्लिम समाज के बच्चे कांवडियों की सेवादारी कर रहे हैं। सभी अपने अपने घरों से समय निकालकर यहां पहुंचे थे। शिविर के आयोजनकों द्वारा सौंपे गए कार्यों को सभी स्वेच्छता से कर रहे हैं। रास्ते से गुजरने वाले लोगों की प्यास बुझाने के लिए शीतल पेय पिला रहे हैं। इनमें से बहुत से ऐसे नवयुक भी हैं जो आसपास की दुकानों पर फुल टाईम अथवा पार्ट टाइम काम करते हैं। इनमें दिल्लू, ताहिर, शमशाद और आजाद आदि शामिल हैं।