राजनीतिक संरक्षण से ढंगी बाबा खड़ा कर लेते हैं समानान्तर सत्ता, हाथरस हादसा भी अपवाद नहीं है, आपका मानना क्या है?
With political patronage, Dhangi Baba establishes a parallel government, Hathras incident is also not an exception, what do you think?

Panchayat 24 : बाबा बनने का लाईसेंस कहां से मिलता है ? इस प्रश्न को अभी नेपथ्य में रखकर रोहतक की सुनारिया जेल चलते हैं जहां गुरमीत सिंह उर्फ राम रहीम उम्र भर के लिए बंद है। उसपर अपने डेरे में संवासिनियों के साथ बलात्कार करने और एक पत्रकार की हत्या का दोष सिद्ध पाया गया था। उसे जेल जाने के दो बरस के भीतर छः महीने पैरोल पर रहने की सुविधा प्रदान की गई। अगले दो वर्षों में उसे अदालत की कठोर टिप्पणी के बावजूद महीनों महीनों की पैरोल और फरलो दी गई। जब जब उसे पैरोल या फरलो पर छोड़ा गया, किसी न किसी चुनाव की तिथि निकट थी। उम्रकैद की सजा पाने वाले कितने लोगों को ऐसी सरकारी इनायत हासिल होती है।
हाथरस के सिकंद्राराऊ कस्बे के गांव फुलरई में तथाकथित बाबा नारायण साकार हरि के प्रवचन सुनने को आई लाखों की भीड़ में से अभी तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है। बाबा फरार बताया जा रहा है। आयोजकों के विरुद्ध रपट लिख ली गई है और एक हाई लेवल एसआईटी को जांच सौंप दी गई है। राज्य सरकार ने इस घटना की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से भी कराने की घोषणा की है।
कभी उत्तर प्रदेश पुलिस की इंटेलिजेंस विंग में सेवा दे चुका सूरजपाल कब नारायण साकार हरि बाबा बनकर भोली-भाली जनता और राजनेताओं पर कृपा करने लगा, किसी को मालूम नहीं हुआ। यह भी बलात्कारी बाबा बताया जा रहा है।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मानें तो अखिलेश यादव उसके कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे हैं।
सत्ताधीश जिसके दरबार में कमर तक झुके खड़े रहते हों, उसे किसी लाईसेंस की क्या आवश्यकता है। मथुरा में जयगुरुदेव आश्रम पर अधिकार जमाने के संघर्ष में पुलिस अधीक्षक की हत्या करने वाला रामवृक्ष यादव समाजवादी पार्टी के एक बड़े नेता के अति निकट था। जरनैल सिंह भिंडरावाला भी कभी दिल्ली की इंदिरा गांधी सत्ता का खासमखास था। न भिंडरावाला मिला और न रामवृक्ष यादव। सैकड़ों करोड़ की धन माया के स्वामी बाबाओं के समक्ष प्रवचन सुनने वालों की प्रथम पंक्ति में बैठने वाले लोगों को पहचानेंगे तो मालूम होगा कि वे समाज के शीर्ष भ्रष्ट लोग हैं। बाबाओं की लंबी फेहरिस्त है।
लेखक : राजेश बैरागी, वरिष्ठ पत्रकार