दादरी विधानसभा

भाजपा बिसरख मण्‍डल में मचा बवाल : जिलाध्‍यक्ष ने पूर्व मण्‍डल की सक्रिय सदस्‍यता से त्‍यागपत्र किया स्‍वीकार, उठे कई सवाल

Ruckus in BJP Bisrakh Mandal: District President accepted resignation from active membership of former Mandal, many questions raised

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर भाजपा का बिसरख मण्‍डल जिले में राजनीतिक खबरों को लेकर चर्चा में बना हुआ है। चर्चा के केन्‍द्र में बिसरख मण्‍डल के पूर्व अध्‍यक्ष रवि भदौरिया द्वारा पार्टी की सक्रिय सदस्‍यता से त्‍याग पत्र दिया जाना है। रवि भदौरिया द्वारा सोशल मीडिया पर एक पोस्‍ट कर  कई अहम बातों की ओर इशारा किया है। रवि भदौरिया के त्‍याग पत्र दिए जाने के बाद से ही इस बारे में चर्चा हो रही थी कि गौतम बुद्ध नगर भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं है। लगभग दस दिन बाद गौतम बुद्ध नगर भाजपा के जिलाध्‍यक्ष गजेन्‍द्र मावी ने रवि भदौरिया के सोशल मीडिया पर किए पोस्‍ट पर टिप्‍पणी करते हुए त्‍याग पत्र को स्‍वीकार किए जाने की जानकारी साझा की। इसके बाद एक बार फिर भाजपा के बिसरख मण्‍डल को लेकर राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। रवि भदौरिया के त्‍याग पत्र और जिलाध्‍यक्ष द्वारा उनके पोस्‍ट पर ही त्‍याग पत्र को स्‍वीकार किए जाने की घटना को लेकर लोग कई अर्थ निकाल रहे हैं।

क्‍या है पूरा मामला ?

दरअसल, रवि भदौरिया भाजपा बिसरख मण्‍डल के पूर्व अध्‍यक्ष रहे हैं। उनकी गिनती गौतम बुद्ध नगर भाजपा के सक्रिय पदाधिकारियों में होती है। उन्‍होंने लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर पार्टी के पक्ष में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा उम्‍मीदवार डॉ महेश शर्मा ने उत्‍तर प्रदेश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की। उन्‍होंने लगभग 5.60 लाख वोटों से जीत दर्ज की। भाजपा कार्यकर्ता अभी इस ऐतिहासिक जीत की खुशी में डूबे हुए थे। प्रतीत हो रहा था कि ऐतिहासिक जीत के साथ पार्टी गौतम बद्ध नगर जिले में एक नई शुरूआत करने जा रही है। तभी एकाएक चुनाव पूर्व पार्टी की कलह रूप बदलकर बिसरख मण्‍डल में प्रकट हो गई।  रवि भदौरिया ने30 जून को पार्टी की सक्रिय सदस्‍यता से त्‍याग पत्र देकर सभी को चौंका दिया। रवि भदौरिया ने पार्टी कार्यक्रमों में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए एक्‍स पर पोस्‍ट कर अपनी बात रखी। जिले के अन्‍य भाजपा मण्‍डल अध्‍यक्षों एवं कार्यकर्ताओं ने भी  पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठन के पदाधिकारियों की उपेक्षा की बात कहते हुए रवि भदौरिया की बात का समर्थन किया। इस पूरे प्रकरण ने जिला एवं प्रदेश भाजपा नेताओं का ध्‍यान अपनी ओर आकर्षित किया है।

राजपूत होने के कारण मेरी उपेक्षा की गई : रवि भदौरिया

रवि भदौरिया ने एक्‍स एकाउंट पर सक्रिय सदस्‍यता से त्‍याग पत्र की बात लिखते हुए कई गंभीर बातें कहीं है। उन्‍होंने अपने पोस्‍ट में लिखा है ” मैं बाल्यकाल स्वयंसेवक हूँ। सोशल मीडिया पर ऑरकुट से लेकर आज तक संघ भाजपा, विचार परिवार के लिए सबके सामने सक्रिय हूँ। 2019 से लेकर 2024 की शुरुआत तक गौतमबुद्ध नगर के बिसरख मंडल का भाजपा अध्यक्ष भी रहा।अब शायद सोशल मीडिया में मेरी लोकप्रियता के चलते, या यूँ कहे माँ सीता रसोई में समाज सेवा के चलते अथवा मेरे राजपूत होने के कारण जिला गौतमबुद्ध नगर के भाजपा कार्यक्रमों में मुझे बुलाना बंद कर दिया गया है। इसके चलते मैं भाजपा की सक्रिय सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूँ, जिससे जिले में असुरक्षा की भावना किसी को न हो। लेकिन मात्र एक कार्यकर्ता के रूप में, संघ परिवार तथा मोदी-योगी जी के प्रति अपने समर्पण हेतु, तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित का मंत्र सदैव मुझे उद्वेलित करता रहेगा। मैं सदैव विचार परिवार के लिए अपने कार्यक्षेत्र में कार्यरत रहूँगा। जय जय श्री राम। ”

रवि जी, आपका त्यागपत्र स्वीकार करते हुए अत्यंत कष्ट हो रहा है। आप संगठन के एक उत्कृष्ट कार्यकर्ता हैं। आपका त्यागपत्र स्वीकृत किया जाता है।
——————— गजेन्‍द्र मावी, जिलाध्‍यक्ष गौतम बुद्ध नगर भाजपा

कई सवाल ले रहे हैं जन्‍म ?

रवि भदौरिया ने अपनी पोस्‍ट में खुद को भाजपा एवं संघ परिवार का समर्पित कार्यकर्ता बताते हुए जिस तरह से जिला गौतम बुद्ध नगर भाजपा पर अपनी उपेक्षा की बात कही है उससे सवाल उठता है कि क्‍यों पार्टी के कार्यक्रमों से उनको दूर रखा जा रहा था ? ऐसा करके किसको प्रत्‍यक्ष अप्रत्‍यक्ष लाभ होने जा रहा था ? क्‍या रवि भदौरिया के साथ जातीय के आधार पर पार्टी में किसी तरह का भेदभाव हो रहा था जिससे वह आहत हुए ? रवि भदौरिया के त्‍याग पत्र के लगभग दस दिन बाद गौतम बुद्ध नगर भाजपा जिलाध्‍यक्ष गजेन्‍द्र मावी ने अपनी प्रतिक्रिया क्‍यों दी ? सक्रिय सदस्‍यता से त्‍याग पत्र को स्‍वीकार करने में जिलाध्‍यक्ष को दस दिन क्‍यों लग गए, जबकि पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी लगातार रवि भदौरिया की सोशल मीडिया पोस्‍ट पर अपनी राय रख रहे थे ?  क्‍या पार्टी में कुछ लोगों को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है ? सवाल यह भी है कि इस पूरे प्रकरण में जो कुछ पर्दे के आगे दिख रहा है, उससे कहीं अधिक पर्दे के पीछे पक रहा है ?

रवि भदौरिया प्रकरण भाजपा की गुटबाजी का नया रूप है ?

जानकारों का मानना है कि रवि भदौरिया प्रकरण ने ऐसे लोगों को अपनी बातों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है कि जो मानकर चल रहे थे कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की चुनाव पूर्व की गुटबाजी शांत हो जाएगी। इस प्रकरण के बाद प्रतीत हो रहा है कि भाजपा की लोकसभा चुनाव पूर्व की गुटबाजी बिसरख मण्‍डल में नया रूप ले रही है। जिले की राजनीति की समझ रखने वाले लोगों का मानना है कि यदि रवि भदौरिया प्रकरण का पार्टी संगठन ने समय रहते समाधान नहींं तलाशा तो पार्टी के अन्‍य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं के मन में छिपे हुए असंतुष्‍ट भावों को इससे हवा मिलेगी। इससे गौतम बुद्ध नगर भाजपा में भविष्‍य में गुटबाजी का एक और अध्‍याय देखने को मिल सकता है। इसका असर आगामी पंचायत और विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है।

बिसरख मण्‍डल भाजपा के लिए कितना अहम है ?

दरअसल, संगठनात्‍मक रूप से भाजपा की गौतम बुद्ध नगर इकाई के अन्‍तर्गत कुल 11 मण्‍डल आते हैं। इनमें बिसरख मण्‍डल बहुत महत्‍वपूर्ण है। भाजपा के लिए बिसरख मण्‍डल की प्रासंगिकता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इसके अन्‍तर्गत सम्‍पूर्ण ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट आता है। ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट अधिकांशत: हाईराइज सोसायटियों का शहर है। यहां की बड़ी आबादी देश एवं प्रदेश के अलग अलग हिस्‍सों से यहां आकर बसी है। नोएडा के बाद ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। अभी तक विरोधी दल भाजपा के इस गढ़ को भेद नहीं सके हैं। लेकिन जिस प्रकार से बिसरख मण्‍डल में रवि भदौरिया प्रकरण ने लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के अंदर की कहानी को पर्दे से बाहर ला दिया है, वह पार्टी के लिए ठीक नहीं है। लोकसभा चुनाव से ठीक पूर्व भी बिसरख मण्‍डल में संगठनिक रूप में पार्टी उदासीनता और अनियमिता की खबरें सामने आई थी।

बिसरख मण्‍डल पर कब्‍जा करने की कहानी पुरानी है

दरअसल, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के मध्‍य में बसा ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट बिसरख मण्‍डल का हिस्‍सा है। गौतम बुद्ध नगर की राजनीति में बिसरख मण्‍डल के महत्‍व को इससे आंका जा सकता है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा के विभिन्‍न गुटों और विरोधी दलों द्वारा यहां अपना आधार मजबूत करने के लिए एडी चोटी के जोर लगाए गए। ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट दादरी विधानसभा का हिस्‍सा है। इसके बावजूद यहां के मामलों में जिले की दूसरी विधानसभा के विधायक की विशेष रूचि दिखाई देती है। जानकारों की माने तो वह यहां अपना प्रभाव लगातार बढ़ा रहे हैं।

वहीं, पिछले कुछ सालों में यहां की सिविल सोसायटियों, एनजीओ और संस्‍थानों ने मजबूती से अपनी  उपस्थिति भी दर्ज कराई है। होम बायर्स की समस्‍याओं ने भी राजनीति को प्रभावित किया है। भाजपा में दबाव एवं संतुलन की राजनीति के चलते सिविल सोसायटियों, एनजीओ और संस्‍थानों ने बिसरख मण्‍डल की राजीनति में प्रत्‍यक्ष अप्रत्‍यक्ष अपने लिए संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है। यहां तक कि हाल ही में संपन्‍न हुए लोकसभा चुनाव में एक होम बायर्स संगठन के अध्‍यक्ष ने चुनाव लड़ने की बात कही थी। हालांकि बाद में वह चुनाव मैदान में नहींं उतरे। विरोधी दल लगातार यहां अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के प्रयास किए गए, लेकिन सफलाता नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में उत्‍तर प्रदेश में भाजपा उम्‍मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सकी। इसके बावजूद गौतम बुद्ध नगर में भाजपा का गढ़ अप्रभावित रहा है। इस बार उत्‍साह से लबरेज विरोधी एक बार फिर भाजपा के बिसरख मण्‍डल पर कब्‍जा करने का पूरा प्रयास करेंगे।

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