दादरी विधानसभा

पश्चिमी सभ्‍यता का अंधाधुंध अनुसरण और तकनीक का दुरूपयोग पड़ रहा है भारी, दादरी में लोगों ने बैठक कर चिंता जताई

Blindly following western culture and misuse of technology is proving costly, concern expressed in a meeting held in Dadri

Panchayat 24 : पश्चिमी सभ्‍यता का अंधाधुंध अनुकरण के सामाजिक रिश्‍तों पर पड़ रहे नकारात्‍मक प्रभाव को लेकर दादरी में एक बैठक कर चिंता जाहिर की। बैठक में लोगों ने कहा कि इस समस्‍या को तकनीकी के दुरूपयों ने बहुत अधिक बढ़ा दिया है। समस्‍या उस स्थिति में पहुंच गई है जब समाज के जिम्‍मेवार लोगों को इस बारे में अपनी भूमिका का ईमानदारी से निर्वहन करना होगा, अन्‍यथा समाज का स्‍वरूप पूरी तरह से बिगड जाएगा। इस संबध में दादरी में एक बैठक कर अल्‍पसंख्‍यक समाज ने चिंता जाहिर की। बैठक में मास्टर मोबिन मेवाती, नयीम बैट्री सभासद पति, हाजी गुल मोहम्मद आढ़ती, मास्टर बेताब मेवाती, निजाम मेवाती, रिहान मेवाती, नासिर मेवाती, आजाद मेवाती, सोनू खान, फिरोज मेवाती, जावेद सिद्दीकी, राशिद सैफी सहित ई समाजसेवी, युवा वर्ग सहित समाज के जिम्‍मेवार लोग उपस्थित रहे।

अवैध संबंधों को प्रेम प्रसंग बताना गलत : फकरूद्दीन कोटिया

दादरी के समाजसेवी फकरूद्दीन कोटिया ने कहा कि वर्तमान में अवैध संबंधों जैसी सामाजिक बुराई को प्रेम प्रसंग का नाम देकर छिपाने का चलन चल पड़ा है। अवैध संबंध को कभी भी प्रेम के पैमाने पर नहीं मापा जा सकता। अवैध संबंधों के रूप में बढ़ रही इस सामाजिक बुराई का अंत खून से सना हुआ होता है। कई बार अवैध संबंधों में पड़े स्‍त्री एवं पुरूष अपनों का खून बहाकर अपने संबंधों को अंजाम तक पहुंचाने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं। फकररूद्दीन कोटिया ने कहा कि भारतीय समाज में इस प्रकार के आचरण को सामाजिक बुराई का नाम दिया गया है, लेकिन पश्चिमी समाज में इस तरह के संबंधों को मान्‍यता प्राप्‍त है। लेकिन पिछले कुछ दशक से पश्चिमी सभ्‍यता का अंधाधुंध अनुसरण हमारे समाजिक रिश्‍तों पर भारी पड़ रहा है। युवा और युवतियों द्वारा अनावश्‍यक मोबाइल एवं इंटरनेट के प्रयोग ने इस बुराई को युवा पीढी के सामने बेरोकटोक परोसा दिया है। हर समाज में सामाजिक मर्यादाएं एवं रिश्‍ते देश, काल और परिस्थितियों के आधार पर निर्मित होते हैं। भारतीय सामाजिक परिवेश पश्चिम के सामाजिक परिवेश से अलग है। ऐसे में हमारी रीति रिवाज, परंपराएं और सामाजिक रिश्‍तों का आधार भी भारतीय है। मौज मस्‍ती और मनमानी करने के लिए इनका उल्‍लंघन करना कई बार घातक साबित होता है। उन्‍होंने कहा कि युवाओं को जरूरत के हिसाब से ही मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग करना चाहिए। परिवार के लोगों को भी इस बात पर ध्‍यान देना चाहिए कि बच्‍चे अनावश्‍यक मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग न करें।

सामाजिक अपराध पुलिस प्रशासन की ऊर्जा को नष्‍ट कर रहे हैं : नईम मेवाती 

युवा समाजसेवी नईम मेवाती ने कहा कि कई बार अवैध संबंधों में पड़कर पुरूष एवं महिला अपने परिवार को ताक पर रखकर एक दूसरे के साथ भाग जाते हैं। युवक एवं युवतियां भी आकर्षण को प्रेम समझकर कई बार ऐसा कदम उठाते हैं। इससे उनके परिवार पर तो नकारात्‍मक प्रभाव पड़ता ही है। साथ ही, पुलिस एवं प्रशासन की ऊर्जा भी नष्‍ट होती है। यह बात सही है कि सामाजिक अपराध भी अपराध की श्रेणी का ही एक हिस्‍सा है। लेकिन इस तरह के सामाजिक अपराधों को जागरूकता और परिवार में चर्चा करके बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इससे पुलिस पर सामाजिक अपराधों को लेकर की जाने वाली कार्रवाई का दबाव कम होगा। पुलिस संगठित एवं जघन्‍य अपराधों को नियंत्रित करने पर अपनी पूरी ऊर्जा से काम कर सकेगी। उन्‍होंने कहा कि प्रथम दृष्‍टया सामाजिक अपराध के लिए मोबाइल फोन, सोशल मीडिया, इंटरनेट, रील वीडियो और पहनावे आदि को दोषी जरूर है, लेकिन परिवारों में पैदा होने वाला अलगाव भी इसकी बड़ी वजह है। तेजी से संयुक्‍त परिवार समाप्‍त हो रहे हैं। एकल परिवारों के कारण परिवारों में तनाव पैदा हो रहे हैं। परिवार में होने वाला विचार विमर्श लगभग समाप्‍त हो गया है। हर व्‍यक्ति अकेलेपन और अलगाव का शिकार हो रहा है। तनावग्रस्‍त है। जरूरत है परिवारिक विमर्श को फिर से शुरू करने की। बुजुर्गों के अनुभव का हर परिवार को लाभ लेना चाहिए। उनकी बातों की गंभीरता को आज के परिवेश पर परखना चाहिए। बच्‍चों की बालिग होने पर सादगी से शादी करे एवं फिजुलखर्च से बचे। सामाजिक रिश्‍तों और परिवारिक रिश्‍तों के अन्‍तर को समझना बेहद जरूरी है।

ऑलनाइन जुए की लत युवाओं में तेजी से बढ़ रही है : इकलाख अब्‍बासी 

दादरी के एक अन्‍य समाजसेवी इकलाख अब्‍बासी ने कहा कि सामाजिक बुराईयों से समाज के जिम्‍मेवार लोगों को मुंह नहीं छिपाना चाहिए। यह एक सच्‍चाई है जिसको पूरे देश का हर समाज सामना कर रहा है। इन विषयों पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। दादरी में आयोजित यह बैठक वास्‍तव में इस दिशा में एक सकारात्‍मक कदम है। उन्‍होंने बैठक में अपने विचार रखते हुए कहा कि युव वर्ग अपनी ऊर्जा को बर्बाद कर रहा है। दादरी में युवा वर्ग तेजी से ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन जुए के मकड़जाल में फंस रहा है। कई मामलों में देखा गया है कि युवाओं के द्वारा कर्ज लेकर ऑनलाइन गेम और जुआ खेला गया है। इस तरह के कृत्‍य अधिकांशत: आपसी विवाद और हिंसा के कारण भी बनते हैं। युवाओं की ऊर्जा की इस प्रकार ह्रास समाज में दबाव और तनाव पैदा कर रहा है। किसी भी देश के लिए युवा ऊर्जा का सदुपयोंग शुभ संकेत है। लेकिन जिस प्रकार दादरी में युवा ऑनलाइन गेमिंग ओर जुए का शिकार हो रहे हैं , यह वाकई में चिंताजनक स्थिति है।

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