खाद्य और पेय पदार्थों में मानव मूत्र और थूक मिलाने की घटनाएं : योगी सरकार के फैसले को लागू करने की उठने लगी मांग
Incidents of mixing human urine and spit in food and drinks : demand for implementation of Yogi government's decision started rising

Panchayat 24 : गायिजाबाद के लोनी कस्बे में आमिर खान नामक जूस कॉर्नर संचालक द्वारा जूस में मूत्र मिलाकर ग्राहकों को दिए जाने की खबर ने पूरे देश को विचलित कर दिया। यह पहली घटना है जिसमें खाद्य एवं पेय पदार्थों में थूकने और मूत्र मिलाने की बात सामने आई है। ऐसा भी नहीं है कि इस तरह की घटनाएं केवल भारत में ही घट रही हैं। ब्रिटेन जैसे आधुनिक विचार रखने वाले समाज में भी एक होटल में खाने में मानव मल मिलाए जाने की खबरें सामने आई है। ऐसे में यह घटनाएं किसी भी व्यक्ति को विचलित करती है। इन घटनाओं में एक बात कॉमन है कि आरोपी मुस्लिम धर्म के अनुयायी हैं।
हालांकि किसी धर्म विशेष से अपराधियों का संबंध होने से यह तय नहीं होता है कि सारा सामाज ही अपराधी है। ऐसे ही खाद्य एवं पेय पदार्थों में थूक, मल एवं मूत्र मिलाकर अन्य लोगों के सामने परोसने वाले भले ही मुस्लिम धर्म के अनुयायी निकले हो, इसका यह तात्पर्य कतई नहीं हो सकता कि इस तरह के कृत्य को करने में पूरा मुस्लिम समाज दोषी है। बल्कि इन घटनाओं ने मुस्लिम समाज के सामने एक नए तरह की समस्या पैदा कर दी है। इससे सामाजिक ताने बाने में तनाव पैदा होता है। दरअसल, एक कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है, ऐसे में बाजार में कारोबार कर रहे दूसरे मुस्लिमों पर न चाहते हुए भी इन घटनाओं का असर पड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
यदि ऐसा है तो देश के समाज में वैचारिक एवं व्यवहारिक बंटवारे का भाव पैदा हो होगा। मुस्लिम समाज के अच्छे लोगों को बिना किसी गलती के इन घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों की करतूतों का परिणाम भुगतना पड़ेगा। यदि ऐसी घटनाएं लगातार घटती रही तो मुस्लिम समाज से दूसरे समाज के लोग अंदरूनी दूरी बनानी शुरू कर देंगे। ऐसे में उनका कारोबार और व्यवहार प्रभावित होगा। इसका सबसे बुरा असर देश की एकता और मानवीय संबंधों पर होगा। लेकिन कुछ लोगों को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। या कहे कि ऐस लोग उस स्तर का विचार नहीं करते हैं।
भारतीय संस्कृति में खाद्य पदार्थों की पवित्रता का विचार निहित है। अन्न और जी को देवता माना गया है। यदि भूल से भी खाद्य पदार्थ का अपमान हो जाए तो तुरन्त अपनी भूल स्वीकार कर ली जाती है। खाद्य एवं पेय पदार्थ जनस्वास्थ्य से जुड़ा हुआ विषय है। इस तरह की घटनाएं देश की नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। ऐसे में देश में आए दिन खाद्य पदार्थों में थूक, एवं मानव मूत्र मिलाए जाने की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग कौन हैं ? किसी एक या दो स्थानों पर ऐसी घटनाएं घटती हैं तो माना जा सकता है कि किसी मानसिक विकृति से ग्रस्ति या कुठित विचारधारा के व्यक्ति इसके लिए जिम्मेवार हैं।
जब देश के अलग अलग हिस्सों में एक जैसी घटनाएं घट रही हो। सभी घटनाओं का पैटर्न एक जैसा हो, फिर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। इन घटनाओं को लेकर देश भर में अब सवाल उठ रहे हैं। लोग इन घटनओं को एक धर्म द्वारा दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ षडयंत्र मान रहे हैं। लोग अपराधियों को फांसी की सजा दिए जाने की वकालत कर रहे हैं। यदि यह घटनाएं किसी षडयंत्र का हिस्सा हैं तो सवाल उठता है कि इसके पीछे कौन है ? इन लोगों का ऐसी घटनाओं के पीछे का उद्देश्य क्या है ? क्या ऐसी घटनाओं के पीछे देश में धार्मिक आधार पर लोगों को लड़ाने की साजिश हो रही है ?
ऐसी घटनाओं से लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। भले ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले पर एक तरह से रोक लगा दी हो। लोग जोर शोर से ऐसे कानून की मांग करने लगे हें। बता दें कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने कांवडियों के भोजन की पवित्रता को बनाए रखने के लिए कांवड यात्रा के रास्ते में होटल संचालकों, ढाबा संचालकों सहित खाद्य एवं पेय पदार्थ बेचने वालों को अपने संस्थानों और दुकानों के बाहर अपना और अपने कर्मचारियों का नाम लिखने की बात कही गई थी।