गौतम बुद्ध नगर लोकसभा : जातीय समीकरण साधने में जुटी बसपा खेलेंगी ठाकुर चेहरे पर दांव ? राजेन्द्र सिंह सोलंकी होंगे उम्मीदवार ?
Gautam Buddha Nagar Lok Sabha: Will BSP, which is trying to solve caste equation, play a bet on Thakur's face? Will Rajendra Singh Solanki be the candidate?

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर लोकसभा पर जैसे जैसे राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर रहे हैं, वैसे वैसे लोकसभा चुनाव की रोचकता बढ़ने लगी है। भाजपा और सपा के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होने के बाद सभी की निगाहें अब बसपा के उम्मीदवार के नाम की घोषणा पर टिकी हुई है। बसपा उम्मीदवार चयन में कदम फूंक फूंक कर आगे बढ़ रही है। करीबी सूत्रों की माने तो मायावती ने ठाकुर चेहरे के रूप में राजेन्द्र सिंह सोलंकी पर अंतिम दांव खेलने का मन बना लिया है। हालांकि बसपा प्रत्याशी के नाम की अभी अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। सभी को इसका इंतजार है। बता दें कि तीन दिन पूर्व भारतीय किसान यूनियन (अंबावत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल सिंह अंबावत का नाम तेजी से बसपा के उम्मीदवार के रूप में चला था। सूत्रों के अनुसार लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण साधने के लिए पार्टी ने ठाकुर चेहरे की तलाश शुरू की है। पार्टी चाहती है कि यहां से कोई ठाकुर पार्टी उम्मीदवार हो।
कौन हैं राजेन्द्र सिंह सोलंकी ?
दरअसल, राजेन्द्र सिंह सोलंकी मूलरूप से खुर्जा के रहने वाले हैं। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट के अन्तर्गत आने वाली सिकन्द्रबाद विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। उन्होंने छात्र जीवन से यूथ कांग्रेस से अपनी राजनीति शुरू की थी। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था। वह नौंवी उत्तर प्रदेश विधानसभा में मार्च 1985 से लेकर नवंबर 1989 तक विधायक रहे थे। दसवीं विधानसभा चुनाव में उन्हें जनता दल के प्रत्याशी नरेन्द्र भाटी ने चुनाव हराया था। इसके बाद उन्होंने खुर्जा विधानसभा सीट से भी विधायक का चुनाव लड़ा था जिसको वह हार गए थे। हालांकि बीच में उन्होंने कल्याण सिंह से करीबी संबंधों के चलते भाजपा भी ज्वाइन की थी। बाद में वह कांग्रेस में लौट गए। सूत्रों के अनुसार यदि बसपा नेतृत्व उनके नाम पर अपनी मुहर लगाता है तो राजेन्द्र सोलंकी बसपा ज्वाइन करके चुनावी मैदान में ताल ठोकेंगे। यह भी बताया जा रहा है कि राजेन्द्र सोलंकी ने बसपा का दामन थाम लिया है। उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा होने के से पूर्व उनके बसपा में शामिल होने की घोषणा भी कर दी जाएगी। जानकारी के अनुसार राजेन्द्र सिंह सोलंकी की मायावती और उनके भाई आनन्द से बैठक भी हुई है। इस बैठक की रूप रेखा आनन्द एवं मायावती के एक करीबी ने तय की है। यह करीबी दिल्ली एनसीआर में एक बड़ा नाम है।
ठाकुर चेहरे पर बसपा लगाने जा रही है मुहर ?
जानकारी के अनुसार भाजपा द्वारा ब्राह्मण और सपा द्वारा गुर्जर मतदाता को चुनावी मैदान में उतारने के बाद बसपा किसी ठाकुर चेहरे को अपना उम्मीदवार बना सकती है। दरअसल, गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर चुनावी राजनीति ब्राह्मण, गुर्जर और ठाकुर के इर्दगिर्द ही अधिक घूमती रही है। इस सीट पर लगभग पांच से छ: लाख गुर्जर मतदाता है। लगभग इतने ही मतदाता ठाकुर हैं। वहीं, चार लाख के करीब ब्राह्मण मतदाता है। अभी ठाकुर समाज से कोई भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं है। ऐसे में बसपा का शीर्ष नेतृत्व लोकसभा सीट के जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सठाकुर समाज के दावेदार पर बसपा अंतिम मुहर लगा सकती है। बसपा ठाकुर उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारकर, ठाकुर, दलित, मुस्लिम और गुर्जर मतदाताओं के गठजोड़ के आधार भाजपा को चुनौती पेश करने का प्रयास करेगी। पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा विरोध और समाजवादी पार्टी के घटनाक्रम से बसपा चुनावी लाभ उठाने का प्रयास करेगी।
मायावती की गृह लोकसभा पर पार्टी का परचम लहराना चुनौती
बता दें कि गौतम बुद्ध नगर बसपा प्रमुख मायावती का गृह जनपद है। बादलपुर उनका पैतृक गांव है। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा के अस्तित्व में आने से पूर्व यह सीट खुर्जा लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। उस समय जब गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट के अन्तर्गत आने वाली कई विधानसभा सीटों पर बसपा का कब्जा था। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह इस सीट का नाम गौतम बुद्ध नगर लोकसभा हो गया। इस सीट के अन्तर्गत नोएडा, दादरी, जेवर, सिकन्द्रबाद और खुर्जा विधानसभाएं आती हैं। नए परिसीमन के बाद गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट की दादरी और जेवर विधानसभा सीटों पर बसपा का कब्जा था। साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर यह बसपा का स्वर्णिम दौर था। इसके बाद यहां बसपा के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आ रही है। वर्तमान में गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। लोकसभा की पांचों विधानसभाएं भी भाजपा के ही कब्जे में है। ऐसे में मावती के गृह जनपद की लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करना बसपा के लिए एक चुनौती है।