ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

ग्रेटर नोएडा में नामोली जमीन विवाद में नया मोड़ : क्‍या किसी रणनीति के तहत बेची जा रही है जमीन ? क्‍या है पूरा मामला ?

New twist in Namoli land dispute in Greater Noida: Is the land being sold as part of a strategy? What is the whole matter?

Panchayat 24 : क्‍या ग्रेटर नोएडा की नमोली गांव की लगभग तीन सौ एकड़ जमीन से जुड़ा विवाद नए चरण में प्रवेश कर रहा है। ऐसा कहने का कारण टी-सीरीज समूह द्वारा इस जमीन की बिक्री करने जैसी सूचना है। टी-सीरीज से जमीन खरीदने वाला पक्ष जमीन पर कब्‍जा लेने ग्रेटर नोएडा पहुंचा। नमोली गांव की जमीन पर मालिकाना हक का दावा करने वाले किसान भी मौके पर पहुंच गए। टी-सीरीज समूह से जमीन खरीदने वाले पक्ष ने जिला प्रशासन से जमीन पर कब्‍जा दिलवाने की मांग की है। प्रशासन मामले की जांच कर रहा है।

दरअसल, ग्रेटर नोएडा के नमोली गांव स्थित लगभग तीन सौ एकड़ जमीन वर्तमान में सबसे ज्‍वलंत एवं विवादित मुद्दे का केन्‍द्र बनी हुई है। यह प्रकरण ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण, टी-सीरीज समूह और किसानों के बीच फंसा हुआ है। प्राधिकरण 60 मीटर चौड़ी सड़क के माध्‍यम से एलजी  चौराहे को नॉलेज पार्क के साथ हिन्‍डन नदी पर बनने वाले पुल के माध्‍यम से नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्‍सप्रेस-वे और नोएडा के कई सेक्‍टरों को जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। सड़क का लगभग 1.5 किमी हिस्‍सा नमोली गांव की जमीन से होकर गुजरेगा। इससे ग्रेटर नोएडा और नोएडा के विभिन्‍न सड़क मार्गों और कई मुख्‍य चौराहों पर जाम की समस्‍या का समाधान हो जाएगा। वहीं, टी-सीरीज कंपनी इस जमीन पर अपने मालिकाना हक का दावा करते हुए प्राधिकरण के सामने कुछ शर्ते रखी हैं। टी-सीरीज समूह का स्‍पष्‍ट कहना है यदि प्राधिकरण उनकी शर्तों को नहीं मानता है तो यहां होने वाले निर्माण कार्य का विरोध करेंगे।

वहीं, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण मामले में अपना रूख स्‍पष्‍ट कर चुका है। प्राधिकरण का कहना है कि यह जमीन उनके अधिसूचित क्षेत्र में स्थित है। यह जमीन उनके नियोजन का हिस्‍सा है। किसी भी निजी संस्‍थान के ले-आउट प्‍लान को स्‍वीकृति प्रदान करने का सवाल ही नहीं उठता। यह विधि विरूद्ध है। इसके अतिरिक्‍त  इस जमीन पर मालिकाना हक का दावा करने वाला एक अन्‍य पक्ष गाजियाबाद के कोतवालपुर गांव के किसान भी हैं। किसानों का कहना है कि यह जमीन उनकी है। किसान गुर्जरपुर गांव के पास लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

टी-सीरीज समूह का कहना है कि वह सड़क निर्माण का विरोध नहीं कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सड़क निर्माण में प्रयोग होने वाली जमीन का उन्‍हें मुआवजा दिया जाए। वहीं, उनकी शेष जमीन को प्राधिकरण फ्री होल्‍ड में मान्‍यता देकर उनके ले-आउट प्‍लान को स्‍वीकृति प्रदान कर दे। वहीं, किसानों का कहना है सन 1945 में उनके पूर्वजों ने इस जमीन को खरीदा था। कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से टी-सीरीज कंपनी ने साल 1987 में दस्‍तावेजों में हेरफेर करके इस जमीन को अपने नाम पर दर्ज करा लिया था। धरनारत किसान भी मामले की निष्‍पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

हालांकि इस बीच जनहित को देखते हुए जिला प्रशासन एलजी चौक को नॉलेज पार्क से जोड़ने वाली सड़क के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में जुटा है। इस बीच जानकारी मिली है कि टी-सीरीज समूह की ओर से इस जमीन की टुकड़ों में पिछले कुछ महीनों में बिक्री की गई है। धरनारत किसानों की माने तो इस प्रकार की कुल 14 रजिस्ट्रियों की जानकारी उनके पास है हुई हैं। किसानों का कहना है कि जब मामला न्‍यायालय में विचाराधीन है तो इस तरह धोखाधड़ी करके जमीन की रजिस्‍ट्री करना गैरकानूनी है। सूत्रों की माने तो नमोली गांव की विवादित जमीन की रजिस्‍ट्री का मामला सामने आने पर जिला प्रशासन ने इस जमीन की रजिस्‍ट्री पर रोक लगा दी है।

नमोली गांव की जमीन की रजिस्‍ट्री की खबर के बाद कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। टी-सीरीज अथवा नमोली जमीन से जुड़ा कोई अन्‍य पक्ष जमीन को बेचने के पीछे क्‍या उद्देश्‍य है ? यदि न्‍यायालय में मामला लंबित है तो जमीन की बिक्री कैसे की जा सकती है ? क्‍या प्रकरण में अधिक से अधिक पक्ष तैयार कर शासन- प्रशासन तथा सरकार पर मामले के समाधान के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है ? नमोली की जमीन को बेचकर उंगली टेढी करके घी निकालने की नीति पर काम किया जा रहा है ?

वहीं, टी-सीरीज कंपनी का कहना है कि टी-सीरीज कंपनी द्वारा अपनी जमीन के किसी भी हिस्‍से को नहीं बेचा है। कंपनी ने किसानों पर मामले को विवादित बनाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि किसानों ने उनकी जमीन का डवलपमेंट राइट तीसरे पक्ष को गैर कानूनी तरीके से दे दिए हैं। जबकि इस जमीन का केस न्‍यायालय में हार चुके हैं। टी-सीरीज कंपनी मामले में कानूनी कार्रवाई करेगी। वहीं, कंपनी का कहना है कि नमोली गांव की जमीन के समाधान के लिए उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश शासन से गुहार लगाई है। उन्‍हें मामले के समाधान का आश्‍वासन दिया गया है।

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