समाजवादी पार्टी हुई भटकाव की शिकार : उम्मीदवार बदलने के फैसले पर उठ रहे सवाल, दूरगामी होंगे परिणाम
Samajwadi Party becomes a victim of distraction: Questions are being raised on the decision to change the candidate, the consequences will be far reaching.

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर सपा ने डॉ महेन्द्र सिंह नागर को पार्टी प्रत्याशी बनाए जाने के महज तीन दिन बाद ही टिकट बदल दिया। पार्टी नेतृत्व ने डॉ महेन्द्र सिंह नागर के स्थान पर राहुल अवाना को पार्टी प्रत्याशी घोषित कर दिया है। यह मामला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक पंडितों का माना है कि सपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा भले ही इस फैसले को पार्टी के पक्ष में लिया हुआ मान रहा हो, लेकिन वर्तमान में प्रतीत हो रहा है कि समाजवादी पार्टी भटकाव की शिकार हो गई है। पार्टी के फैसले ने खुद पार्टी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। पार्टी नेतृत्व की निर्णय क्षमता पर भी वाल उठ रहे हैं। गौतम बुद्ध नगर में सपा का यह कदम राजनीति को प्रभावित करने वाला और दूरगामी परिणाम वाला माना जा रहा है।
क्या है पूरा मामला ?
गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर सपा में चल रहे नाटकीय घटनाक्रम का बुधवार को उम्मीदवार बदले जाने के बाद पटाक्षेप हो गया। पार्टी ने मैराथन विचार मंथन के बाद डॉ महेन्द्र सिंह नागर को पार्टी उम्मीदवार बनाया था। बीते 16 मार्च को पार्टी नेतृत्व की ओर से उनके नाम की घोषणा की थी। लोकसभा सीट पर पार्टी का एक धड़ा लगातार डॉ महेन्द्र नागर की दावेदारी का लगातार विरोध कर रहा था। डॉ महेन्द्र सिंह नागर का टिकट बदले जाने की चर्चाओं का बाजार गर्म था।
जिले में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी लगातार इस बात को कह रहे थे कि डॉ महेन्द्र नागर पार्टी के उम्मीदवार है। पार्टी उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी। इसके बावजूद सबकुछ ठीक नहीं लगा रहा था। हालांकि राजनीतिक गलियारों में उठ रहे सवालों के चलते सपा ने मंगलवार को जिला कार्यालय पर एक बैठक का आयोजन किया। बैठक में लोकसभा चुनाव की रणनीति पर विचार हुआ। पार्टी प्रत्याशी डॉ महेन्द्र नागर ने भी जनसंपर्क शुरू कर दिया था। लेकिन बुधवार का दिन उनके अनुकूल नहीं गुजरा और पार्टी नेतृत्व ने उनके स्थान पर राहुल अवाना को गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया।
एक अकेला राहुल अवाना, दिग्गजों पर पड़ा भारी
सपा का टिकट बदले जाने के बाद जिले में पार्टी के लोगों को बड़ा झटका लगा है। शुरूआत से ही टिकट के दावेदारों में डॉ महेन्द्र नागर और राहुल अवाना का नाम चल रहा था। एक ओर अकेला राहुल अवाना पार्टी नेतृत्व के सामने अपने समर्थकों के साथ टिकट पाने के लिए पूर ताकझ झोंके हुए था। वहीं, डॉ महेन्द्र सिंह नागर के पक्ष में पार्टी की गौतम बुद्ध नगर इकाई के सभी दिग्गज नेता खड़े हुए थे। इनमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी, फकीरचंद नागर, इंदर नागर, वीर सिंह यादव, सुनील चौधरी और जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल हैं। यहां तक की जिला संगठन की ओर से भेजी गई रिपोर्ट और शीर्ष नेतृत्व के साथ जिले के कार्यकर्ताओं के साथ हुई चर्चा में भी डॉ महेन्द्र सिंह नागर का ही नाम प्रमुखता से रखा गया था।
डॉ महेन्द्र सिंह नागर को पार्टी का टिकट दिए जाने की घोषणा के बाद महसूस हो रहा था कि जिले में पार्टी उसी पटरी पर आगे बढ़ेगी जिस पर पार्टी के स्थानीय वरिष्ठ एवं दिग्गज नेता चाहेंगे। लेकिन टिकट बदले जाने के बाद अकेला राहुल अवाना गौतम बुद्ध नगर में पार्टी के दिग्गजों और वरिष्ठ नेताओं पर भारी पड़ गया है। जानकारों का मानना है कि जिले में स्थानीय स्तर पर भले ही राहुल अवाना के पक्ष में माहौल नहीं था, लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर उसकी पैरोकारी बहुत मजबूत थी। इसी पैरोकारी का परिणाम है कि डॉ महेन्द्र नागर को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही वह टिकट बदलवाने की जिद पर अड़े हुए थे। अंत में परिणाम भी उनके अनुकूल रहा।
आत्मघाती साबित हो सकता है समाजवादी पार्टी का फैसला
सपा द्वारा लोकसभा प्रत्याशी बदले जाने का फैसला पार्टी के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर पार्टी को कभी सफलता नहीं मिल सकी है। लोकसभा की पांचों विधानसभाओं पर वर्तमान में भाजपा की ही कब्जा है। इसी लिए गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट को भाजपा का गढ कहा जाता है। इसके बावजूद सपा यहां दूसरे नंबर की पार्टी है। भाजपा के विपक्ष के तौर पर लोगों के पास सपा ही एक विकल्प रही है।
पार्टी द्वारा उम्मीदवार बदलने जाने के बाद जनता के बीच नकरात्मक संदेश गया है। यह बात सही है कि डॉ महेन्द्र नागर चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं थे। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि राहुल अवाना भाजपा उम्मीदवार को टक्कर देने की स्थिति में हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि राहुल अवाना डॉ महेन्द्र सिंह नागर जितना मजबूत चुनाव लड़ पाएंगे ?
सपा के इस फैसले ने जिले में पार्टी के अंदर गुटबाजी के बीज भी बो दिए हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव में पार्टी संगठन के एक जुट होने पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है ? जिले में लोगों से जुड़ने और उनका विश्वास हासिल करने के लिए संघर्ष करती दिख रही सपा के सामने आम जनता के बीच विश्वसनियता का भी सवाल खड़ा हो गया है। इस पूरे घटनाक्रम का सबसे बुरा असर पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पडेगा। लोकसभा चुनाव में पार्टी कार्यकर्ता उस उत्साह के साथ मेहनत कर सकेंगे, इस पर भी संशय है। जानकारों का मानना है कि जिले में समाजवादी पार्टी कांग्रेस जैसी दुर्दशा की ओर बढ़ रही है।
समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सामने जिले में क्या है विकल्प ?
सपा के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के स्थानीय दिग्गजों के सर्मथन के बावजूद राहुल अवाना को डॉ महेन्द्र नागर का टिकट बदलकर गौतम बुद्ध नगर से उम्मीदवार बनाया है। जानकार इस फैसले को एक संकेत के रूप में देख रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सपा गौतम बुद्ध नगर में लोकसभा चुनाव के बाद कुछ विकल्पों पर विचार कर सकती है। पार्टी जिले में नए चेहरों को आगे बढ़ा सकती है। इसका प्रभाव पार्टी के दिग्गज और पुराने चेहरों पर पड़ेगा।
दरअसल, सपा के लिए गौतम बुद्ध नगर में अच्छे अनुभव नहीं रहे हैं। जिले में पार्टी चंद चेहरों के आसपास घूम रही है। पार्टी ने इन नेताओंं पर कई बार दांव चला, लेकिन सफलता नहीं मिली। वहीं, इनके कारण पार्टी के अगली पीढ़ी के कार्यकर्ताओं को भी मौके नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे इनके मन में कुण्ठा का भाव उभर रहा है। राहुल अवाना को इसी अगली पीढी का नेता माना जा रहा है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पार्टी नेतृत्व के लिए पुराने चेहरों और बड़े नेताओं की अनदेखी आसान नहीं होगी। दरअसल, जिले में पार्टी का कैड़र बहुत मजबूत नहीं है। शहरी क्षेत्र में संगठन अपनी पहुंच नहीं बना सका है। जिला संगठन संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में अनुभवी और पुराने नेताओं के स्थान पर नए चेहरों पर दांव लगाना पार्टी को भारी पड़ सकता है।
भाजपा उम्मीदवार की बड़ी जीत के दरवाजे खुल गए हैं ?
सपा के उम्मीदवार बदलने के फैसले के बाद जिले में तेजी से राजनीतिक समीकरण बदले हैं। सपा की अंदरूनी उठापठक काभाजपा प्रत्याशी को बड़ा लाभ होता हुआ दिख रहा है। सपा के फैसले ने भाजपा प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा की बड़ी जीत के दरवाजे खोल दिए हैं।
दरअसल, जिले की राजनीति गुर्जर ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं के इर्दगिर्द घूमती है। वहीं, बाहरी मतदाता भी केन्द्रीय भूमिका में होते हैं। पीडीए विचार के चलने के कारण तय था कि सपा यहां से पिछड़ा वर्ग के दावेदार को ही उम्मीदवार बनाएगी। इस कड़ी में गुर्जर समाज का उम्मीदवार ही सपा के लिए बेहतर विकल्प दिख रहा था। यही कारण है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने गुर्जर दावेदारों के अतिरिक्त किसी अन्य दावेदार के नाम पर गंभीरता से विचार ही नहीं किया। अंत में दो गुर्जर दावेदार अर्थात राहुल अवाना और डॉ महेन्द्र नागर के नाम पर ही गहन मंथन के बाद पार्टी ने डॉ महेन्द्र नागर को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
सपा ने तीन दिन बाद ही दूसरे गुर्जर उम्मीदवार राहुल अवाना को डॉ महेन्द्र नागर के स्थान पर उम्मीदवार बना दिया। पार्टी ने भले ही गुर्जर से गुर्जर का टिकट बदला हो लेकिन इससे सपा को भारी नुकसान होने की संभावनाएं पैदा हो गई है। दरअसल, जिले में गुर्जर समाज के कई गौत्र है। लेकिन गुर्जर राजनति अधिकांशत: भाटी और नागर गौत्र को ही केन्द्र में रखकर आगे बढ़ती है। टिकट बदले जाने से पूर्व गुर्जर मतदाताओं का आचरण कैसा रहता, यह अलग विषय है, लेकिन डॉ महेन्द्र नागर का टिकट बदला जाना नागर गौत्र के मतदाताओं पर भावनात्मक असर डालेगा। इससे नागर गौत्र के मतदाताओं की सपा के खिलाफ जाने की प्रबल संभावनाएं उत्पन्न हो गई हैं। इसका प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष लाभ भाजपा को होता दिख रहा है।