यमुना प्राधिकरण की किसानों को बड़ी सौगात, दशकों का काम महीनों में होगा पूरा, दलालों से मिलेगी मुक्ति
Yamuna Authority's big gift to farmers, decades of work will be completed in months, will get freedom from middlemen

Panchayat 24 : यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण किसानों की समस्याओं को देखते हुए बड़ी सौगात किसानों को देने जा रहा है। इस संबंध में प्राधिकरण जल्द ही एक योजना लाने जा रहा है। योजना के लागू होते ही दशकों से भटक रहे किसानों को चिंता से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं, किसानों को दलालों के मकड़ जाल से भी मुक्ति मिलेगी। इतना ही नहीं नीति के सही से लागू करने के लिए विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारियों की जिम्मेवारियां भी तय की गई हैं। प्राधिकरण की स्थापना के बाद से ही दस्तावेज हाथ में लेकर प्राधिकरण के चक्कर लगाने वाले किसानों के लिए यह एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, प्राधिकरण द्वारा किसानों की जमीन का बैनामा किए जाने के बाद सात प्रतिशत भूखंड के आवंटन को लेकर एक लंबी एवं जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। यह प्रक्रिया इतनी बोझिल, जटिल एवं लंबी होती है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण की स्थापना के बाद से ही बड़ी संख्या में किसान भूखंड आवंटन के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यालयों के अभी तक चक्कर लगाते हुए देखे जा सकते हैं। कई बार किसान सात प्रतिशत भूखंड के आवंटन की थका देने वाली सालों लंबी प्रक्रिया से बचने के लिए किसान दलानों के चंगुल में फंस जाते हैं। ऐसे में किसानों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मुआवजा अथवा भूखंंड से किसानों को हाथ धोना पड़ता है।
क्या है प्राधिकरण की किसान हितैषी नीति ?
प्राधिकरण किसानों को अधिकतम 11 महीने में सात प्रतिशत भूखंड को विकसित करके देने की दिशा में काम कर रहा है। प्राधिकरण द्वारा किसान से जमीन का बैनामा किए जाने के साथ ही मुआवजा राशि के साथ सात प्रतिशत भूखंड के संबंध में एक आरक्षण पत्र संलग्न किया जाएगा। किसान चाहेगा तो बैनामे के समय ही भूखंड का दस प्रतिशत डवेलपमेंट चार्ज जमा कर सकेगा अन्यथा जिस दिन वह भूखंड का आवंटन चाहेगा, यह विकास शुल्क जमा करना होगा। यह आरक्षण पत्र किसान के पास सुरक्षित होगा। इसका लाभ किसान को यह होगा कि जब भी उसको भूखंड आवंटन कराना होगा, वह प्राधिकण में आरक्षण पत्र को स्वंय प्रस्तुत करेगा। किसान को अधिकारियों और कर्मचारियों के अपनी फाइल के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इससे किसानों का भूखंड तय हो जाएगा। किसानों को प्राधिकरण की नीति के अनुसार अधिकतम ढाई हजार वर्गमीटर और कम से कम 120 वर्गमीटर का भूखंड आवंटित किया जाएगा। यह नीति केवल उन किसानों को ही मिलेगा जिन्होंने प्राधिकरण को जमीन के क्रय के समय सात प्रतिशत भूखंड के स्थान पर 4 हजार 3 सौ वर्गमीटर का मुआवजा नहीं लिया है। अर्थात सात प्रतिशत भूखंड के विकल्प का चयन किया है।
नई नीति के लागू होने से किसानों को जटिल एवं लंबी प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। उन्हें कुछ महीनों में ही सात प्रतिशत विकसित भूखंड मिलेगा। किसानों को इसका लाभ होगा। प्राधिकरण के पक्ष में बैनामा के समय किसानों को सात प्रतिशत भूखंड का एक आरक्षण पत्र सौंपा जाएगा। इसका प्रारूप तैयार किया जा रहा है। जल्द ही यह नीति यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में लागू होगी।
—— डॉ अरूणवीर सिंह, सीईओ, यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण
किसान द्वारा आरक्षण पत्र प्रस्तुत किए जाने के 11 महीने में मिलेगा विकसित भूखंड
संबंधित किसान अपनी सुविधानुसार प्राधिकरण में भूखंड आवंटन के लिए आरक्षण पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसके 90 दिनों के अंदर किसान को भूखंड का प्लाट नंबर आवंटित कर दिया जाएगा। आगामी 8 महनों में किसान को आवंटित किए गए भूखंड को पूर्ण रूप से विकसित करके सौंप दिया जाएगा।
पहले आओ, पहले पाओं के आधार पर आवंटित होगा भूखंड
इससे बेहतर लोकेशन पर भूखंड लगवाने की सिफारिसों से भी छूट मिलेगी। जिस किसान द्वारा पहले प्राधिकरण को बैनामा किया गया है, उसको वरीयता क्रम में भूखंड आवंटित किया जाएगा। अर्थात प्राधिकरण पहले आओं, पहले पाओं के आधार पर भूखंडों का आवंटन करेगा। माना जा रहा है कि इस नीति के लागू होने के बाद किसानों का प्राधिकरण पर विश्वास बढ़ेगा। बेहतर स्थान पर भूखंड आवंटित कराने के लिए किसान प्राधिकरण को जमीन क्रय करने के लिए तैयार होंगे। इससे प्राधिकरण के सामने जमीन क्रय किए जाने की समस्या भी दूर होगीी।
विभागीय एवं अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेवारी होगी तय
यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा नीति को मूलरूप में किसान हित में लागू करने के लिए संबंधित विभागों, अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेवारियां भी तय की गई हैं। यदि नीति को सही से लागू करने में कहीं पर चूक होती है तो उसकी जिम्मेवारी तय की जाएगी। यदि किसान को विकसित भूखंड मिलने में 11 महीने से अधिक का समय लगता है तो उतने समय का किसान को रकम का ब्याज दिया जाएगा। इस रकम की वसूली जिम्मेवार अधिकारी एवं कर्मचारी से की जाएगी।
विशेष समिति की देखरेख में होगी पूरी प्रक्रिया लागू
किसानों को निर्धारित समय सीमा में भूखंड आवंटित किए जाने की पूरी प्रक्रिया एक विशेष समिति की देखरेख में चलेगी। इस समिति में डिप्टी कलेक्टर, ओएसडी, तहसीलदार, प्रबंधक परियोजना विभाग, प्रबंधक नियोजन विभाग, प्रबंधक भू विभाग और एक विधिक अधिकारी शामिल होगा।
29 गांवों के हजारों किसान सात प्रतिशत भूखंड के आवंटन के लिए भटक रहे हैं
यमुना एक्स्प्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की स्थापन से लेकर अभी तक 29 गांवों के लगभग 1.7 हजार किसान सात प्रतिशत भूखंड आवंटन के लिए भटक रहे हैं। हालांकि इनमें से 12 गांवों के किसानों के भूखंड लग चुके हैं। 6 गांवों में किसानों के भूखंड के प्रारंभिक प्रकाशन हो चुके हैं। वहीं, 3 गांवों में भूखंड आवंटन की प्रक्रिया प्रकाशन के द्वितीय चरण में हैं। जबकि 8 गांवों में अभी तक इस दिशा में कुछ काम नहीं हो सका है।