कनाडा-भारत रिश्तों में आई दरार का भारत शिक्षा एक्सपो 2024 में नहीं दिखा असर, कनाड़ा की यूनिवर्सिटी ने लिया भाग
The rift in Canada-India relations did not have any effect on India Education Expo 2024, Canadian universities participated

Panchayat 24 : भारत और कनाड़ा के संबंध वर्तमान में बहुत बुरे दौर से गुजर रहे हैं। यहां तक कि दोनों देशों के बीच राजनयिक और कूटनीतिक संंबंध निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं। इसके बावजूद दोनों देशों के बीच के ताजा हालातों का भारत शिक्षा एक्सपो 2024 में असर दिखाई नहीं दिया। कनाड़ा के नार्थ आईलैंड कॉलेज ने इस आयोजन में हिस्सा लिया।
नार्थ आईलैंड के प्रतिनिधि नीरज मलिक ने कहा कि कनाडा हमेशा से ही दुनिया के छात्रों के लिए शिक्षा ग्रहण करने की पसंद रहा है। हर साल बड़ी संख्या में दुनिया के अलग अलग हिस्सों से छात्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए कनाड़ा आते हैं। इनमें भारतीय छात्रों की अच्छी खासी संख्या होती है। नार्थ आईलैंड कॉलेज को भारत शिक्षा एक्सपो में आए छात्रों का काफी अच्छा रेस्पॉस मिला है। इससे कनाडा में भारतीय छात्रों की अध्ययन करने की रूचि को समझा जा सकता है।
कम खर्च में बेहतर शिक्षा
नीरज मलिक ने बताया कि कई बार दुनिया से कनाड़ा आने वाले छात्र जानकारी के अभाव में शिक्षा पर अत्याधिक खर्च करते हैं। उन्होंने कहा कि कनाड़ा के किसी भी विश्वविद्यालय से चार साल की डिग्री के लिए पढ़ाई करना काफी महंगा होता है। वहीं, कनाडा में एक प्रावधान यह भी है कि पहले छात्र दो साल किसी कॉलेज में पढ़ा़ई करें। उसके बाद दो साल की पढ़ाई विश्वविद्यालय से पूरी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि दो साल की पढ़ाई का कॉलेज की पढ़ाई पर होने वाले खर्च से विश्वविद्यालय पर होने वाला खर्च कई गुना अधिक होता है।
छात्र वीजा कटौती का भारतीय छात्रों पर बहुत अधिक फर्क नहीं होगा
दरअसल, कनाडा सरकार ने छात्र वीजा में 35 प्रतिशत कटौती की घोषणा की है। बता दें कि पिछले सितंबर माह में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडों ने एक्स पर लिखा था कि हम इस बार 35 प्रतिशत स्टूडेंट वीजा दे रहे हैं। अगले साल इसमें 10 प्रतिशत की और कमी की जाएगी। कनाड़ा ने एसडीएस प्रोग्राम को भी समाप्त कर दिया है। भारत एक्सपो में हिस्सा लेने आई नार्थ आईलैंड कॉलेज के प्रतिनिधि नीरज मलिक का कहना है कि कनाड़ा द्वारा छात्र वीजा में कमी अपने घरेलू तथा सामाजिक परिस्थितियों के चलते की है। इस कटौती को केवल भारतीय छात्रों के संदर्भ में नहीं देखना चाहिए। यह पूरी दुनिया से आने वाले छात्रों पर लागू होता है। भारत के छात्रों पर इसका बहुत अधिक असर नहीं होगा।
कनाडा में योग्य छात्रों के लिए रोजगार की कोई कमी नहीं है
नीरज मलिक ने कहा कि पिछले दिनों कुछ इस तरह की खबरें आई थी कि कनाड़ा में रोजगार के अवसर तेजी से घट रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरें सही नहीं है। योग्य छात्रों के लिए कनाड़ा में भरपूर रोजगार के अवसर हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई देख रोजगार में गुणवत्ता को पसंद करता है।
खालिस्तानी समस्या पूरे कनाड़ा में नहीं है, यह चंद लोगों द्वारा पैदा की गई है
कनाडा खालिस्तानियों की शरणस्थली बच चुका है। पिछले कुछ सालों में कनाड़ा में खालिस्तानियों की भारत विरोधी गतिविधियों में तेजी आई है। हाल ही में कनाड़ा के एक हिन्दू मंदिर पर खालिस्तानियों द्वारा हमला कर हिन्दु समुदाय के लोगों को निशाना बनाया था। इसके बाद कनाडा अध्ययन करने जाने वाले छात्रों पर पड़ सकता है जिससे कनाडा जाने का विचार करने वाले छात्रों की संख्या में कमी आ सकती है। इस बारे में नीरज मलिक ने कहा कि कनाड़ा में चंद लोगों का एक समूह है जो इस तरह की गतिविधियां चलाते हैं। इनका कनाड़ा के कुछ हिस्सों में ही प्रभाव है। बाकी कनाड़ा शांत है। यह सबकुछ राजनीतिक है।
भारत-कनाडा के मतभेद राजनीतिक है, शिक्षा एवं व्यापार पर इसका असर नहीं है
नीरज मलिक कहते हैं कि हाल ही में भारत और कनाडा के रिश्तों में आई तल्खी केवल राजनीतिक है। इसका दोनों देखों के व्यापारिक एवं शिक्षा संबंधों पर कोई असर नहीं है। उन्होंने कहा कि कनाड़ा की अर्थव्यवस्था का एक चौथाई हिस्सा दुनिया भर से यहां शिक्षा ग्रहण करने आने वाले छात्रों से ही आता है। इनमें भारतीय छात्रों की अच्छी खासी संख्या है।