कमिश्नरेट पुलिस और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण : तालमेल के अभाव में तुस्याना गांव के भूमाफियाओं की मौज, छः महीने से दर्ज नहीं हो पा रही है प्राधिकरण की एफआईआर
Commissionerate Police and Greater Noida Authority: Due to lack of coordination, Tusyana village land mafias are having a good time, the authority is not able to register FIR for the last six months

Panchayat 24 (राजेश बैरागी, वरिष्ठ पत्रकार) : क्या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट पुलिस के बीच क्षेत्र के भूमाफियाओं पर कार्रवाई को लेकर आपसी तालमेल नहीं है? तुस्याना गांव की सैकड़ों बीघा अधिसूचित और अधिग्रहित भूमि पर अवैध रूप से प्लाटिंग कर रहे भूमाफियाओं के विरुद्ध पिछले छः महीने से कार्रवाई की मांग कर रहे प्राधिकरण की एफआईआर दर्ज नहीं हो पा रही है।
जनपद गौतमबुद्धनगर में तीनों प्राधिकरणों नोएडा, ग्रेट र नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) क्षेत्रों में तेजी से हो रहे विकास के बरअक्स फैल रहे अवैध कॉलोनियों के जंजाल को रोकना मुश्किल होता जा रहा है। प्राधिकरणों में तैनात कर्मचारियों की आवश्यकता से बहुत कम संख्या और उनमें भी अधिकांश कर्मचारियों का भ्रष्ट आचरण तो इस समस्या की जड़ में है ही, कमिश्नरेट पुलिस का असहयोग भी भूमाफियाओं का हौंसला बढ़ा रहा है।
ताजा मामला ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के ठीक बीचों बीच स्थित गांव तुस्याना में सैकड़ों बीघा भूमि पर युद्धस्तर पर अवैध रूप से चल रही प्लाटिंग का है। यहां प्राधिकरण की अधिग्रहित व अधिसूचित भूमि के अलावा सैकड़ों बीघा सरकारी भूमि पर भी भूमाफियाओं द्वारा अवैध रूप से प्लाटिंग कर कॉलोनियां बनाई जा रही हैं । इस गांव के खसरा नं 517, 964, 967, 975, 981, 984, 985,992 व 1007 पर अवैध प्लाटिंग कर रहे 18 लोगों को चिन्हित कर प्राधिकरण के वर्क सर्किल-3 द्वारा छः महीने पहले दिनांक 7/6/2024 को थाना ईकोटेक थर्ड पर पत्र देकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी।
इसके बाद दिनांक 9/10/2024, दिनांक 16/12/2024 व दिनांक 23/12/2024 को पुनः पुनः स्मरण पत्र देकर उक्त लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने तथा आवश्यक कार्रवाई की गुहार लगाई जा रही है, परंतु अभी तक एफआईआर ही दर्ज नहीं हो पाई है। इसके चलते भूमाफियाओं की मौज चल रही है। धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग कर इस महंगे शहर में थोड़ी सी पूंजी से अपना आशियाना बनाने की जुगत में लगे लोगों को ठगा जा रहा है। पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? क्या पुलिस भूमाफियाओं से मिली हो सकती है? क्या पुलिस भूमाफियाओं के झंझट में नहीं पड़ना चाहती है या यह पुलिस के क्षेत्राधिकार से बाहर का मामला है?
दरअसल संबंधित थाना पुलिस के लिए अवैध प्लाटिंग अवैध आमदनी का जरिया तो बन ही जाता है। कोई भूमाफिया पुलिस के संरक्षण के बगैर अवैध कॉलोनी काट ही नहीं सकता है। परंतु यहां एक अलग मामला भी है। कमिश्नरेट पुलिस भूमाफियाओं के साथ प्राधिकरण के अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत से बेहद नाराज बताई जाती है। कुछ पुलिस अधिकारियों ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि प्राधिकरण का फील्ड स्टॉफ भूमाफियाओं के साथ मिलकर अवैध कॉलोनी काटने के काम में शामिल है। अन्यथा पहली ईंट लगने के साथ ही कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है।
भूमाफियाओं से की जाने वाली अवैध वसूली में प्राधिकरण के परियोजना, नियोजन और भूलेख विभागों के कर्मचारी अधिकारी शामिल बताए जाते हैं। इनके विरुद्ध प्राधिकरण द्वारा कोई कार्रवाई न करने से कमिश्नरेट पुलिस भी एफआईआर दर्ज करने में हीलाहवाली करती है। हालांकि प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री लक्ष्मी वी एस ने परियोजना विभाग के ऐसे एक वरिष्ठ प्रबंधक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजने की बात कही है। बहरहाल गांव तुस्याना में भूमाफियाओं द्वारा अवैध कॉलोनियां बसाने का खुला खेल जोरों पर है और प्राधिकरण व पुलिस में तालमेल के अभाव का उन्हें पूरा लाभ भी मिल रहा है।