शर्मनाक : ना मिली एम्बुलेंस न स्ट्रेचर, एचआईवी मरीज को ठेले पर लेकर भटकते रहे परिजन
Shameful: No ambulance nor stretcher from the hospital, the family kept wandering with HIV patient on handcart
Panchayat24 : किसी भी मरीज के लिए उपचार के साथ भावनात्मक लगाव बहुत अहम औषधि होता है। यदि मरीज को यह महसूस हो जाए कि लोग उसकी बीमारी के चलते उससे बच रहे हैं तो वह मानसिक तौर पर टूट जाता है और बीमारी उसपर तेजी से हावी होती है। यही कारण है कि मरीज से चिकित्सक का व्यवहार मधुर और मित्रवत होता है। लेकिन इसके बावजूद गाजियाबाद में एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जब एक एचआईवी और टीबी की मरीज को अस्पताल से न एम्बुलेंश मिली और न ही स्ट्रेचर। पीडि़त परजिनों को मरीज को रिक्शा ठेले पर लेकर भटकना पड़ा। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने मामले की जांच शुरू करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कम्प मच गया है। उपमुख्यमंत्री ने आगामी 25 जून तक मामले की जांच तलब की है।
क्या है पूरा मामला ?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद क्षेत्र में रहने वाली एक महिला टीबी से ग्रस्ति थी। वह उपचार के लिए गायिाजबाद जिला अस्पताल एमएमजी पहुंची। जांच के बाद चिकित्सकों ने बताया कि महिला को टीबी है और वह एचआईवी पॉजिटिव भी है। ऐसे में चिकित्सकों ने महिला को भर्ती होने के लिए कहा, लेकिन परिजन यह कहते हुए घर ले गए कि उसका घर से ही उपचार कराएंगे। तीन दिन बाद अचानक महिला की घर पर तबियत बिगड़ने लगी तो परिजनों ने एम्बुलेंश के लिए कॉल किया लेकिन एम्बुलेंश नहीं पहुंची। महिला की हालत बिगड़ते देख महिला का भाई रिक्शा ठेले पर लेकर लेकर अस्पताल पहुंच गए। इतना ही नहीं वहां पर भी महिला को काफी समय तक स्ट्रेचर मुहैया नहीं कराया गया। चिकित्सकों ने उसकी हालत को देखते हुए मेरठ के लिए रेफर कर दिया। वहीं मामले में उपमुख्यमंत्री के आदेश के बाद जिला प्रशासन और चिकितसा विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है। जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि प्राथमिक जांच में पता चला है कि पीडि़त के परिजनों ने एम्बुलेंश के लिए कोई कॉल नहीं की थी। जैसे ही परिजन महिला को लेकर अस्पताल पहुंचे, तुरन्त स्ट्रेचर उपलब्ध कराया गया। लेकिन महिला की हालत देखते हुए उसे मेरठ के एआरटी सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया। यहीं पर एचआईवी मरीजों का उपचार होता है। इसके अतिरिक्त अस्पताल प्रशासन का कहना है कि तीन दिन पूर्व भी महिला से अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा गया था।