मां भारती के सपूत की शहादत को नमन, एक पिता के जज्बे को सलाम
Salute to the martyrdom of son of Mother Bharati, salute to the spirit of a father
Panchayat24.com : ‘मरकर भी खुशनसीब है वो जो देश पर मिट जाते हैं, सीने पर गोलियां खाकर वो तिरंगे से लिपट जाते हैं’ आज सारा देश अपने सच्चे सपूत मुदासिर अहमद शेख के सर्वोच्च बलिदान को याद कर उन्हें नमन कर रहा है। वहीं मुदासिर अहमद शेख के पिता अहमद शेख के उस जज्बे को सारा देश झुककर सलाम कर रहा है। एक पिता द्वारा बेटे के बलिदान पर कही गई यह बात देश के उन सभी दुश्मनों के लिए संकेत है जो भारत के नागरिकों की देश के प्रति देश भक्ति की भावना से अंजान हैं। अहमद शेख ने बेटे के बलिदान पर कहा मुझे अपने बेटे पर फख्र है कि वह देश के लिए कुर्बान हो गया।
कौन है मुदासिर अहमद शेख?
बारामुला जिले में नियंत्रण रेखा (एसओसी) से सटे उड़ी क्षेत्र के रहने वाले मुदासिर अहमद शेख जम्मु कश्मीर पुलिस के जवान थे। उनके पतिा अहमद शेख सब इंस्पेक्टर के पद से रिटायर्ड है। उनके परिवार में देश भक्ति और कर्तव्य के प्रति समर्पण की भावना संस्कारों में हैं। मुदस्सिर अहमद को सभी ‘बिंदास’ और ‘दबंग’ के नाम से जानते थे। मुदस्सिर को जितना प्रेम अपने देश से था, उतनी ही चिंता अपने स्वजन की भी थी। यही वजह थी कि मुठभेड़ पर जाने से पहले वह अक्सर अपने परिवार को वाइस मैसेज या वाट्सएप के जरिये अपना ख्याल रखने का संदेश भेजते थे।
मुदासिर जम्मु कश्मीर में आतंक की कमर तोड़ने वाले कई आपरेशनों में शामिल रहा था। बारामूला में आतंकवादियों से हुई । मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया था, जो सीमा पार से घुसपैठ करने के बाद श्रीनगर में आत्मघाती हमला करने जा रहे थे। इस मुठभेड़ में मुदस्सिर ने अहम भूमिका निभाई थी। सिर्फ यही नहीं, कई आतंकरोधी अभियानों के साथ पिछले दिनों बारामुला में शराब की दुकान पर हुए आतंकी हमले में लिप्त आतंकी माड्यूल को पकड़वाने वाले दल में भी मुदस्सिर शामिल थे। जम्मु-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने एसपीओ मुदस्सिर अहमद के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। दरअसल, डीजीपी ने हाल ही में बारामूला का दौरा किया था और मुदस्सिर को सम्मानित किया था।
पिता अहमद शेख ने बेटे की शहादत पर कही ऐसी बात, हर किसी का सना गर्व से चौड़ा हो गया
बलिदानी मुदिस्सर अहमद के पिता मकसूद अहमद शेख ने कहा कि मुझे अपने बेटे पर नाज है। मकसूद भी पुलिस से सेवानिवृत्त हुए हैं। याद होगा जब बारामुला पुलिस लाइन में बलिदानी मुदिस्सर अहमद शेख की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी थी तो मकसूद अहमद ने फख्र से सीना चौड़ा कर पास खड़े जवानों से कहा था कि आंसू न बहाओ, मेरा बेटा बलिदान हुआ है, उसने हजारों जिंदगियां बचाई हैं। हमे पता है कि अब वह वापस नहीं आएगा, लकिन हमे उसकी कुर्बानी पर फक्र है कि उसने वतन के लिए जान दी है।
25 जून को मुदासिर की बहन की शादी है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 25 जून को मुदासिर के घर पर उसकी बहन की शादी है। मुदासिर ने 25 मई को अपने छोटे भाई वॉटसअप मैसेज भी किया था। परिवार के लोगों के हालचाल जानने और सबे अच्छे से होने की उम्मीद जताते हुए लिखा था यदि जिंदगी रही तो मुलाकात जरूर होगी, इंशाल्लाह।