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नजूल विधेयक पर विपक्ष ही नहीं अपने भी बन गए भाजपा की बाधा, सरकारी सम्‍पत्ति की लूट मामले में हमाम में सब नंगे है ?

Not only the opposition but even BJP's own people became an obstacle on the Nazul Bill. Everyone is naked in the bath in the matter of looting of government property.

Panchayat 24 : उत्‍तर प्रदेश विधानसभा सत्र में योगी आदित्‍यनाथ सरकार द्वारा बीती बीती 31 जुलाईको विधानसभा में भारी हंगामे के बीच उत्‍तर प्रदेश नजूल सम्‍पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक, 2024 पेश किया था। विधेयक विधानसभा में विरोध के बावजूद पास हो गया। लेकिन विधेयक विधान परिषद में अटक गया। विधेयक को प्रवर समिति के पास भेज दिया गया है। इस विधेयक का विपक्षी दलों सहित भाजपा के कुछ विधायकों और सहयोगी दलों द्वारा भी किया गया है।  ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर उत्‍तर प्रदेश सरकार इस विधेयक को क्‍यों लेकर आई। इसका विरोध क्‍यों किया गया और सरकार इसको पास क्‍यों नहीं करा सकी ?

क्‍या है नजूल सम्‍पत्ति ?

दरअसल, नजूल सम्‍पत्ति उस सम्‍पत्ति का निर्धारण गुलामी के दौर में अंग्रजों द्वारा स्‍वतंत्रता सेनानियों और भारतीयों के शोषण के लिए किया था। ब्रिटिश शासन में खिलाफ विद्रोह करने वाले राजाओं को युद्ध में हराकर उनकी रियासतों और सम्‍पत्ति को जब्‍त कर लेते थे। ऐसी सम्‍पत्तियों पर लगान लगाया जाता था। लगान नहीं चुकाने की स्थिति में उस सम्‍पत्ति का मालिकाना हक अंग्रेजों का हो जाता था। उस सम्‍पत्ति को अंग्रेज ने 1895 के गवर्नमेंट ग्राण्‍ड एक्‍ट के अन्‍तर्गत मामूली किराए पर लीज पर दे दी। इस लीज की अवधि 90 वर्ष तक थी। भारत की आजादी के बाद अंग्रेजों ने इन सम्‍पत्तियों पर भी अपना अधिकार खोर दिया। ऐसे में इन सम्‍पत्तियों के वास्‍तविक स्‍वामी  इन सम्‍पत्तियों पर अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर सके। उनके पास इस संबंध में कोई भी दस्‍तावेज नहीं थे। अत: ऐसी सम्‍पत्तियों को नजूल सम्‍पत्ति के रूप में परिभाषित किया गया। इन सम्‍पत्तियों पर राज्‍य सरकारों का मालिकाना हक प्राप्‍त हुआ।

उत्‍तर प्रदेश का नजूल सम्‍पत्ति विधेयक क्‍या है ?

उत्‍तर प्रदेश विधानसभा में उत्‍तर प्रदेश नजूल सम्‍पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक, 2024 पारित हुआ था। योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने इस विधेयक का मुख्‍य उद्देश्‍य नजूल भूमि की रक्षा करना बताया। सम्‍पत्ति को किसी भी तरह से निजी हाथों में जाने से रोकना है। इसका उद्देश्‍य केवल और केवल सार्वजनिक हित में नजूल सम्‍पत्ति का उपयोग करना बताया गया है। इस सम्‍पत्ति पर पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण स्‍थापित करना है।

विधेयक पर राजनीतिक मजबूरियां सरकार के सामने आई ?

इस विधेयक का भाजपा के सहयोगी दलों और कुछ भाजपा के विधायकों द्वारा भी विरोध किया जा रहा था। इस विधेयक पर भाजपा के विधायकों और कई मंत्रियों ने योगी आदित्‍यनाथ को अपनी चिंताओं से अवगत कराया था। इस विषय पर भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष भूपेन्‍द्र चौधरी, उपमुख्‍यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य के बीच भी बैठक हुई थी। विधेयक के लाभ हानि पर विचार करने के बाद तय हुआ कि भूपेन्‍द्र चौधरी विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के लिए प्रस्‍ताव रखेंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस विधेयक  को लाने के पीछे सरकार का उद्देश्‍य पवित्र हो है। लेकिन कानून बनने के बाद इसका दुरूपयों होने की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। जिन राजनीतिक हालातों में विधेयक को लाया गया है उससे राजनीतिक नुकसान होने की भी संभावनाएं हैं। विपक्ष को सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा हाथ लग जाएगा। इसका दुष्‍परिणाम आगामी उपचुनावों में सत्‍ताधरी दल को उठाना पड़ सकता है। इन बातों पर विचार विमर्श के बाद सरकार विधेयक को अटकाने के लिए तैयार हो गई। प्रवर समिति दो महीने में इस पर अपनी रिपोर्ट देगी।

विधेयक के विरोध के पीछे नजूल की जमीन की लूट का खेल
हालांकि विपक्षी दल और भाजपा के सहयोगी दलों के अतिरिक्‍त भाजपा के कुछ विधायक इस विधेयक का विरोध करते हुए तर्क रख रहे हैं कि इससे बड़े पैमाने पर लोग उजड़ जाएंगे। लोग बेघर हो जाऐंगे। इसका एक दूसरा पक्ष भी है। उत्‍तर प्रदेश में हजारों करोड़ की नजूल की जमीन को फ्री होल्‍ड कराने का खेल चल रहा है। लगभग दो लाख करोड़ की नजूल सम्‍पत्तियों को कब्‍जाए बैठे लोग सर्किल रेट का महज 10 प्रतिशत देकर इन सम्‍पत्तियों को अपने हक में फ्री होल्‍ड कराना चाहते हैं। इस पूरे खेल में स्‍थानीय अधिकारी भी मिली भगत में शामिल हैं। सरकार इसी लूट को रोकने के लिए इस विधेयक को लाना अपना उद्देश्‍य बना रही है। आवास विभाग उन सभी फर्जी दस्‍तावेजों की जांच करेगा जिनके आधार पर नजूल की सम्‍पत्ति को फ्री होल्‍ड कराने का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। मीडिया में छपी खबर के अनुसार उत्‍तर प्रदेश में 25 हजार हेक्‍टेयर जमीन नजूल सम्‍पत्ति है। इसमें से फर्जीवाड़ा करके फ्री होल्‍ड कराई जा चुकी है। नलूल की सम्‍पत्ति पर स्‍वामित्‍व का अधिकार पाने के लिए तीन सौ से अधिक मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं। वहीं, लगभग ढाई हजार मामले प्रतीक्षारत हैं। इन मामलों से जुड़ी नजूल सम्‍पत्ति की कीमत लगभग दो लाख करोड़ रूपया है। आश्‍चर्य की बात यह है कि नजूल की सम्‍पत्ति को फ्री होल्‍ड कराने का कोई कानूनी प्रावधान है ही नहीं, इसके बावजूद इसने बड़े पैमाने पर नलूल की सम्‍पत्ति को फ्री होल्‍ड कराया जा चुका है। इसमें बहुत बड़ा घोटाला भी हुआ है। वहीं, सरकार को लाखों करोड़ के राजस्‍व की हानि भी हुई है।
इन शहरों में बड़े पैमाने पर है नजूल की सम्‍पत्ति
नजूल की सम्‍पत्ति को लेकर उत्‍तर प्रदेश में जो भी हो हल्‍ला मचा हुआ है उसके पीछे सरकारी सम्‍पत्ति को कब्‍जाने की नीयत अधिक प्रतीत होती है। बताया जाता है कि उत्‍तर प्रदेश के हर जिले में बड़े पैमाने पर नजूल की सम्‍पत्ति मौजूद है। इस पर लाखों लोग बसे हुए हैं। प्रदेश के कई वर्तमान, पूर्व विधायकों, मंत्रियों और सांसदों के भी मकान और व्‍यापारिक संस्‍थान तक इस जमीन पर बने हुए हैं। बड़े  पैमाने पर सरकार की लाखों करोड़ की सम्‍पत्ति को लोगों ने कौडियों की कीमत पर कब्‍जा रखा है। उत्‍तर प्रदेश में सबसे अधिक नजूल सम्‍पत्ति प्रयागराज, गोंडा, बहराइच, कानुपर, अयोध्‍या और सुल्‍तानपुर में बड़े पैमाने पर हैं। प्रयागराज का पूरा सिविल लाइन एरिया नजूल की जमीन पर ही बसा हुआ है। यहां एक एक बंगले की कीमत कई सौ करोड़ की है।

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