बेसिक शिक्षा विभाग की उदासीनता का परिणाम भुगतेंगे हजारों छात्र, जिले में 152 सरकारी विद्यालय होंगे बंद !, जानिए क्या है पूरा मामला ?
Thousands of students will suffer the consequences of the indifference of the Basic Education Department, 152 government schools in the district will be closed! Know what is the whole matter?

Panchayat 24 : उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा का आधार रहे सरकारी (परिषदीय) विद्यालयों पर संकट मंडरा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण सरकार की स्कूल चलो अभियान और सर्वशिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रमों की पोल खुल रही है। विभागीय उदासीनता के कारण सरकारी विद्यालयों पर ताला लटकने की नौबत आ गई है। जल्द ही जिले के 152 परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद किए जाने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। शासन से हरी झंडी मिलते ही इस कार्रवाई को अंतिम रूप दिया जाएगा।
क्या है पूरा मामला ?
दरअस, उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 से 50 से कम छात्र संख्या वाले परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने जा रही है। पूरे प्रदेश में ऐसे 27,764 विद्यालय हैं। सरकार ऐसे विद्यालयों को बंद अथवा दूसरे विद्यालयों के साथ समायोजित करने पर विचार कर रही है। गौतम बुद्ध नगर में ऐसे 152 परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं जिनमें छात्र संख्या 50 अथवा 50 से कम है। इन विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी दूसरे विद्यालयों में समायोजन किया जाएगा। इनमें 125 परिषदीय प्राथमिक, 10 कंपोजिट और 17 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं। ऐसे विद्यालयों में सबसे अधिक विद्यालयों की संख्या दनकौर ब्लॉक से 58 और जेवर ब्लॉक से 40 हैं। वहीं, ऐसे विद्यालयों में दादरी ब्लॉक के 39 और बिसरख ब्लॉक के 15 विद्यालय शामिल हैं। जिला बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से ऐसे विद्यालयों की सूची राज्य परियोजना कार्यालय को भेजी जा चुकी है। इस संबंध में आगामी 13 और 14 नवंबर को एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है।
सरकारी विद्यालय छात्र एवं अभिभावकों का भरोसा जीतने में रहे असफल
गौतम बुद्ध नगर उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी है। यहां पर बड़े पैमाने पर शहरी क्षेत्रों में मजदूर एवं श्रमिक रहते हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रो में भी गरीब एवं संसाधनहीन परिवारों के बच्चों के लिए सरकारी विद्यालयों को शिक्षा ग्रहण के लिए उम्मीद की किरण के रूप में देखा जाता है। इन विद्यालयों में निजी विद्यालयों की अपेक्षा अधिक सरकारी संसाधन मुहैया होते हैं। इन विद्यालयों के अध्यापकों का वेतन निजी विद्यालयों के अध्यापकों की तुलना में कहीं अधिक होता है। इसके बावजूद जिले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में लगातार घट रही छात्रों की संख्या इस बात का प्रमाण है कि बेसिक शिक्षा विभाग छात्रों एवं अभिभावकों के का भरोसा जीत पाने में नाकाम रहे हैं।
राजनीतिक विरोध शुरू
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 50 या उससे कम छात्र संख्या वाले परिषदीय प्रथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद किए जाने के निर्णय का राजनीतिक विरोध भी शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश की भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के विरोधियों ने योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। मायावती एवं अरविन्द केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर इस संबंध में पोस्ट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है।
मायावती ने कहा है कि यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहाँ और कैसे पढ़ेंगे? सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसाकि सर्वे से स्पष्ट है, किन्तु सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं। यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकण्डरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिसा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित।
वहीं, अरविन्द केजरीवाल ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि पिछले 10 साल में हमने बड़ी मेहनत से दिल्ली के सरकारी स्कूलों को शानदार बनाया है, वर्ल्ड क्लास सुविधाएँ और शिक्षा का इंतज़ाम किया है। दूसरी तरफ़ यूपी के सरकारी स्कूल हैं जिन्हें बंद करने की तैयारी चल रही है। मैं दिल्ली के लोगों से बस इतना कहना चाहता हूँ कि अगर गलती से भी इस बार बीजेपी को वोट दे दिया तो ये लोग दिल्ली के स्कूलों को भी इसी तरह बर्बाद कर देंगे।