अन्य राज्य

शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम रखा सीता, हाईकोर्ट ने पूछा ऐसे नाम क्‍यों रखे गए हैं ? जानिए क्‍या है पूरा मामला ?

The lion was named Akbar and the lioness was named Sita, the High Court asked why such names were kept? Learn about the case in detail ?

Panchayat 24 : किसी इंसान की मानसिकता का निम्‍न स्‍तर क्‍या हो सकता है, इसका उदाहरण पश्चिमी बंगाल में देखने में आया है। यहां एक शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता रखा गया है। मामला बहुसंख्‍यक वर्ग की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा होने के बावजूद इस पर ध्‍यान नहीं दिया गया। मामला हाईकोर्ट पहुंचा गया। हाईकोर्ट ने पशुओं के इस तरह के नामकरण पर आश्‍चर्य व्‍यक्‍त करते हुए पूछा कि शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता क्‍यों रखा गया है ? कोर्ट ने पश्चिम बंगाल चिडिया घर प्राधिकरण से को निर्देश दिए हैं कि शेर और शेरनी का विवेकपूर्ण तीरके से नाम बदलकर दूसरा नाम रखा जाए।

क्‍या है पूरा मामला ?

पश्चिम बंगाल राज्‍य सरकार पर अल्‍पसंख्‍यक तुष्टिकरण के गंभीर आरोप लग रहे हैं। यहां पर बहुसंख्‍यक समाज के उत्‍पीड़न की खबरें लगातार आ रही है। बहुसंख्‍यक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को लगातार ठेस पहुंचाई जा रही है। इस क्रम में पश्चिम बंगाल में एक और मामला प्रकाश में आया है। बंगाल सफारी पार्क में एक शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता रखे जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। इस प्रकरण से हिन्‍दू समाज की धार्मिक भावनाएं आहत होने की बात कहते हुए विश्‍व हिन्‍दू परिषद तथा कुछ अन्‍य लोगों ने कलकत्‍ता हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि इससे देश के बहुसंख्‍यक वर्ग की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। कलकत्‍ता हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट पीठ ने मामले पर आश्‍चर्य जताते हुए कहा कि क्‍या पशुओं का नाम विवेकानन्‍द या फिर रामकृष्‍ण परमहंस के नाम पर रखा जा सकता है।

याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौगत भट्टाचार्य ने पूछा कि किसी पशु का नाम देवी देवताओं, पौराणिक चरित्रों, स्‍वतंत्रता सेनानियों या फिर नोबेल पुरस्‍कार विजेताओं के नाम पर रखा जा सकता है ? उन्‍होंने कहा कि पशुओं के इस प्रकार के नाम रखने से बचा जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हालांकि उनकी यह टिप्‍पणी आदेश में शामिल नहीं होगी। लेकिन सरकारी वकील को अपने को अपने पद का प्रयोग करते हुए चिडिया घर अधिकारियों से शेर और शेरनी को तर्कसंगत एवं उचित नाम देने के लिए कहना चाहिए।

शेर और शेरनी को त्रिपुरा से लाया गया था

इस मामले में राज्‍य का पक्ष रखने वाले वकील ने कहा कि शेर और शेरनी को बीती 12 फरवरी को त्रिपुरा के सिपाहीजला प्राणी उद्यान से पश्चिमी बंगाल लाया गया था। वहीं, पर शेर और शेरनी के नाम अकबर और सीता रखे गए थे। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि यदि इस प्रकार के नाम त्रिपुरा में रखे गए थे तो त्रिपुरा चिडियाघर प्राधिकरण को भी मामले का पक्ष बनाना जरूरी है। साथ ही कोर्ट ने इस प्रकार की याचिका को सुनवाई योग्‍य नहीं मानते हुए याचिकाकर्ता को इसको दोबारा जनहित याचिका के तौर पर वर्गीकृत करने की अनुमति दे दी है।

Related Articles

Back to top button