ततारपुर हिंसा : मीटिंग के लिए नहीं खुले अखिल भारतीय गुर्जर संस्कृति शोध संस्थान के द्वार, बाहर हुई बैठक, मामले में उचित कार्रवई की मांग के लिए पुलिस को सौंपा ज्ञापन
Tatarpu Violence: The gates of All India Gurjar Sanskrit Research Institute not open for meeting, meeting held outside, memorandum submitted to police demanding appropriate action in the matter
Panchayat 24 : जारचा कोतवाली क्षेत्र में एनटीपीसी क्षेत्र के ततारपुर चौक पर दो पक्षों के बीच हुआ विवाद धीरे धीरे दो जातियों के बीच विवाद का रूप ले रहा हे। रविवार को ततारपुर हिंसा में उचित कार्रवाई की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर कॉल कर ग्रेटर नोएडा के अखिल भारतीय गर्जर संस्कृति शोध संस्थान में बुलाई गई बैठक के लिए संस्थान के दरवाजे नहीं खुले। यहां पहुंचे लोगों ने संस्थान के मुख्य द्वार के बाहर ही बैठक की। बैठक में मौजूद लोगों ने मामले में निष्पक्ष तथा उचित धाराओं में कार्रवाई की मांग की है। इस मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर तैनात रहा। उनका आरोप है कि एक पक्ष के द्वारा पूर्व में भी कई घटनाएं की गई जिसे पुलिस तथा प्रशासन के द्वारा अनदेखा किया गया। यदि पूर्व की घटनाओं पर उचित कार्रवाई की गई होती तो ततारपुर की घटना नहीं होती। बैठक के बाद लोगों ने सहायक पुलिस आयुक्त प्रथम को अपनी मांगों के बारे में बताया। पुलिस ने इन लोगों को कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
मांगे नहीं मानी गई तो चौना गांव में होगी महापंचायत
अखिल भारतीय संस्कृति शोध संस्थान के मुख्य द्वार पर की गई बैठक में युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्षा एवं अखिल भारतीय गुर्जर परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट रविन्द्र भाटी का कहना है कि पुलिस को अपनी चिंताओं तथा मांगों से अवगत कराया गया है। एसपी महेन्द्र देव सिंह को मामले से जुड़े साक्ष्य सौंपे गए हैं। पूर्व में हुई घटनाओं की एफआईआर की कॉपी भी साथ में दी गई है। इन मामलों में भी पुलिस उचित धाराओं में मामला दर्ज करे। रविन्द्र भाटी ने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर पुलिस तथा दूसरे पक्ष पर अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। हम लोग भरोसा जता रहे हैं कि पुलिस मामले का संज्ञान लेकर मामले में उचित कार्रवाई करेगी। बैठक में निर्णय लिया गया यदि शीघ्र ही मामले में आरोपियों पर उचित कार्रवाई नहीं हुई तो चौना गांव में महापंचायत की जाएगी।
अखिल भारतीय संस्कृति शोध संस्थान अध्ययन एवं क्रियात्मक गतिविधियों का केन्द्र है : योगेन्द्र चौधरी
ग्रेटर नोएडा के परी चौक स्थित अखिल भारतीय संस्कृति शोध संस्थान समाज उत्थान का केन्द्र है। यहां पर अध्ययन एवं शोध का कार्य होता है। इसका प्रयोग किसी भी तरह की अन्य गतिविधियों के लिए नहीं होता है। यह बातें अखिल भारतीय संस्कृति शोध संस्थान के वर्तमान अध्यक्ष योगेन्द्र चौधरी ने कही। उन्होंने कहा कि इस बैठक के बारे में उन्हें किसी के द्वारा लिखित सूचना नहीं दी गई थी। सोशल मीडिया पर ही कुछ अविश्वसनीय सूचनाएं प्राप्त हो रही थी। कुछ लोगों ने ने उन्हें आज फोन कर इसके बारे में जानकारी दी। उन्हें बताया गया कि 2 से तीन हजार लोग शोध संस्थान पर एकत्रित होने वाले हैं। पुलिस ने भी उनसे इस बारे में पूछा गया। संस्थान की सम्पूर्ण कार्यकारणी ने एकमत होकर कहा कि इस तरह की किसी भी बैठक की उन्हें कोई सूचना नहीं है। न ही संस्थान में इतने लोगों की बैठक की व्यवस्था है।
आला अधिकारियों को मामले से अवगत कराया गया है : एसीपी
जारचा कोतवाली क्षेत्र के अन्तर्गत ततारपुर हिंसा प्रकरण में एक प्रतिनिधिमण्डल ने एसीपी ग्रेटर नोएडा प्रथम महेन्द्र देव सिंह ने बताया कि इन लोगों ने बैठक करने की कोई पूर्व सूचना नहीं दी थी। एक प्रतिनिधिमण्डल ने उनसे मुलाकात कर अपनी चिंताओं और मांगों के बारे में एक ज्ञापन सौंपा थी। इसके सम्बन्ध में आला अधिकारियों को सूचित करा दिया गया है। हालांकि पूरे मामले में पूर्व में ही दोनों पक्षों के खिलाफ मामले दर्ज हैं, लेकिन इनके द्वारा कुछ पूर्व के मामलों को भी दर्ज कराने की मांग की गई है।
क्या है पूरा मामला ?
जानकारी के अनुसार जारचा कोतवाली क्षेत्र के ततारपुर चौक पर बीती 28 जुलाई की सुबह चौना गांव निवासी एक दूध व्यापारी की साईकिल ततारपुर गांव निवासी एक व्यक्ति की कार से छू गई थी। मामले को लेकर दोनों पक्षों के बीच कहासुनी हो गई। हालांकि मौके पर मौजूद लोगों ने दोनों पक्षों के लोगों को समझाबुझाकर शांत कर दिया। लेकिन इसी दिन दोपहर को चौना गांव के एक युवक की ततारपुर गांव के कुछ युवकोंं ने पिटाई कर दी। मामले को बढ़ता देख दोनों पक्षों के लोगों ने 29 जुलाई को आपस में बैठकर सामाजिक तरीके से सुलझा लिया। लेकिन चौना गांव के कुछ युवकों ने समझौते को दरकिनार कर शाम को लगभग 8:30 बजे ततारपुर चौक पर मौजूद दूसरे पक्ष के लोगों से दुकान में घुसकर तोड़फोड एवं मारपीट की। इस दौरान एक पनीर व्यापारी वीरसैन तथा उसका एक भाई सुनील घायल हो गया। घटना के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। घटना के लगभग 1 से 1:30 घंटे बाद ही ततारपुर पक्ष के लोगों ने एकत्रित होकर चौना पक्ष के लोगों पर हमला कर दिया। दुकानों में तोड़फोड़ की गई। मौके पर मौजूद वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। इस दौरान चौना पक्ष के कई लोगों को चोटें आई। 30 जुलाई को पुलिस मामले को लेकर सक्रिय हुई। क्षेत्र में पीएसी एवं पुलिस बल तैनात किया गया।
घटना का जातीयकरण और राजनीतिकरण होते देख पुलिस हुई सक्रिय
चूकि दोनों ही पक्ष अलग अलग जाति बाहुल्य है, ऐसे में मामले का कुछ लोगों ने जातीयकरण और राजनीतिकरण शुरू कर दिया। घटना को लेकर लोग सोशल मीडिया पर तरह तरह की बातें करने लगे। इससे दोनों ही पक्षों के लोगों की भावनाएं आहत होने लगी। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस के आला अधिकारी भी सक्रिय हो गए। 2 अगस्त को एनटीपीसी चौकी परिसर में दोनों पक्षों के जिम्मेवार लोगों के साथ शांति बैठक की। बैठक में लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की गई। लोगों को मामले में आश्वस्त किया गया कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, निर्दोश को परेशान नहीं किया जाएगा। इस बैठक में ज्वाइंट सीपी लवकुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मामले में राजनीति करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।
पुलिस द्वारा पूरे प्रकरण में की गई कार्रवाई
इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दोनों ही पक्षों के लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। पुलिस के अनुसार इस मामले में चौना गांव के 4 लोग, ततारपुर गांव के 6 लोग, सीदी पुर गांव से 1 व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। वहीं खंगौड़ा गांव के एक व्यक्ति को सोशल मीडिया पर इस प्रकरण को लेकर दूसरे पक्ष के लोगों पर विवादित टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। पुलिस इस प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर भी नजर बनाए हुए है। यदि कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर किसी तरह की अमर्यादित टिप्पणी करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस से हुई मामले में चूक, उठे कई सवाल ?
इस पूरे मामले में भले ही आज पुलिस सक्रिय दिखाई दे रही है लेकिन प्रथम दृष्टया मामले में पुलिस की चूक भी सामने आती हैं। दरअसल जिस स्थान पर यह पूरा बवाल हुआ वह एनटीपीसी पुलिस चौकी से महज 200 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि 28 और 29 जुलाई को इतनी बड़ी घटनाएं होती रही हो और पुलिस को भनक तक नहीं लगी। यदि पुलिस को इसकी समय रहते सूचना मिल गई थी तो सवाल यह भी उठता है कि पुलिस ने मामले में समय रहते कार्रवाई नहीं की ? क्या मामले में पुलिस पर किसी का दबाव था या फिर पुलिस की लापरवाही के कारण यह मामला इतना बड़ा बन गया ?
पुलिस ने पूर्व की घटनाओंं से नहीं ली सीख
पूरे मामले में एक बात और निकलकर सामने आ रही है कि पुलिस ने पूर्व में घटी घटनाओं से कोई भी सीख नहीं ली। चौना पक्ष के लोगों का आरोप है कि पुलिस ने पूर्व में घटी घटनाओं से यदि सीख ली होती तो 28 और 29 जुलाई की घटना से बचा जा सकता है। जारचा कोतवाली प्रभारी ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि पिछले एक साल में दोनों पक्षों के बीच कई बार मारपीट की घटनाएं हुई है। लेकिन दोनों ही पक्षों के द्वारा आपस में सामाजिक आधार पर मामले को निपटा लिया गया। दरअसल, बीती 28 जुलाई की मामूली घटना जिस तरह से तीव्रता के साथ दो पक्षों से दो गांवों और फिर दो जातीयों के बीच विवाद का कारण बन गई, उससे पता चलता है कि दोनों ही पक्षों के बीच पहले से एक दूसरे के प्रति अविश्वास और द्वेष का भाव पैदा हो रहा था। वहीं, दोनों ही पक्ष के लोगों को पुलिस की कार्रवाई पर भी विश्वास नहीं रहा। परिणामस्वरूप यह अविश्वास और आपसी द्वेष का भाव ततारपुर घटना में फूट पड़ा। यदि पूर्व की घटनाओं से पुलिस ने सीख ली होती तो यह घटना रोकी जा सकती थी।