गौतम बुद्ध नगर में प्रेस क्लबों की भूमिका पर उठे सवाल, हर सवाल पर बवाल, कौन देगा जवाब ?
Questions raised on the role of press clubs in Gautam Buddha Nagar, uproar on every question, who will answer?

Panchayat 24 : क्या प्रेस क्लब वाकई में पत्रकारों के हितों की रक्षा कर पा रहे हैं ? यह सवाल विशेष तौर पर गौतम बुद्ध नगर के सबंध में बहुत अहम हो गया है क्योंकि पिछले कुछ दिनों में पुलिस द्वारा पत्रकार पंकज पाराशर, देव शर्मा और अवधेश सिसौदिया को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। वहीं, रिंकू यादव और महकार भाटी आदि पत्रकारों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए हैं। इनके खिलाफ गैंगस्टर, अवैध धन वसूली, धमकी देना, ब्लैकमेल करना और लेनदेन में वित्तीय गड़बड़ी जैसे गंभीर आरोप हैं।
आरोपी पत्रकारों का जिले के प्रेस क्लबों में अच्छा खासा दखल रहा है। पंकज पाराशर नोएडा मीडिया क्लब के अध्यक्ष थे जबकि महकार भाटी ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब में उपाध्यक्ष रहे है और वर्तमान में उन्हें अनुशासन समिति के अध्यक्ष चुना गया हैं। वहीं, अन्य भी नोएडा मीडिया क्लब के सदस्य बताए जाते हैं। वर्तमान प्रकरण में प्रेस क्लबों की स्थिति बहुत ही दयनीय दिखाई दे रही है। सवाल उठ रहे हैं यदि ये पत्रकार निर्दोष हैं तो संबंधित प्रेस क्लबों ने इनके पक्ष में क्या कदम उठाए ? यदि संबंधित प्रेस क्लब पुलिस कार्रवाई से सहमत है तो प्रेस क्लब में रहकर ये पत्रकार लंबे समय तक अपराधिक गतिविधयों को कैसे अंजाम देते रहे ? यदि अभी तक प्रेस क्लबों का इन पत्रकारों के बारे में कोई विचार ही नहीं है तो फिर ऐसे प्रेस क्लबों को बने रहने क्या अधिकार है ?
पुलिस का कहना है कि जिन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई है, उन्हें पत्रकार कहना गलत है। यह पेशेवर अपराधी हैं और इनके खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं। हालांकि पुलिस कार्रवाई की वैधता जरूर न्यायालय में तय होगी। यह पुलिस के लिए भी एक चुनौती होगी। इसके बावजूद पुलिस कार्रवाई में जरा सी भी सच्चाई है तो यह प्रकरण पत्रकारिता को न केवल शर्मसार और दागदार करने वाला है, बल्कि गौतम बुद्ध नगर में प्रेस क्लबों को भी कटघरे में खड़ा करने वाला है। यह बात सही है कि एकता में शक्ति होती है। दूसरे पेशों की तरह पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए प्रेस क्लब बनाना कोई गलत बात नहीं है लेकिन गौतम बुद्ध नगर में प्रेस क्लबों की कुछ और ही तस्वीर सामने आ रही है। पुलिस कार्रवाई से कई तरह के संकेत मिले हैं। जैसे प्रेस क्लबों में एक सिंडिकेट पूरी तरह हावी रहा है। इस सिंडिकेट ने येन केन प्रकारेण प्रेस क्लब को पूरी तरह अपने नियंत्रण में रखा है। कुछ लोगों ने प्रेस क्लब में अपनी स्थिति का दुरूपयों करते हुए अवैध एवं गैर कानूनी तरीके से निजी हितों को ही सिद्ध किया है।
ऐसे में सवाल उठने लाजमी हैं, क्या गौतम बुद्ध नगर में प्रेस क्लब वाकई में पत्रकारों की बेहतरी के लिए काम करने की स्थिति में हैं ? प्रेस क्लबों ने पत्रकारों के सामूहिक हित में कौनसी उपलब्धियां हासिल की हैं जिसके कारण कोई पत्रकार इनका सदस्य होने पर गर्व करे ? कुछ साल पूर्व नोएडा मीडिया प्रेस क्लब और ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब के लिए हुए चुनाव में जिस तरह की गतिविधियां देखी गई, उससे भी प्रेस क्लबों की भूमिका पर कई तरह के सवाल उठे थे। वर्तमान दौर में जिले में प्रेस क्लबों के सामने विश्वसनीयता को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। हाल ही में नोएडा पुलिस द्वारा नोएडा मीडिया क्लब की जांच में वित्तीय अनियमित्ताओं का खुलासा होने के बाद प्रेस क्लबों की भूमिका पर उठने वाले सवालों को भी बल मिलता है। ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है कि दूसरे प्रेस क्लब इस तरह की अनियमित्ताओं से अछूते होंगे ? स्पष्ट है जिले में प्रेस क्लब अपनी प्रासंगिकता खो रहे हैं।