गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट : धोखा खाकर राजनीति में डॉ महेश शर्मा ने बनाया भरोसेमंद मुकाम, भाजपा ने दिया ईनाम
Gautam Buddha Nagar Lok Sabha seat: Dr. Mahesh Sharma made a trustworthy position in politics by being cheated, BJP gave him the reward.

Panchayat 24 : लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने 194 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। दिल्ली एनसीआर की बेहद हॉट माने जाने वाली गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर पार्टी ने वर्तमान सांसद डॉ महेश शर्मा पर फिर से विश्वास जताते हुए उम्मीदवार बनाया है। डॉ महेश शर्मा इस सीट पर लगातार चौथी बार भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि वह अपना पहला चुनाव साल 2009 में हार गए थे। इसके बाद से वह लगातार भारी वोटों से चुनाव जीत रहे हैं। इससे पूर्व भारतीय जनता पार्टी के ही उम्मीदवार अशोक प्रधान ने इस सीट पर लगातार हैट्रिक लगाई है। हालांकि उस समय यह लोकसभा क्षेत्र खुर्जा लोकसभा सीट के अन्तर्गत आती थी। डॉ महेश शर्मा का राजनीति का यह सफर धोखा खाने से लेकर ज पार्टी नेतृत्व और जनता के बीच विश्वास की ऊंची इमारत बनाने का रहा है। यही कारण है कि पार्टी ने उन्हें चौथी बार टिकट देकर ईनाम दिया है।
कौन है डॉ महेश शर्मा ?
डॉ महेश शर्मा का जन्म 30 सितंबर 1959 को राजस्थान के अलवर जिले के नीमराना के पास स्थित मनेठी गांव में हुआ था। उनके पिता कैलाश चंद शर्मा पेशे से एक शिक्षक थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा गांव में ही हुई। आगे की पढ़ाई के लिए वह दिल्ली चले गए। यहां उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल सांइसेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद उन्होंने नोएडा स्थित एमिटी विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। पिछले लगभग तीन दशकों से नोएडा में एक चिकित्सक के रूप में सक्रिय हैं। बचपन से ही राष्ट्रवादी विचारधारा से लगाव रहा है। इसके चलते बचपन से ही वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से उनका जुड़ाव रहा। छात्र जीवन में वह अखिल भारतीय विधार्थी परिषद से जुड़े रहे।
साल 2009 में लडा पहला लोकसभा चुनाव
डॉ महेश शर्मा ने साल 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। अभी तक यह क्षेत्र खुर्जा लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आता था। खुर्जा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा से टिकट की दावेदारी करने वालों में ब्राह्मण, गुर्जर और राजपूत समाज के लोग शामिल थे। लेकिन भाजपा ने डॉ महेश शर्मा पर विश्वास जताते हुए चुनावी मैदान में उतारा। उनका मुकाबला तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी के कद्दावर नेता सुरेन्द्र सिंह नागर से था। इस बीच टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा के एक धड़े ने चुनाव में विरोधी दल के उम्मीदवार के लिए काम किया। इस धड़े के समर्थकों ने विरोधी दल के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कराया। भाजपा उम्मीदवार डॉ महेश शर्मा को अपनो का यह धोखा भारी पड़ा। परिणामस्वरूप वह कड़े मुकाबले में बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह नागर से चुनाव हार गए। इस चुनाव में डॉ महेश शर्मा को 2,29,709 वोट मिले जबकि बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह नागर को 2,45,613 वोट मिले। डॉ महेश शर्मा यह चुनाव 15,904 वोटों से हार गए।
2012 के विधानसभा चुनाव में साबित की राजनीतिक क्षमता
साल 2008 के परिसीमन के बाद जिले में नोएडा विधानसभा अस्तित्व में आई। अभी तक यह क्षेत्र दादरी विधानसभा का हिस्सा था। नोएडा विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट के लिए कई दावेदार सामने आए। डॉ महेश शर्मा ने भी नोएडा विधानसभा के टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश की। साल 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी में गुटबाजी का दौर शुरू हो चुका था। डॉ महेश शर्मा विरोधी धड़ा कतई नहीं चाहता था कि भाजपा उन्हें नोएडा विधानसभा का टिकट दे। लेकिन डाॅ महेश शर्मा विरोधी धड़े पर भारी पड़े। पार्टी ने उन्हें नोएडा विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी घोषित किया। इस चुनाव में डॉ महेश शर्मा का मुकाबला बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार ओम दत्त शर्मा से था। कम मतदान वाले इस चुनाव में डॉ महेश शर्मा विरोधी उम्मीदवार पर भारी पड़े। बसपा उम्मीदवार ओमदत्त शर्मा को कुल 49,643 वोट मिले। वहीं, डॉ महेश शर्मा को 77,319 वोट मिले और वह 27,676 वोटों से चुनाव जीत गए। इस चुनावी जीत के साथ ही डॉ महेश शर्मा ने अपनी राजनीतिक कुशलता और क्षमताओं को भी साबित कर दिया।
2014 के लोकसभा चुनाव में गुटाबजी से पाई पार, चुनावी मैदान में ठोंकी ताल
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में बदलाव की बयार बह रही थी। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट के लिए भाजपा का टिकट हासिल करने के लिए भाजपा की गुटबाजी पूरी तरह से हावी थी। कुछ लोगों ने यहां जातीय बहुसंख्यक होने के आधार पर पार्टी से टिकट की मांग की। डॉ महेश शर्मा ने भी पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी दावेदारी पेश की। पार्टी ने दूसरी बार डॉ महेश शर्मा पर दांव खेला। इस चुनाव में डॉ महेश शर्मा जिले की राजनीति का बड़ा चेहरा बन चुके थे। जनता के बीच उनके नाम की चर्चा तेज थी। उन्होंने पार्टी की गुटबाजी की लगाम खींचते हुए जनता के बीच भरोसे को मजबूत किया। परिणामस्वरूप डॉ महेश शर्मा ने बड़ी जीत हासिल की। इस चुनाव में उनका मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता नरेन्द्र सिंह भाटी से था। नरेन्द्र सिंह भाटी को इस चुनाव में 3,19,490 वोट मिले। वहीं, डॉ महेश शर्मा ने चुनाव में 5,99,702 वोट हासिल किए और वह 2,80,212 वोटों से चुनाव जीत गए। चुनाव में विरोधी खेमा पूरी तरह पस्त हो गया। पार्टी ने शानदार जीत पर डॉ महेश शर्मा को बतौर ईनाम केन्द्र सरकार में मंत्री बनाने का फैसला किया। उन्हें संस्कृतिक और पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया।
साल 2014 के उपचुनाव में बिमला बाथम को विधायक का चुनाव जितवाया
साल 2014 में लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने पर नोएडा विधानसभा सीट से डॉ महेश शर्मा को विधायकी छोड़ी पड़ी। ऐसे में पार्टी के विरोधी धडे को लगने लगा कि इस बार उन्हें नोएडा विधानसभा सीट पर भाजपा से टिकट जरूर मिल जाएगा। लेकिन इस बार भी डॉ महेश शर्मा की गुट की सदस्य विमला बाथम को पार्टी ने टिकट दिया। चुनाव में विमला बाथम का मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार काजल शर्मा से था। चुनाव में विमला बाथम ने जीत दर्ज की। काजल शर्मा को महज 41,481 वोट मिली। वहीं, विमला बाथम ने 1,00,433 वोट हासिल की। कम मतदान वाले इस चुनाव में विमला बाथम 58,952 वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रही। विमला बाथम की इस जीत का श्रेय लोगों ने डॉ महेश शर्मा को दिया।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में डॉ महेश शर्मा से विरोधी पार नहीं पा सके, तेजपाल सिंह नागर के समर्थन में हुए खड़े
गौतम बुद्ध नगर लोकसभा जिले में साल 2017 के विधानसभा चुनाव को लेकर बहुत अधिक गहमा गहमी थी। जिले में भाजपा की गुटबाजी तू डाल-डाल, मैं पात-पात वाली हो चली थी। डॉ महेश शर्मा से चुनाव से लेकर संगठन तक कई बार हार चुका पार्टी का विरोधी खेमा दादरी विधानसभा सीट पर अड़ गया। भाजपा का यह धड़ा दादरी विधानसभा सीट पर दादरी के पूर्व विधायक नवाब सिंह नागर को टिकट दिए जाने की पैरवी कर रहा था। वहीं, डॉ महेश शर्मा बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले मास्टर तेजपाल सिंह नागर के पक्ष में खड़े हुए थे। दादरी विधानसभा पर भाजपा के टिकट के लिए दावेदारी का मामला केन्द्रीय नेतृत्व के सामने जा पहुंचा था। दोनों धड़े दादरी का टिकट पाने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे थे। भाजपा के टिकट के लिए राजनीतिक पारा इस कदर बढ़ चुका था कि उत्तर प्रदेश की भाजपा की पहली दो सूचियों में दादरी विधानसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार का नाम तय नहीं हो सका था। तीसरी सूची में दादरी विधानसभा के प्रत्याशी का नाम घोषित हुआ और मास्टर तेजपाल सिंह के नाम पर पार्टी ने अंतिम मुहर लगाई। मास्टर तेजपाल सिंह नागर का मुकाबला सत्ताधारी बहुजन समाज पार्टी के दो बार के विधायक सतवीर सिंह गुर्जर से था। चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे। सतवीर सिंह गुर्जर को 61,049 वोट मिले। वहीं, तेजपाल सिंह नागर को 1,41,226 वोट मिले। तेजपाल सिंह नागर चुनाव में 80,177 वोटों से विजयी हुए। तेजपाल सिंह नागर की इस जीत को लोगों ने डॉ महेश शर्मा से जोड़कर देखा। प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी दादरी विधानसभा सीट पर एक बार फिर डॉ महेश शर्मा विरोधी धड़े पर इक्कीस साबित हुए।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हासिल किया पार्टी नेतृत्व का भरोसा
साल 2019 को लोकसभा चुनाव आते आते भाजपा की गुटबाजी में नए बदलाव दिखने लगे थे। कभी भाजपा का मुखर विरोध करने वाले कई विपक्षी नेता भाजपा में शामिल हो चुके थे। डॉ महेश शर्मा विरोधी धड़े ने नए सिरे से रणनीति बनाते हुए इस बार पार्टी नेतृत्व के सामने टिकट के लिए दावेदारी पेश की। अपनी दावेदारी को स्थानीय जनता की भावनाओं के सम्मान से जोड़कर पेश किया गया। डॉ महेश शर्मा पर जातीवादी होने के आरोप लगाए गए। लेकिन परिणाम एक बार फिर डॉ महेश शर्मा के पक्ष में आया। भाजपा ने तीसरी बार उन्हें पार्टी प्रत्याशी बनाया। इस बार डॉ महेश शर्मा का मुकाबला समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी के संयुक्त प्रत्याशी सतवीर सिंह नागर से था। दो मजबूत विरोधियों के संयुक्त प्रत्याशी से डॉ महेश शर्मा के चुनाव को बहुत मुश्किल बताया जा रहा था। दावे किए जा रहे थे कि एक तरफ मायावती के गृह जनपद में उनके प्रत्याशी से मुकाबला मुश्किल है। वहीं, समाजवादी पार्टी का गठबंधन भाजपा उम्मीदवार डॉ महेश शर्मा पर भारी पड़ेगा। लेकिन एक दशक की राजनीति में डॉ महेश शर्मा ने लोगों के बीच भरोसे की मजबूत नींव डाल दी थी। ऊपर से मोदी लहर ने विरोधियों की रणनीति को हवा में उड़ा दिया। चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में रहा। गठबंधन प्रत्याशी सतवीर सिंह गुर्जर को 4,93,890 वोट मिले। वहीं, भाजपा प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा को 830,812 वोट मिले और वह 3,36,922 वोटों से बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में दादरी विधायक तेजपाल सिंह नागर का विरोध, निशाने पर डॉ महेश शर्मा
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रमुख विरोधी दलों और भाजपा की गुटबाजी ने दादरी विधानसभा चुनाव की घेराबंदी तेज कर दी थी। स्थानीय विधायक तेजपाल सिंह का जमकर विरोध शुरू हो गया, लेकिन निशाने पर डॉ महेश शर्मा थे। राजनीतिक विरोध से अलग दादरी विधानसभा में विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पूर्व ऐसी घटना घटी जिसने न केवल दादरी विधानसभा चुनाव में माहौल को चरम पर पहुंचा दिया बल्कि समाज को जातीय आधार पर भी बंटवारा भी कर दिया। इस घटना की तपिस आज भी देश के अलग अलग हिस्सों में महसूस की जाती है। जानकारों की माने तो यह प्रकरण गौतम बुद्ध नगर जिले की भाजपा की गुटबाजी की देन थी। इसके सहारे दादरी विधानसभा पर तत्कालीन विधायक तेजपाल सिंह नागर का टिकट कटवाने की तैयारी थी। लेकिन पार्टी नेतृत्व को परिस्थितियों की जानकारी हो गई। भाजपा ने तेजपाल सिंह नागर को फिर से पार्टी उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में उनका मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी उम्मीदवार राजकुमार भाटी से था। भारी विरोध के बावजूद चुनाव परिणाम तेजपाल सिंह नागर के पक्ष में रहे। इस चुनाव में राजकुमार भाटी को 79,850 वोट मिले। वहीं, भाजपा के तेजपाल सिंह नागर को 2,18,068 मिले। उन्होंने राजकुमार भाटी को 1,38,218 वोटों से चुनाव हराया। साहिबाबाद और नोएडा विधानसभा सीटों पर मिली जीत के बाद पूरे प्रदेश में यह तीसरी सबसे बड़ी जीत रही। तेजपाल सिंह नागर की इस जीत का शिल्पकार डॉ महेश शर्मा को माना जाता है।
साल 2024 का लोकसभा चुनाव, भाजपा गुटबाजी के दिखे कई रंग, डॉ महेश शर्मा ने फिर जीता भाजपा नेतृत्व का भरोसा
साल 2024 का लोकसभा चुनाव आते आते जिले में भाजपा की गुटबाजी पूरी तरह शीर्ष पर पहुंच चुकी थी। कई विरोधी दलों के कद्दावर नेता भाजपा में शामिल होकर इस गुटबाजी का हिस्सा बन चुके थे। गौतम बुद्ध नगर में लगभग डेढ दशक पहले शुरू हुई भाजपा की गुटबाजी का यह सबसे भीषण दौर रहा। इस दौर में डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट अभी तक की सबसे मजबूत स्थिति में था। दोनों गुटों में टक्कर लगभग बराबर की थी। पहली बार विरोधी गुट डॉ महेश शर्मा गुट पर हमलावर रहा। वहीं, डॉ महेश शर्मा गुट रक्षात्मक दिखा। पहली बार भाजपा की गुटबाजी में लखनऊ और दिल्ली दरबार की सहभागिता दिखी। जिले में कई ऐसे प्रकरण आए जब डॉ महेश शर्मा पर विरोधी गुट हावी होता दिखा, लेकिन उसी समय पार्टी नेतृत्व ने उनका हाथ थामा और राजनीतिक कद बढ़ा दिया। श्रीकांत त्यागी प्रकरण इसका बड़ा उदाहरण है। गुडमी दावेदारों को भी मैदान में उतारकर डॉ महेश शर्मा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल बनाया गया। इस सबका लक्ष्य एक बार फिर से डॉ महेश शर्मा का टिकट कटवाने की योजना थी। लेकिन अंत हर बार की तरह हुआ। भाजपा नेतृत्व का भरोसा डॉ महेश शर्मा पर अडिग दिखा। एक बार फिर डॉ महेश शर्मा को भाजपा ने टिकट देकर चौथी बार गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से चुनावी दंगल में उतार दिया है।
गौतम बुद्धनगर में भाजपा रिकार्ड जीत की ओर अग्रसर
भाजपा द्वारा डॉ महेश शर्मा को साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। डॉ महेश शर्मा के आगामी चुनाव में प्रदर्शन को लेकर राजनीतिक पंडित तरह तरह के कयास लगा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि गौतम बुद्ध नगर की राजनीति में जिस स्थान पर वर्तमान में डॉ महेश शर्मा खड़े हुए हैं, उनका कद बहुत ऊंचा हो गया है। जिस प्रकार हर परिस्थिति में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उनके साथ खड़ा रहता है, उससे उन्हें और मजबूती मिलती है। वर्तमान में डॉ महेश शर्मा के खिलाफ विपक्ष कोई मजबूत चेहरा अभी तक तय नहीं कर सका है। जो नाम मुख्य विपक्षी दलों के टिकटों के दावेदारों के रूप में सामने आ रहे हैं, उनका राजनीतिक कद डॉ महेश शर्मा के सामने कहीं नहीं टिकता है। ऐसे में जानकार इस बार लोकसभा चुनाव में डॉ महेश शर्मा की रिकार्ड मतों से जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं। कुछ जानकार इस जीत को पांच से सात लाख वोटों में आंक रहे हैं। हालांकि जब तक भाजपा विरोधी दल अपना उम्मीदवार मैदान में न उतार दे, इस बारे में कहना जल्दबाजी ही होगी।