कांग्रेस का गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर सरेंडर, 40 साल का वनवास नहीं होगा समाप्त
Congress surrenders Gautam Buddha Nagar Lok Sabha seat, 40 years of exile will not end

Panchayat 24 : साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर सरेंडर कर दिया है। इंडिया गठबंधन का दूसरा घटक दल एवं कांग्रेस की सहयोगी पार्टी सपा का उम्मीदवार यहां से चुनावी मैदान में ताल ठोकेगा। इंडिया गठबंधन के दोनों घटक दलों कांग्रेस और सपा के बीच हुए सीट शेयरिंग के बाद एक बात तय हो गई है कि इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस का वनवास लोकसभा चुनाव 2024 में भी समाप्त नहीं होने वाला है। इस बार भी कांग्रेस को अपने स्वर्णिम दिनों की वापसी के लिए अभी और लंबा इंतजार करना होगा।
समाजवादी पार्टी ने गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के लिए छोड़ी थी
दरअसल, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन हो गया है। इस गठबंधन का नाम इंडिया गठबंधन दिया गया है। उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन की ड्राइविंग सीट पर समाजवादी पार्टी सवार है। समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 17 लोकसभा सीटों का प्रस्ताव दिया था। कांग्रेस 21 लोकसभा सीटों पर अड़ी हुई थी। बुधवार को लखनऊ में दोनों दलों के बीच हुई बैठक में गठबंधन पर बात बन गई। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के 21 सीटों के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में रायबरेली, अमेठी, कानपुर नगर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी, देवरिया लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पहले समाजवादी पार्टी ने गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट को कांग्रेस उम्मीदवार के चुनाव लड़ाए जाने का प्रस्ताव रखा था। दोनों दलों के नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई। सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने से इंकार कर दिया था।
जीत की हैट्रिक सहित पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है कांग्रेस
गौतम बुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र कभी जिला कांग्रेस पहले लोकसभा चुनाव में जिला बुलन्दशहर का हिस्सा थी। साल 1952 में सम्पन्न हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां चुनाव जीता। साल 1962 के लोकसभा चुनाव में आज की गौतम बुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र खुर्जा लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आ गया था। खुर्जा लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत दादरी, सिकंदराबाद, जेवर, डिबाई और खुर्जा विधानसभा क्षेत्र आते थे। इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कन्हैयालाल ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाई थी। इसके बाद कांग्रेस के हरि सिंह ने साल 1971 और वीरसैन ने साल 1984 में खुर्जा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद कांग्रेस को यहां जीत के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा। लेकिन सफलता नहीं मिली।
परिसीमन 2007 के बाद खुर्जा लोकसभा क्षेत्र का नाम गौतम बुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र हो गया। इसके अन्तर्गत गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट बनी तो नई विधानसभा नोएडा, दादरी, जेवर, सिकन्द्रबाद और खुर्जा का क्षेत्र शामिल किय गया। डिबाई विधानसभा बुलन्दशहर जिले का हिस्सा हो गई। नया परिसीमन भी कांग्रेस को रास नहीं आया और कांग्रेस का हार का सिलसिला लगातार जारी है।
पिछले तीन चुनाव कांग्रेस के लिए बुरा सपना साबित हुए हैं, एक बार उम्मीदवार ने छोड़ा मैदान
साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में गौतम बुद्ध नगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रमेश चंद तोमर यहां से कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव हार गया। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में रमेश चंद तोमर चौथे स्थान पर रहे। वहीं, साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर रमेश चंद तोमर पर विश्वास जताया और पार्टी प्रत्याशी बनाया। लेकिन इस बार रमेश चंद तोमर ने चुनाव से कुछ दिन पूर्व ही चुनाव मैदान छोड़ दिय और भाजपा में शामिल हो गए। देश की सबसे पुरानी और एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी के इस तरह चुनाव मैदान को छोड़ने पर पार्टी की खूब किरकिरी हुई। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के हाथ निराशा हाथ लगी। इस बार कांग्रेस ने अरविन्द सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया। चुनाव करीब आते आते वह चुनाव मैदान से लगभग बाहर हो चुके थे। वह तीसरे स्थान पर रहे। उन्हें महज 42 हजार वोट ही मिले।