गैंगस्टर और माफियाओं की कमर तोड़ने वाली पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह से अपराध से लड़ाई में कहां हो गई चूक ?
Where did Police Commissioner Lakshmi Singh, who broke the backs of gangsters and mafia, go wrong in fighting crime?

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर में संगठित अपराध के ताबूत में आखिरी कील ठोकने पर पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह की चारों तरफ तारीफ हो रही थी। यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि ग्रेटर नोएडा जोन में होटल संचालक कारोबारी के नाबालिग बेटे के अपहरण और हत्या की घटना ने अपराध नियंत्रण के शानदार प्रयास पर अस्थाई तौर पर पर्दा डाल दिया है। दोनों बातें तथ्यात्मक रूप से सत्य हैं। गौतम बुद्ध नगर में अपराध के खिलाफ जारी लड़ाई में लक्ष्मी सिंह की नीयत पर सवाल खड़ा करना बेईमानी होगी, लेकिन यह भी सत्य है कि पिछले कुछ महीनों में जिले में जघन्य अपराध हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि गौतम बुद्ध नगर में संगठित माफियाओं की रीढ़ तोड़ने वाली पुलिस कमिश्नर और आयरन लेडी के नाम से जानी जाने वाली लक्ष्मी सिंह से अपराध के खिलाफ लड़ाई में चूक कहां हो गई है ?
लक्ष्मी सिंह के नेतृत्व पर अचानक सवाल क्यों उठ रहा है ?
दरअसल, ग्रेटर नोएडा जोन में बीते 1 अप्रैल को मूलरूप से रबूपुरा क्षेत्र के मयाना गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार शर्मा के 15 वर्षीय नाबालिग बेटे कुणाल शर्मा का अज्ञात कार सवार बदमाशों द्वारा अपहरण किया गया था। कृष्ण कुमार शर्मा नटो की मडैया के करीब एक होटल एण्ड रेस्टोरेंट चलाते है। कुणाल को अज्ञात कार सवार अपहरणकर्ता जिस समय अपने साथ कार में बिठाकर ले गए, उस समय वह होटल पर बैठा हुआ था, जबकि उसके पिता कृष्ण कुमार शर्मा किसी निजी काम से गांव आए हुए थे। यह सारी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी। पीडित परिजनों ने सेक्टर बीटा-2 कोतवाली पुलिस से मामले की शिकायत की। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए नाबालिग की तलाश शुरू करने की अपेक्षा एक गैर जिम्मेदाराना जवाब देते हुए कहा कि नाबालिग अपनी मर्जी से गया है। परिजनों द्वारा लगातार नाबालिग की बरामदगी की मांग की गई। ग्रेटर नोएडा पुलिस ने कार्रवाई के बजाय आश्वासन देकर उन्हें लौटा दिया। बीते 5 अप्रैल को नाबालिग की बुलन्दशहर जिले के गवार खेड़ा गांव के पास स्थित नहर में नाबालिग का शव मिला। नाबालिग का शव बरामद होने के बाद पीडित पक्ष की ओर से ग्रेटर नोएडा पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए गए। हालांकि पुलिस पर लगाए गए आरोपों की सत्ययता जांच के बाद ही पता चलेगी। इसके बावजूद यदि पीडित परिजनों की बात में जरा भी सत्यता है तो पुलिस की भूमिका पूरे मामले में उदासीन ही प्रतीत होती है। फिलहाल पुलिस को जल्द से जल्द इस जघन्य हत्याकांड़ का खुलासा करना चाहिए। हत्यारोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। वहीं, दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।
रवि काना प्रकरण गिरोह की रीढ़ तोड़कर पुलिस लक्ष्मी सिंह ने संगठित अपराध पर की बहुत बड़ी कार्रवाई
जिले में पुलिस कार्रवाई का एक पहलू यह भी है कि अभी तक स्क्रैप और सरिया माफिया गिरोह पर हाथ डालने से पुलिस बचती रही थी। परिणामस्वरूप रवि काना गिरोह ने दिन दुनी रात चौगनी गति से ने अपना विस्तार किया। जिले के सक्रैप और सरिया के काले कारोबार पर उसका एकछत्र राज हो गया। इस गिरोह ने जिले से लेकर लखनऊ तक पुलिस और प्रशासन के बड़े अधिकारियों का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया था। कुछ सफेदपोश नेताओंं का साथ पाकर यह गिरोह खुलकर खेल रहा था। मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार कुछ पत्रकारों ने भी इस गिरोह से जमकर मलाई काटी। हर तरफ से अनुकूल वातावरण बनने के बाद शायद रवि काना को भी यह अंदेशा नहींं रहा होगा कि एक महिला अधिकारी उसके अकूत काली संपत्ति के साम्राज्य को मिट्टी में मिला देगी। लक्ष्मी सिंह ने न केवल हर तरह के राजनीतिक, सामाजिक और अधिकारियों के दबाव को दरकिनार करते हुए रवि काना गिरोह पर कार्रवाई की। इस गिरोह के प्रमुख सदस्यों पर गैंगस्टर की कार्रवाई करते हुए कई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस गिरोह की सैकड़ों करोड़ों की चल अचल संपत्ति को जब्त कर संगठित अपराध की रीढ़ तोड़ दी। रवि काना की पत्नी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा। रवि काना और उसके अपराध में बराबर की भागीदार उसकी प्रेमिका काजल झा पुलिस को चकमा देकर देश छोड़कर भागने में कामयाब हो गए। यह लक्ष्मी सिंह के ही प्रयास थे कि उन्हें हाल ही में थाईलैंड में न केवल गिरफ्तार किया गया, बल्कि उन्हें बिना देरी किए भारत डिपोट किया गया। पुलिस रवि काना और काजल से पूछताछ कर रही है। पुलिस जांच में कई चौकाने वाली जानकारियों सामने आ रही हैं।
अपराध के खिलाफ लड़ाई में कहां हो गई लक्ष्मी सिंह से चूक ?
पिछले कुछ महीनोंं में, विशेषकर ग्रेटर नोएडा जोन में,कुछ जघन्य वारदातें घटी हैं। यदि पुलिस समय रहते सक्रिय हो जाती तो घटना का शिकार हुए लोगों की जान बचाई जा सकती थी। शायद इन्हीं अपराधिक घटनाओं के चलते लोग पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह की अपराध के प्रति लड़ाई पर सवाल भी उठा रहे हैं। दरअसल, यह बात सही है कि लड़ाई सेनापति के नाम पर लड़ी जाती है, लेकिन लड़ाई को जीतने के लिए भरोसेमंद सिपहेसलारों की जरूरत होती है। सेनापति के प्रति समर्पित भाव रखने वाली सेना की आवश्यकता होती है। जानकारों की माने तो गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट की बागड़ोर संभालने के समय से ही लक्ष्मी सिंह को विभाग के अंदर भी लड़ाई लड़नी पड़ी है। उनके आसपास कुछ ऐसे लोग सक्रिय रहे हैं जो लक्ष्मी सिंह कीअपराध की लड़ाई को पलीता लगाते रहे हैं। कई थानों की जिम्मेवारी तक ऐसे प्रभारियों के हाथों में रही जो पुलिस कमिश्नर की अपराध के प्रति लड़ाई को कमजोर करते थे। यहां तक उनके आसपास भी ऐसे अधिकारी तैनात रहे जो लक्ष्मी सिंह की योजनाओं को पंचर करते रहे। ऐसे में लक्ष्मी सिंह को दो मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ी। जानकार बताते हैं कि लक्ष्मी सिंह ने धैर्य के साथ न केवल विभागीय परेशानियों से पार पाई। वहीं, जिले में लगातार अपराध के प्रति अपनी मुहिम को भी मजबूती से आगे बढ़ाया। सूत्रों की माने तो पुलिस कमिश्नरेट की पदानुक्रम व्यवस्था में अभी भी कई ऐसे लोग मौजूद हैं जो लक्ष्मी सिंह के नेतृत्व में आस्था नहीं रखते हैं। ऐसे लोग अपनी मनमर्जी से न केवल पुलिसिंग करते हैं, बल्कि पुलिस कमिश्नर को सही फीड़बैक नहीं देते हैं। ऐसे लोगों के कारण जहां आम जनता के बीच में पुलिस की छवि धूमिल हो रही है। वहीं, समय समय पर पुलिस थानों और पुलिस चौकी पर कुछ ऐसी खबरें सामने आती रहती हैं जिससे पूरी पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठता है ? फिर भी यदि इन बातों को मान भी लिया जाए, तो भी इन पर काबू करना भी पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह की ही जिम्मेवारी है।
रवि काना गिरोह पर कार्रवाई के कारण सफेदपोश और आला अधिकारियों के निशाने पर हैं लक्ष्मी सिंह
रवि काना गिरोह पर हुई कार्रवाई देश की कुछ चुनिंदा पुलिस कार्रवाईयों में से एक हैं। इस कार्रवाई से जहां जिले में संगठित अपराध पर कड़ा प्रहार हुआ है। वहीं, अपराधी, पुलिस, नेता और पत्रकारों के संरक्षण में चल रहे गोरखधंधे का भी पर्दाफाश हुआ है। मीडिया खबरों की माने तो रवि काना से पुलिस पूछताछ में कई बड़े लोगों के नाम सामने आए हैं। यह वही लोग हैं जिन्होंने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मदद करके रवि काना गिरोह से खूब मलाई काटी है। पता चला है कि पुलिस के पास ऐसे लगभग 50 से 60 लोगों की एक सूची हैं। यदि यह सूची सार्वजनिक हो गई तो कई चेहरों से नकाब हट जाएगा। जानकारों का मानना है कि इस कार्रवाई के बाद पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह इन राजनीतिक एवं सामाजिक सफेदपोशों औरआला अधिकारियों के निशाने पर हैं। माना जा रहा है यदि पुलिस कमिश्नर के खिलाफ इस लॉबी को जरा सा भी मौका मिल गया तो वह लक्ष्मी सिंह की घेराबंदी करने से नहीं चूकेगी। ऐसे में विभाग में अपने कुछ अधिनस्थों और जिले में कानून व्यवस्था कायम करने के लिए दो मोर्चों पर लड़ रही पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं।