राष्ट्रीय

राज्‍यसभा चुनाव में कपिल सिब्‍बल और जयंत की गोटी फिट कर अखिलेश ने चला लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बड़ा दांव

Akhilesh made big bet for Lok Sabha elections 2024 by fitting Kapil Sibal and Jayant's bundle in Rajya Sabha elections

Panchayat24.com (डॉ देवेन्‍द्र कुमारशर्मा) : उत्‍तर प्रदेश में राज्‍यसभा चुनाव में राजनीतिक दल आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिसात बिछाने में लगे हुए हैं। समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के फैसले कुछ इसी तरह के संकेत दे रहे हैं। अखिलेश यादव ने अहम फैसले लेते हुए जहां निर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर कपिल सिब्‍बल को समर्थन देकर राज्‍यसभा पहुंचने में मदद का आश्‍वासन दिया है। अन्तिम क्षण में एक और बड़ा फैसला करते हुए डिंपल यादव के स्‍थान पर रालोद अध्‍यक्ष जयंत चौधरी को भी राज्‍यसभा सीट दे दी है।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के मुख्‍य विपक्षी के तौर पर उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को ही अहम भूमिका निभानी होगी। भाजपा भी समाजवादी पार्टी को ही चुनाव में अपना मुख्‍य राजनीतक प्रतिद्वंदी मानती है। ऐसे में अखिलेश यादव भाजपा के विरोध में वोट करने वाले मतदाताओं के सामने मजबूत विकल्‍प पेश करना चाहते हैं। इसके लिए अखिलेश यादव ने कांग्रेस से नाराज चल रहे पार्टी के जी-23 के मुख्‍य सदस्‍य कपिल सिब्‍बल पर दाव लगाया है। वहीं बीते विधानसभा चुनाव में भले ही समाजवादी पार्टी सत्‍ता की कुर्सी तक नहीं पहुंच सकी हो, लेकिन रालोद से गठबंधन कर उसने पश्चिम उत्‍तर प्रदेश में भाजपा को तगड़ा झटका दिया था। अखिलेश आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव में भी रालोद की भूमिका को महत्‍वपूर्ण मानकर चल रहे हैं। इसी लिए उन्‍होंने अपनी धर्मपत्‍नी डिंपल यादव के स्‍थान पर अंतिम समय में रालोद के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जयंत चौधरी के नाम पर मुहर ला दी।

हाल ही में सम्‍पन्‍न हुए विधानसभा चुनावों के बाद अखिलेश यादव ने केन्‍द्र की राजनीति की अपेक्षा उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में सक्रियता को प्राथमिकता दी है। अखिलेश यादव भली भांति जानते हैं कि केन्‍द्र में की सत्‍ता को उत्‍तर प्रदेश से ही मजबूत समर्थन है। ऐसे में वह आगामी विधानसभा चुनावों से पूर्व प्रदेश में पार्टी के आधार को मजबूत करने और विपक्ष को एक साथ लाने की मुहिम में जुटे हुए हैं। लेकिन उन्‍हें यह भी पता है कि राष्‍ट्रीय राजनीति में मजबूत पैरोकारी के लिए उनके पास सिपहेसलारों की कमी हैं। ऐसे में कपिल सब्बिल उन्‍हें बेहतर विकल्‍प लगे हैं। कपिल सिब्‍बल का देश के लगभग हर राजनीतिक दल के साथ बेहतर ताल्‍लुकात हैं। भाजपा विरोधियों को एक मंच पर लाने में वह अहम किरदार निभा सकते हैं। वहीं राष्‍ट्रीय राजनीति में सपा का संदेश साफ एवं स्‍पष्‍ट तरीके से रख सकते हैं। भले ही कपिल सिब्‍बल ने कांग्रेस छोड़ दी हो, लेकिन अभी भी उकना कांग्रेस के अंदर खासा प्रभाव है। विशेषकर जी-23 समूह के सदस्‍यों पर। ऐसे में यदि जरूरत पड़ी तो कांग्रेस और सपा के बीच संभावनाएं पैदा कर सकते हैं। अखिलेश यादव के इरादे की झलकियां कपिल सिब्‍बल के उस बयान में भी दिखाई दी जब उन्‍होंने लखनऊ में राज्‍यसभा का नामांकन करने के बाद कहा कि हम चाहते हैं कि 2024 में एक ऐसा माहौल बने जिसमें हम भाजपा का विरोध कर सकें। हम गठबंधन बनाकर मोदी सरकार का विरोध करेंगे।

दरअसल, उत्‍तर प्रदेश से राज्‍य सभा की 11 सीटों पर चुनाव के लिए उम्‍मीदवारों के नामों की घोषणा लगभग हो चुकी है। विधानसभा में संख्‍या बल के आधार पर प्रतीत हो रहा है कि भाजपा आठ जबकि समाजवादी पार्टी गठबंधन 3 सीटें जीत सकता है। चुनाव निविरोध होने की संभावना प्रबल है। समाजवादी पार्टी के खाते से अखिलेश यादव ने राज्‍यसभा के लिए राज्‍यसभा के पूर्व सदस्‍य जावेद अली के नाम की घोषणा  की थी।

 

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