लखनऊ में हुई कार्रवाई गौतम बुद्ध नगर में हिन्डन और यमुना डूब क्षेत्र में हुए अतिक्रमण के लिए बड़ा संदेश
The action taken in Lucknow is a big message for the encroachment in the Hindon and Yamuna flood area in Gautam Buddha Nagar

Panchayat 24 : लखनऊ का अबकरनगर लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। कुकरैल नदी में अवैध रूप से हुए अतिक्रमण के खिलाफ सरकार लगातार कार्रवाई कर रही है। कई दिनों से यहां बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर आवास विभाग की लम्बित महायोजनाओं का प्रस्तुतीकरण की समीक्षा करते हुए कहा कि अभी लखनऊ में कुकरैल नदी के पुनर्जीवन की कार्रवाई की जा रही है। अवैध बसावट को हटा कर लोगों को पुनर्वासित कराया गया है। इसी प्रकार, अन्य जिलों में भी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।
बैठक में मुख्यमंत्री ने मुरादाबाद में रामगंगा नदी के किनारे अतिक्रमण का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी ही स्थिति दूसरे जिलों में भी है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि नदी बेसिन में कोई निर्माण न हो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान गौतम बुद्ध नगर के संदर्भ में बहुत अहम है। बता दें कि यहां पर भी हिन्डन और यमुना नदियों के डूब क्षेत्र में बड़ी मात्रा में अतिक्रमण हुआ है। यहां तक कि कई स्थानों पर नदियों की मुख्य धारा तक अवैध निर्माण हो चुका है। इससे उत्पन्न खतरे के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन कार्रवाई करने की इच्छा शक्ति की कमी के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। ऐसे में लखनऊ में अकबरनगर में कुकरैल नदी को संरक्षित करने के लिए चल रही कार्रवाई गौतम बुद्ध नगर में यमुना और हिन्डन नदी के डूब क्षेत्र के लिए एक संदेश है।
क्या है अकबरनगर और कुरैल नदी का मामला ?
लखनऊ के अकबरनगर में कुकरैल नदी को पुनर्जीवित करने के साथ ही भूमाफिया और घुसपैठियों से क्षेत्र को खाली कराने के लिए योगी सरकार द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है। योगी सरकार के अनुसार यहां भूमाफिया, घुसपैठियों, रोहिंग्या और बांग्लादेशियों द्वारा कब्जा कर अवैध मकानों एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानो का निर्माण किया गया है। सरकार अवैध निर्माण का ध्वस्तीकरण कर इस क्षेत्र को इको टूरिज्म का बनाने की बात कह रही है। लखनऊ के चिडियाघर को भी इसी क्षेत्र में पुनर्स्थापित किए जाने की योजना है। सरकार ने यहां विस्थापित परिवारों का भी ध्यान रखते हुए अब तक 18 सौ से ज्यादा निवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत भवनों का भी आवंटन कर दिया है।
अपराधिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया था यह क्षेत्र
उत्तर प्रदेश सरकार का पूर्व की समाजवादी पार्टी पर आरोप है कि सपा सरकार से भूमाफियाओं ने सांठगांठ करके कुकरैल नदी के अस्तित्व को खतरे में डालकर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण किया गया था। निजी लाभ के लिए सपा पोषित भूमाफिया ने कुकरैल नदी पर घुसपैठियों, रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को अवैध तरीके से बसा दिया था। इसके कारण यह पूरा क्षेत्र अपराध और जरायम का प्रमुख अड्डा बन गया। यहां से प्रदेश में अराजकता और सुरक्षा से खिलवाड़ करने के लिए साजिश रची जाती थी। यही नहीं, नियम कायदों को ताक पर रखकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनावों से पहले ही इस पूरे क्षेत्र को खाली कराकर कुकरैल नदी को पुनर्जीवित कर इस क्षेत्र को इको टूरिज्म का हब बनाने का निर्णय लिया। अब कुकरैल नदी व बंधे के बीच बसाई गई अकबरनगर की अवैध कॉलोनी को ध्वस्त किया जा रहा है। सरकार ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुकरैल नदी के अस्तित्व को वापस लौटाने के लिए लड़ाई लड़ी।न्यायालय ने अकबरनगर में अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण कार्रवाई को जारी रखने का आदेश दिया।
गौतम बुद्ध नगर में भी हिन्डन और यमुना के डूब क्षेत्र में हालात खतरनाक
गौतम बुद्ध नगर में स्थित यमुना और हिन्डन नदी में भी हालात बहुत खतरनाक हैं। यहां न केवल पर्यावरण को ताक पर रखकर अवैध निर्माण हुआ है, बल्कि वाणिज्यिक, आर्थक एवं व्यापारिक गतिविधियां संचालित की जा रही है।यहां रखूखदार लोगों के फार्म हाऊस स्थित है। कई बार इन रसूखदार लोगों के चलते प्रशासन और प्राधिकरण इन पर हाथ नहीं डाल पाता है। इस क्षेत्र में गैरकानूनी तरीके से मिक्चर प्लांट सक्रिय है। भूमाफियाओं ने डूब क्षेत्र में अवैध कॉलोनियां बसा दी है। प्रशासन और प्राधिकरण के मौन ने इस गोरखधंधे को तेजी से प्रोत्साहित किया है।
बता दें कि बीते दिसंबर में गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नदियों के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर गहरी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने आदेश दिया था कि अभियान चलाकर डूब क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि डूब क्षेत्र में किसी भी प्रकार का पक्का निर्माण न हो। अतिक्रमण हटवाने के बाद नदी किनारे पौधरोपण कराकर डूब क्षेत्र की भूमि को संरक्षित किया जाए। लेकिन प्राधिकरण और प्रशासन के अधिकारी अभी तक इस आदेश का पालन नहीं कर सके हैं। डूब क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण को लेकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। यहां की अनियोजित बसावट कानून व्यवस्था के लिए भी निकट भविष्य में एक चुनौती है।