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उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में इतिहास ने अयोध्‍या में बिसाहड़ा को दोहराया, हालात बदले और बदल गई किरदारों की भूमिका

In the politics of Uttar Pradesh, history repeated Bisahada in Ayodhya, circumstances changed and the roles of the characters changed

Panchayat 24 : अयोध्‍या में एक बारह साल की नाबालिग के साथ गैंगरेप की घटना उत्‍तर प्रदेश एवं देश में की राजनीति गरमाई हुई है। आरोपियों का संबंध समाजवादी पार्टी से जुड़ा होने के कारण पार्टी पूरी तरह से बैक फुट पर है। समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष, वरिष्‍ठ नेता शिवपाल सिंह यादव और अन्‍य पार्टी नेताओं के बयान से साफ पता चलता है कि वह आरोपियों के पक्ष में खड़े हुए हैं। वहीं, सत्‍ताधारी पार्टी भाजपा और सहयोगी दल लगातार समाजवादी पार्टी पर महिला सम्‍मान विरोधी, अपराधियों की सहयोगी और कई तरह के आरोप लगाकर हमलावर है। पुलिस ने इस घटना के दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, मुख्‍य आरोपी मोइद खां की सम्‍पत्ति की जांच कर बुलडोजर कार्रवाई जारी है। अयोध्‍या की घटना के लगभग 8 साल बाद जिस तरह के राजनीतिक हालात बन रहे हैं, उसने गौतम बुद्ध नगर के दादरी में हुए बिसाहड़ा कांड की यादें ताजा कर दी है। दोनों घटनाओं में कई तरह की समानताएं हैं। बस लगभग 8 साल में हालात और किरदारों की भूमिका बदल गई है।

क्‍या है अयोध्‍या में घटी गैंगरेप की घटना ?

दरअसल, अयोध्‍या के पुरा कलंदर कोतवाली क्षेत्र में एक बारह साल की नाबालिग से लगभग ढाई महीने पूर्व मोइद खां और उसके कर्मचारी ने गैंगरेप किया था। पीडिता की वीडियो बनाकर उसको ब्‍लैकमेल करते हुए कई बार इस घिनौने कृत्‍य को अंजाम दिया गया। इसका खुलासा उस वक्‍त हुआ जब नाबालिग के दो महीने की गर्भवती होने पर हुआ। मुख्‍य आरोपी मोइद खां समाजवादी पार्टी का भदरसा नगर अध्‍यक्ष है। हाल ही में संपन्‍न हुए लोकसभा चुनावों में आरोपी समाजवादी पार्टी के चुनाव प्रचार में काफी सक्रिय रहा था। उसकी समाजवादी पार्टी के फैजाबाद लोकसभा सीट के सांसद अवधेश प्रसाद के साथ काफी करीबी बताई जाती है। उनके साथ आरोपी के फोटों और वीडियो भी सामने आए हैं।

क्‍या था बिसाहड़ा का अकलाख हत्‍याकांड़ ?

दादरी के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 की शाम अकलाख नामक एक व्‍यक्ति पर गौहत्‍या कर गौमांस पकाने का आरोप लगा। यह खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। गौहत्‍या एवं गौमांस पकाने से आक्रोशित ग्रामीणों की भीड़ ने इकलाक के घर पर हमला कर दिया। इस घटना में इकलाख की मौत हो गई। वहीं, परिवार के कई सदस्‍य गंभीर रूप से घायल हुए थे। घटना में शामिल आरोपियों कुछ आरोपियों का नाम भाजपा से जुड़ा था। उस समय उत्‍तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्‍व में समाजवादी पार्टी की सरकार थी।

बिसाहड़ा और आयोध्‍या की घटनाओं के बीच राजनीतिक समानताएं

अयोध्‍या में नाबालिग संग हुई गैंगरेप की घटना और लगभग 8 साल पूर्व बिसाहड़ा में हुए इकलाख हत्‍याकांड़ में राजनीतिक रूप से कई समानताएं हैं। बिसाहड़ा कांड राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील था। पूरे प्रदेश और देश की राजनीति पर इस घटना का काफी असर पड़ा था। आजलकल पूरे देश में राजनीतिक रूप से मोबलिंचिंग शब्‍द प्रमुख रूप से बिसाहड़ा कांड के बाद ही प्रचलन में आया था। यह घटना साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद घटी थी। लोकसभा चुनाव में नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में भाजपा ने भारी जीत दर्ज की थी। उत्‍तर प्रदेश की सत्‍ताधारी समाजवादी पार्टी को भी भारी पराजय का सामना करना पड़ा। बिसाहड़ा कांड़ को लेकर सभी विरोधी दलों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की राजनीतिक घेराबंदी शुरू कर दी। घटना के लिए भाजपा के उग्र हिन्‍दुत्‍व को जिम्‍मेवार ठहराया। भाजपा पर आरोप लगाए गए कि जिस हिन्‍दुत्‍व के सहारे लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की उससे समाज में सामप्रदायिकता को बढ़ावा मिला है। बिसाहड़ा हत्‍याकांड़ उसका ही परिणाम है। विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेता घटना की आड़ में भाजपा को देश की शांति के लिए खतरा साबित करने पर तुल गए। विपक्ष का हर नेता इस घटना को लेकर एक से बढ़कर एक बयान दे रहा था। यहां तक कि एआईएमआईएम के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष असादुद्दीन ओवैसी के बिसाहड़ा पहुंचकर पीडित परिजनों से मुलाकात का जो सिलसिला शुरू हुआ वह कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता राहुल गांधी के नाम पर बंद हुआ। इस कड़ी में दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविन्‍द केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, संजय सिंह, कम्‍युनिष्‍ठ नेता वृंदा करात, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के कई बड़े नेताओं के नाम शामिल थे। तत्‍कालीन प्रदेश सरकार ने मृतक अकलाख परिवार हर सदस्‍य की आर्थिक मदद की। मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने इकलाख की मां और बेटी को लखनऊ बुलाकर मुलाकात की।

वहीं, अयोध्‍या में घटी घटना भी लोकसभा चुनाव 2024 के तुरन्‍त घटी है। चुनाव में उत्‍तर प्रदेश की सत्‍ताधारी भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में करारी हार का सामना करना पड़ा है। एक दशक बाद समाजवादी पार्टी उत्‍तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने में कामयाब रही है। उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के हाथों मिली हार के बाद भाजपा भूचाल मच गया। भाजपा के लिए सबसे बड़ा जख्‍म अयोध्‍या में मिली हार रही। वहीं, भाजपा उत्‍तर उत्‍तर प्रदेश में भाजपा के विजय रथ को रोकने के बाद समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ। समाजवादी पार्टी के नेता, विशेषकर पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के लगातार हमले भाजपा को लहुलुहान कर रहे थे। पेपर लीक, रोजगार, महंगाई, भ्रष्‍टाचार, कानून व्‍यवस्‍था और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर इंडिया गठबंधन के घटक दलों के साथ मिलकर केन्‍द्र सरकार पर हमला बोल रहे थे। वहीं, उत्‍तर प्रदेश में भाजपा संगठन और सरकार को लेकर मुख्‍यमंत्री और उपमुख्‍यमंत्रियों के बीच की कलह की दुखती रग पर भी अखिलेश यादव प्रहार किया। इस बीच अयोध्‍या में नाबालिग के संग हुई गैंगरेप की घटना में समाजवादी पार्टी को बैकफुट पर ला दिया है। अखिलेश यादव सहित पार्टी के सभी वरिष्‍ठ नेताओं को कुछ कहते नहीं बन रहा है। वहीं, मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने बड़ा हमला बोलते हुए समाजवादी पार्टी को महिला सुरक्षा के लिए खतरा तक बता दिया। भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल समाजवादी पार्टी पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं। अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की लोकसभा चुनाव में सफल सोशल इंजीनियरिंग पीडीए को झूठा और धोखा बता रहे हैं। निषाद पार्टी के वरिष्‍ठ नेता संजय निषाद अयोध्‍या पहुंचकर पीडित परिजनों से मिले। भाजपा का एक प्रतिनिधिमण्‍डल भी अयोध्‍या पहुंचकर पीडित पक्ष से मिला है। वहीं, पीडित परिजनों से मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने लखनऊ में मुलाकात की। सरकार की ओर से पीडिता की आर्थिक मदद भी की गई है।

दोनों घटनाओं में हुई तीव्र कानूनी कार्रवाई

बिसाहड़ा और अयोध्‍या में हुई घटनाओं में सरकारों पूरी तरह से पीडित पक्ष के साथ खड़ी दिखी। हालांकि इन दोनों ही घटनाओं में पुलिस प्रशासन ने जिस तरह की कार्रवाई की है, ऐसी कार्रवाई उसी तरह के दूसरे मामलों में शायद ही देखने को मिली हो। इसकी मुख्‍य वजह पूरी तरह से राजनीतिक है। बिसाहड़ा कांड़ के पीछे लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा से करारी हार झेलने सभी विरोधी पार्टियां, विशेषकर उत्‍तर प्रदेश की तत्‍कालीन सत्‍ताधारी समाजवादी पार्टी को इस घटना ने केन्‍द्र की नरेन्‍द्र मोदी सरकार पर हमलावर होने का मौका दे दिया। घटना के भाजपा के उग्र हिन्‍दुत्‍ववाद को समाज में साम्‍प्रदायिक माहौल पैदा करने के लिए जिम्‍मेवार ठहराया। हालांकि भाजपा ने इससे लगातार इंकार किया। य‍द्यपि कानून व्‍यवस्‍था राज्‍य सरकार का विषय है। इस आधार पर बिसाहड़ा कांड़ के लिए राज्‍य सरकार को जिम्‍मेवारी लेनी चाहिए थी, लेकिन भाजपा विरोधी पूरी तरह इसके लिए भाजपा को ही जिम्‍मेवार ठहराने पर डटे हुए थे। हालांकि तत्‍कालीन सरकार के दबाव के कारण पुलिस एवं प्रशासन ने आरोपियों को चिन्हित कर तीव्र एवं कड़ी कार्रवाई की। वहीं, पुलिस की इस कार्रवाई पर ग्रामीणों ने सवाल भी उठाए थे। आरोप था कि पुलिस ने सरकार के दबाव में कई ऐसे युवकों के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम दिया जिनका इस प्रकरण से कोई संबंध नहीं था। वहीं, इस घटना के सहारे भाजपा विरोधियों ने अल्‍पसंख्‍यक वोटबैंक को साधने का हर संभव प्रयास किया। यह पूरे प्रकरण ने हिन्‍दु बनाम मुस्लिम और भाजपा बनाम भाजपा विरोधी का रूप ले लिया था। उत्‍तर प्रदेश में यह घटना आगामी 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा और दशा तय करने वाली साबित होने वाली थी।

वहीं, अयोध्‍या घटना 2024 के लोकसभा चुनाव के कुछ समय बाद घटी है। घटना से पूर्व उत्‍तर प्रदेश में सत्‍ताधरी भारतीय जनता पार्टी पर निराशा के बादल छाए हुए थे। वहीं, चुनाव में मिली जीत से उत्‍साहित समाजवादी पार्टी नेताओं के बयान भाजपाईयों को असहनीय पीड़ा दे रहे थे। इस बीच अयोध्‍या में हुई इस घटना ने समाजवादी पार्टी को पूरी तरह से बैकफुट पर धकेल दिया है। लोकसभा चुनाव के बाद उत्‍साह से लबरेज समाजवादी पार्टी के नेताओं को इस घटना को न निगलते बन रहा है और न ही उगलते। वहीं, भारतीय जनता पार्टी को समाजवादी पार्टी पर हमलावर होने का मौका मिल गया है। भाजपा समाजवादी पार्टी पर दलित विरोधी एवं अल्‍पसंख्‍यक तुष्‍टीकरण का आरोप लगा रही है। सरकार ने पूरे प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की है। घटना के आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। मुख्‍य आरोपी मोईद खां की संपत्ति की जांच के बाद बुलडोजर कार्रवाई की है। सरकार स्‍पष्‍ट कर चुकी है कि हर हाल में पीडिता को न्‍याय दिलवाया जाएगा। घटना के राजनीतिक निहितार्थ देखे तो सरकार दलित समाज को समाजवादी पार्टी के दलित विरोधी होने का संदेश देना चाहती है। वहीं, आरोपी पक्ष सरकार की कार्रवाई पर अल्‍पसंख्‍यक विरोधी होने का आरोप लगा रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव इस घटना की निंदा जरूर कर रहे हैं, लेकिन अप्रत्‍यक्ष रूप से मुख्‍य आरोपी मोईद के पक्ष में ही खड़े दिख रहे हैं। उनका कहना है कि घटना की सत्‍यता का पता लगाने के लिए डीएनए टेस्‍ट कराया जाना चाहिए। वहीं, शिवापाल सिंह यादव ने एक कदम आगे बढ़ते हुए नार्को टेस्‍ट की मांग की है। पर्दे के पीछे घटना राजनीतिक रूप से हिन्‍दु बनाम मुस्लिम होती दिख रही है। यह घटना लोकसभा चुनाव 2024 के बाद उत्‍तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनावों की दिशा और दशा तय करेगी। उपचुनावों की हार जीत आगामी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में नैतिक बढ़त दिलाने का काम करेगी। ऐसे में उपचुनावों से सत्‍ता पक्ष और विपक्ष की प्रतिष्‍ठा जुड़ी हुई है।

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