20 सितम्बर तक कांग्रेस के अध्यक्ष कानाम तय होना है : अशोक गहलोत होंगे कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष ?
Congress President's name to be decided by 20th September: Ashok Gehlot will be the new National President of Congress?
Panchayat24 : भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस एक बड़े ऐहितासिक फैसले की ओर बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। पार्टी किसी गैर गांधी परिवार के सदस्य को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन सकती है। मीडिया रिपेार्ट की माने तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे चल रहा है। जानकारों की माने तो कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को अपने आवास पर मुलाकात की थी जिसके बाद उन्होंने अशोक गहलोत के नाम की पेशकश की है। सोनिया गांधी ने अपने खराब स्वास्थ्य के कारण अशोक गहलोत से पार्टी की कमान संभालने के लिए आग्रह किया है। वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अशोक गहलोत का कहना है कि उन्हें इस बारे में मीडिया से ही पता चला है। बता दें कि अशोक गहलोत राहुल गांधी को ही कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की पैरवी की है। बता दें कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आगामी 28 अगस्त को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की वर्चअल बैठक होगी। इसमें सोनिया गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव की तारीख तय करेगी।
अशोक गहलोत को ही पार्टी की कमान क्यों सौंपना चाहती है सोनिया गांधी
पार्टी जानकारों की माने तो सोनिया गांधी के द्वारा अशोक गहलोत को पार्टी की कमान सौंपे जाने के पीछे पहला मुख्य कारण है कि वह राजस्थान में पार्टी के अन्दर पनप रहे असंतोष को दबाना चाहती है। ऐसा करके वह अशोक गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनाकर उनका पार्टी में कद बढ़ाना चाहती है, जबकि राजस्थान में लम्बे समय से सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग को पूरा करके प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव सचिन पायलट के नेतृत्व में लड़ने के लिए रास्ता साफ करना चाहती है। दूसरा अहम कारण लम्बे समय से पार्टी के अन्दर से रह रहकर उठने वाली उन आवाजों को भी शांत किया जा सकेगा जिनमें गैर गांधी परिवार के कार्यकर्ता को पार्टी की कमान सौंपने की मांग की जाती है। बता दें कि गांधी परिवार के सदस्य को पार्टी की कमान सौंपने वाले कार्यकर्ता चाहते हैं कि यदि गांधी परिवार के किसी सदस्य को जो गांधी परिवार का विश्वास पात्र हो। ऐसे में अशोक गहलोत उस पैमाने पर सटीक बैठते हैं।
पार्टी जानकारों के अनुसार अशोक गहलोत भले ही पार्टी संगठन तथा पुनर्गठन की बात कहकर राहुल गांधी को दोबारा पार्टी का अध्यक्ष बनाने पर जोर दे रहे हो, लेकिन इसके पीछे उनके भी राजनीतिक कारण है। जानकारों का मानना है कि अशोक गहलाेत को लगता है यदि वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभलते हैं तो पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को साधने में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। जो पार्टी कार्यकर्ता और नेता केवल गांधी परिवार के नाम पर एक जुट रहते हैं, यदि उन्होंने उन्हें स्वीकार नहीं किया तो पार्टी में गुटबाजी शुरू हो जाएगी। ऐसे में पार्टी की और अधिक दुगर्ति हो सकती है। वहीं राजस्थान की राजनीति से बाहर होने पर उनका दबदबा राजस्थान में कम हो जाएगा। सचिन पायलट प्रदेश में पूरी पार्टी को टेकओवर कर लेंगे।