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नोएडा में बनेगा नगर निगम ? चुने जाएंगे मेयर और पार्षद ? सुप्रीम कोर्ट की टिप्‍पणी के बाद फिर शुरू हुआ नोएडा में स्‍थानीय स्‍वशासन को जीवंत करने का विचार

Will a Municipal Corporation be formed in Noida? Will Mayor and councillors be elected? Know what is the whole matter

Panchayat 24 (नोएडा) : नोएडा जल्‍द ही एक महानगर निगम बनेगा ? यहां भी उत्‍तर प्रदेश के अन्‍य नगर निगमों की तरह मेयर और वार्ड पार्षद चुने जाएंगे ? यह सवाल एक बार फिर जिले के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बन रहे हैं। इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्‍तर प्रदेश सरकार को दिया गया वह निर्देश है जिसमें सरकार को नोएडा को मेट्रोपॉलिटन काउंसिल बनाने की बात कही गई है। यदि ऐसा होता है तो नोएडा में भी स्‍थानीय स्‍वसासन जीवंत हो जाएगा। बता दें कि उत्‍तर प्रदेश में गौतम बुद्ध नगर के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्‍स्‍प्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के अधिसूचित क्षेत्र में स्थित क्षेत्र में ग्राम पंचायत चुनाव समाप्‍त कर दिए गए हैं। इन क्षेत्रों की नागरिक सेवाओं की पूर्ति इन प्राधिकरणों द्वारा ही की जाती हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की टिप्‍पणी ने एक बार फिर जिले में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के उन गांवों में स्‍थानीय चुनाव व्‍यवस्‍थाओं की बाहली के लिए उम्‍मीद की किरण जगा दी हे जहां पर इन्‍हें समाप्‍त किया जा चुका है।

क्‍या है पूरा मामला ?

दरअसल, एक एसआईटी नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में हुई धांधली की जांच कर रही है। एसआईटी रिपोर्ट में पाया है कि प्राधिकरण ने बिल्‍डरों के पक्ष में नीतियां बनाई है। लगभग दो दर्जन मामलों में जमीन मालिकों को निर्धारित से अधिक मुआवजा दिया गया है। इससमें प्राधिकरण अधिकारियों की मिलीभगत है। वहीं, प्राधिकरण की नीतियों में निष्‍पक्षता और पारदर्शिता का भी अभाव दिखा है। पूरा प्राधिकरण चंद अधिकारियों के आसपास केन्द्रित होकर रह गया है।

इस पूरी व्‍यवस्‍था में जनता के साथ पारदर्शी नीतियों का अभाव है। भ्रष्‍टाचार में आरोपों में फंसे दो अधिकारियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की जांच रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुएउत्‍तर प्रदेश सरकार को नोएडा में नगर निगम बनाने का निर्देश दिया है। जिससे प्रशासन की नीतियों को जनता के हितों के अनुरूप पारदर्शी बनाया जा सके। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्‍या बागची ने एसआईटी की सिफारिसों के आधार पर उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह इन सुझावों को मंत्रि परिषद के सामने रखे और उचित निर्णय ले।साथ ही कोर्ट ने नोएडा के लिए आगामी चार सप्‍ताह में नागरिक एडवाइजरी बोर्ड के गठन का भी निर्देश दिया है जो नागरिक समस्‍याओं को सुनने और उनके निदान का काम करेगी। साथ ही पर्यावरण प्रभाव मूल्‍यांकन एवं ग्रीन ट्रिब्‍यूनल की स्‍वीकृति के बिना नोएडा में कोई भी नया प्रोजेक्‍ट शुरू न किया जाए। जब तक मंत्रि परिषद का इस विषय पर कोई निर्णय आता है नोएडा के वित्‍तीय लेनदेन के लिए मुख्‍य सचिव को एक सतर्कता अधिकारी नियुक्‍त करने का आदेश दिया गया है।

क्‍यों किया गया नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गठन ?

दरअसल, दिल्‍ली के औखला क्षेत्र में औद्योगिक संस्‍थानों के लिए एक वैकल्पिक स्‍थान के रूप में नोएडा को चुना गया था। इस क्षेत्र को उत्‍तर प्रदेश सरकार ने नए औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की भी योजना बनाई थी। इस औद्योगिक क्षेत्र के प्रबंधन के लिए उत्‍तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम, 1976 के अन्‍तर्गत नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गठन किया गया। वर्तमान में नोएडा के अन्‍तर्गत 81 गांव का लगभग 20316 हेक्‍टेयर भूमि आति है। नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण का शीर्ष अधिकारी सीईओ होता हे। यह एक वरिष्‍ठ आईएएस होता है। शुरू में नोएडा के अन्‍तर्गत आने वाले गांवों में पंचायती चुनाव होते थे।

साल 2016 संविधान की धारा 243 क्‍यू का हवाला देते हुए 243 क्यू में प्रावधान है कि नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में पड़ने वाले गांवों में ग्राम पंचायत चुनाव समाप्‍त कर दिए गए थे। यही व्‍यवस्‍था ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण में लागू करते हुए कुछ गांवों के पंचायती चुनाव समाप्‍त किए गए थे। साल 2016 में पूरे गौतम बुद्ध नगर में 203 गांवों के ग्राम पंचायत चुनाव समाप्‍त किए गए थे। महज 153 ग्राम पंचायतों में ही पंचायती चुनाव संम्‍पन्‍न हुए थे। वहीं, साल 2026 में होने वाले उत्‍तर प्रदेश पंचायती चुनावों के लिए भी गौतम बुद्ध नगर में एक बार फिर यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की 6 ग्राम पंचायतों से भी चुनावी व्‍यवस्‍था समाप्‍त कर दी गई है। साल 2026 में गौतम बुद्ध नगर जिले में महज 82 ग्राम पंचायतों में ही पंचायती चुनाव संपन्‍न होंगे।

महानगरपालिका का गठन होने से नागरिकों के प्रति बढ़ेगी जवाबदेही

दरअसल, वर्तमान में गौतम बुद्ध नगर में स्थित नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्‍स्‍प्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा ही इनके अधिसूचित क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के साथ नागरिक सेवाओं की पूर्ति भी की जा रही है। इसके बावजूद लोकतंत्र की नर्सरी कहे जाने वाले स्‍थानीय स्‍वशासन को यहां लगातार समाप्‍त किया जा रहा है। इन प्राधिकरणों के नीति निर्माण में स्‍थानीय लोगों की कोई हिस्‍सेदारी नहीं है। यदि जिले में महानगरपालिका का गठन होता है तो इन संस्‍थाओं में स्‍थानीय लोगों के प्रति जवाबदेही बढ़ेगी।

महानगरपालिका अथवा नगर निगम बनने के बाद औद्योगिक विकास प्राधिकरणों से नगर निगम वाले काम जैसे कचरा उठाना, स्‍ट्रीट लाइट लगाना, सीवरेज और लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य आदि, निकल जाएंगे। अन्‍य राज्‍यों एवं शहरों में भी इन कामों को लिए महानगरपालिका जैसी संस्‍थाएं काम कर रही हैं। जैसे दिल्‍ली में एमसीडी और मुम्‍बई में बीएमसी आदि। वहीं, दिल्‍ली में योजनाएं बनाने का काम डीडीए और मुम्‍बई में एमएमआरडीए अस्तित्‍व में हैं। वहीं, पड़ोसी जिला गाजियाबाद में भी जीडीए के साथ नगर निगम का भी काम कर रहा है। जहां प्राधिकरणों के गठन के बाद धीरे-धीरे जिले में जिलीाधिकारी का अधिकार क्षेत्र सीमित हो चुका है। वहीं, नगर निगम अथवा महानगर पालिका के गठन के बाद जिलाधिकारी की शक्तियों एवं अधिकार क्षेत्र में पुन: वृद्धि हो जाएगी।

क्‍या कहता है 73वां एवं 74वां संवैधानिक संशोधन :

साल 1992 के संविधान (73वा एव 74वां संविधान संशोधन) अधिनियम गांवों में ग्राम पंचायतों और शहरों में नगर पंचायत, नगरपालिका और महानगरपालिका के गठन की बात कहता है। इसके अन्‍तर्गत दस लाख की आबादी वाले शहरों में महानगरपालिका के गठन की बात कही कही गई है। यदि नोएडा की बात करें तो यहां की आबादी एक महानगरपालिका के लिए नियत आबादी से लगभग दो से दो से तीन गुना हो चुकी है। यदि नोएडा में महानगरपालिका का गठन होता है तो नागरिकों को सीधे मेयर और पार्षद चुनने का अधिकार मिल जाएगा। । साल 2017 में भी नोएडा को महानगर पालिका अथवा नगर निगम जैसी व्‍यवस्‍था देने की मांग उठी थी। संभवत: सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद पंचायती चुनाव बहाली एवं गौतम बुद्ध नगर में औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में नगर निगम अथवा महानगर पालिका के गठन की मांग करने वालों को मजबूती मिलेगी। एक बार फिर इस तरह के जन आंदोलन जिले में देखने को मिल सकते हैं।

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