उड़ीसा चुनाव में भाजपा और बीजद में राज्य का पटनायक बनने की लड़ाई में किस करवट बैठेगा ऊंट ?
In Orissa elections, which way will the camel turn in the battle between BJP and BJD to become the Patnaik of the state ?

Panchayat 24 : क्या पच्चीस वर्षों से उड़ीसा के मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे नवीन पटनायक का सूर्य अस्त होने को है ? मैं अक्टूबर 2022 में पुरी गया था। भगवान जगन्नाथ के मंदिर से लेकर समुद्र के तट तक और कोणार्क मंदिर से लेकर चिल्का झील तक उड़ीसा के नागरिकों में अपने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लेकर कोई भ्रम नहीं था। नवीन बाबू उनके नायक नहीं पटनायक थे।
हां, केंद्र में मोदी सरकार को लेकर भी उनमें कोई भ्रम नहीं था। पुरी और भुवनेश्वर में भ्रमण के दौरान भाजपा के झंडे भी दिखाई देते थे परन्तु बीजद के झंडे अधिक थे। डेढ़ बरस में उड़ीसा की राजनीति में कितना परिवर्तन आया होगा ?उड़ीसा संभवतः भारत का एकमात्र राज्य है जहां बच्चे के जन्म तथा किसी की मृत्यु होने पर उसके क्रिया कर्म के लिए राज्य सरकार अनुदान देती है। इस प्रकार नवीन पटनायक का राज्य में एक बड़ा मतदाता वर्ग है जो लाभार्थी है। उनपर भ्रष्टाचार का भी कोई बड़ा आरोप नहीं है। उन्होंने विवाह नहीं किया और उन पर परिवारवाद का आरोप भी नहीं है। वह केंद्र की राजनीति में बहुत दिलचस्पी नहीं लेते हैं और अपने राज्य में किसी को घुसपैठ का अवसर नहीं देते हैं।
छठवीं बार विधानसभा चुनाव का सामना कर रहे नवीन पटनायक के स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। एक स्थान पर भाषण के वीडियो में उनके बिना अनावश्यक हिलते दिखाई दिए। उनके बांये हाथ को भाजपा मुद्दा बनाकर उनके गिरते स्वास्थ्य का जोर शोर से प्रचार कर रही है। चुनाव से ठीक पहले गठबंधन बनाने में विफल रहे दोनों दलों बीजद और भाजपा ने लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक दूसरे के विरुद्ध लड़ा है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजद ने 109 और भाजपा ने मात्र 22 सीटें जीती थीं।
इस बार मुकाबला थोड़ा कांटे का है। लोकसभा के साथ विधानसभा में भी भाजपा पूरा जोर लगा रही है। इस बीच मुख्यमंत्री पटनायक के खासमखास समझे जाने वाले पूर्व आईएएस वी के पांडियन की भी चर्चा है। उनकी भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पांडियन नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी होंगे। उनके बाहरी (तमिल) होने के कारण भी भाजपा हमलावर है। हालांकि गिरते स्वास्थ्य और पांडियन के बढ़ते प्रभाव को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रही भाजपा के लिए विधानसभा में बहुमत हासिल करना अभी शायद दूर की कौड़ी है। नवीन पटनायक का जादू अभी समाप्त नहीं हुआ है और भाजपा राज्य की राजनीति में अभी हाशिए से थोड़ा ही आगे बढ़ पाई है।
लेखक : राजेश बैरागी, वरिष्ठ पत्रकार