एनडीए की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए आदिवासी महिला द्रोपदी मुर्मु होंगी उम्मीदवार, विपक्षी एकता की होगी अग्निपरीक्षा
Tribal woman Draupadi Murmu will be the candidate for the presidential election from NDA, the opposition unity will be a litmus test
Panchayat24 : देश के महामहिम अर्थात राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष और सत्ता के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार शाम को एनडीए उम्मीदवार के तौर पर द्रोपदी मुर्मु के नाम की घोषणा करते हुए कहा कि हम राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मु के नाम की घोषणा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह पहली बार हो रहा है कि किसी आदिवासी महिला को बतौर राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में वरीयता दी गई है। एनडीए की ओर से द्रोपदी मुर्मु को राष्ट्रपति पद का दावेदार बनाकर विपक्षी एकता के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। दरअसल, जो राजनीतिक दल महिलाओं और आदिवासी तथा दलितों के नाम पर राजनीति करते हैं, उनके लिए दुविधा हो सकती है।
बता दें कि विपक्ष की ओर से पूर्व भाजपा नेता और वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने मंगलपरी को विपक्षी नेताओं के साथ हुए बेठक के बाद यशवंत सिंन्हा के नाम की घोषणा की। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों ने चर्चा के बाद यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। दरअसल यशवंत सिन्हा का नाम पवार, गोपालकृष्ण गांधी और फारूक अब्दुल्ला के राष्ट्रपति पद के चुनाव की दौड़ से बाहर होने के बाद सामने आया।विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा 27 जून जून सुबह 11.30 बजे नामांकन दायर करेगा।
सर्वसहमति बनाने में असफल होने पर लिया गया फैसला
दरअसल, एक परम्परा है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम तौर पर राष्ट्र्र्र्रपति जैसे पद के चुनाव के लिए आम सहमति बना ली जाती है। इस बार भी सत्ता पक्ष की ओर से यह प्रयास किए गए। विपक्ष से बातचीत की जिम्मेवारी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को दी गई थी। काफी प्रयासों के बावजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए आम सहमति नहीं बन सकी। जेपी नड्डा ने कहा कि एनडीए में लगभग 20 नामों पर चर्चा हुई। देश के पूर्वोत्तर राज्यों पर सहमति थी। । सभी चाहते थे कि वह महिला और आदिवासी क्षेत्र से हो। क्योंकि कोई भी आदिवासी पहले कभी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं रहा। ऐसे में सभी द्रोपदी मुर्मु के नाम पर सहमत हो गए।
कौन है द्रोपदी मुर्मु ?
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभ्ज्ञंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू का परिवार एक संथाली है। संथाली एक आदिवासी जनजातिय आदिवासी समूह से सम्बन्धित है। द्रोपदी मुर्मु भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं। 2006 से 2009 तक एसटी मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रहीं। 2004 से 2009 तक रायरंगपुर विधानसभा की विधायक रही है। उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार में वह 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार और 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं। 2007 में विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार जीता है। मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल भी रहीं। वह सर्वपल्ली राधाकृष्णन की तरह द्रौपदी मुर्मू लंबे समय से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हैं और लंबे समय तक विधायक और मंत्री रही हैं।