एक चर्चा ऐसी भी है : एक बोतल शराब और दस हजार रूपयों की भेंट चढ़ गई सामाजिक सरोकारों की लड़ाई
There is also a discussion like this: The fight for social concerns became a gift of a bottle of liquor and ten thousand rupees

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर जिले में पुलिस, प्रशासन, प्राधिकरण और पत्रकारों के संबंधों का संक्रमणकाल चल रहा है। अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होने के चलते कुछ पत्रकार जेल में हैं। पुलिस के अनुसार कई मामलों में पत्रकारिता से जुड़े लोगों ने ब्लैकमेलिंग जैसा अपराध भी किया है। ट्राई सिटी टुडे न्यूज पोर्टल के मालिक पंकज पाराशर के करीबी आदित्य शर्मा को पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया हे। उस पर खबर छापने की एवज में दस लाख रूपये के लिए ब्लैकमेल करने का आरोप है।
इस प्रकरण पर मेरे वरिष्ठ साथी द्वारा एक लेख में लिखा है कि निसंदेह इससे जनपद गौतमबुद्धनगर और अन्य जनपदों में भी कुकुरमुत्तों की भांति पैदा हो गये तथाकथित पत्रकारों और ब्लैकमेलर में भय पैदा होगा। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर यहां तक लिखा है कि कमिश्नरेट पुलिस की इस कार्रवाई से नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) और जिला प्रशासन में ब्लैकमेल होते रहे लोगों में खुशी का माहौल है।
यहां सवाल उठता है कि पत्रकार ब्लैकमेलर हो गए हैं या फिर ब्लैकमेलर पत्रकार हो गए हैं ? तकनीकी विकास ने एक पत्रकार और आम आदमी के बीच की दूरी को समाप्त कर दिया है। दोनों के बीच महज एक मोबाइल जितना अंतर रह गया है। ऐसे लोगों की भारी भीड़ दिखाई देती है जो मोबाइल से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर सामाजिक सरोकार की लड़ाई लड़ते हैं। व्यवस्था की खामियों और जनता की आवाज को बिना पत्रकारिता के उठाते हैं। ऐसे लोगों को समाज का सजग एवं जागरूक नागरिक भी कहा जा सकता है। बशर्ते इनकी जागरूकता और सजगता स्थाई और सकारात्मक हो।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यीडा और जिला प्रशासन में जनसरोकार की लड़ाई लड़ने वाले ऐसे योद्धाओं की भरमार है। सोशल मीडिया पर इनकी दमदार उपस्थिति भी होती है। वर्तमान में इनकी जनसरोकार की लड़ाई सवालों के घेरे में है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से जुड़ा ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है, जहां सामाजिक सरोकार की लड़ाई लड़ने का दंभ भरने वाले योद्धा ने प्राधिकरण की अव्यवस्था का वीडियो बनाकर सक्षम अधिकारी को पोस्ट किया। अधिकारी ने अधीनस्थ अधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए। 24 घंटे बाद ही सामाजिक योद्धा ने संबंधित अधिकारी को पुन: वीडियो भेजकर सूचित किया कि साहब अब सब कुछ चंगा है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अधिकारियों के भ्रष्टाचार और उदासीनता के लिए बदनाम है। कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को आदेशों का पालन कराने में पसीने छूठ जाते हैं। यह सुनकर आश्चर्य हुआ कि महज 24 घंटे में प्राधिकरण की कार्रवाई ने प्राधिकरण के भ्रष्टाचार और उदासीनता के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक योद्धा को संतुष्ट कर दिया ? जब जानकार से पूछा कि एक रात में ऐसा क्या चमत्कार हुआ कि अचानक ग्रेटर नोएडा में रामराज्य स्थापित हो गया है। जानकार ने मायूस होकर उत्तर दिया, कुछ नहीं बस एक बोतल शराब और दस हजार रूपयों की भेंट चढ़ गई सामाजिक सरोकारों की लड़ाई।