अपराध नियंत्रण के लिए तकनीक प्रयोग हो रहा कारगर साबित, फॉरेंसिक तकनीक से साइबर अपराधियों को मिल रही है सजा
The use of technology for crime control is proving to be effective, cyber criminals are being punished through forensic technology

Panchayat 24 (लखनऊ) : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित फारेंसिक पुलिस को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने और अपराध नियंत्रण के लिए तकनीकी प्रयोग पर जोर दिया गया है। योगी सरकार ने पिछले आठ वर्षों में अपराध की रोकथाम, अपराधियों की पहचान और कोर्ट में प्रभावी पैरवी के जरिये कठोर सजा दिलाने के लिए फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला का विस्तार करते हुए में फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की स्थापना भी की है। साथ ही युवा फॉरेंसिक के क्षेत्र में अपना करियर बना सकें। फॉरेंसिक द्वारा साइबर अपराध समेत अपराधियों को फॉरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर कड़ी सजा दिलायी जा सके।
उत्तर प्रदेश का पहला फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट
योगी सरकार ने प्रदेश के पहले फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की स्थापना की है। वर्तमान में यह संस्थान फॉरेंसिक शिक्षा और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र है। यहां प्रशिक्षु वैज्ञानिकों, पुलिस अधिकारियों और जांच से जुड़े कर्मियों समेत छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।। साथ ही नई तकनीकों पर शोध कार्य भी किया जा रहा है। इससे उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में नई पहचान मिल रही है। विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं को न सिर्फ विस्तार दिया गया, बल्कि उन्हें अत्याधुनिक संसाधनों से भी लैस किया गया है।
फॉरेंसिक विज्ञान की मदद से न्याय और सुरक्षा की भावना मजबूत
फॉरेंसिक विज्ञान को लेकर उठाए गए ये कदम केवल अपराधियों को सजा दिलाने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ये समाज में न्याय और सुरक्षा की भावना को भी मजबूत कर रहे हैं। यह पहल उत्तर प्रदेश को एक सुरक्षित, न्यायपूर्ण और आधुनिक राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।
विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की संख्या में लगातार वृद्धि
उत्तर प्रदेश में साल 2017 से पहले प्रदेश में महज 4 विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं संचालित थी। इन प्रयोगशालाओं का संचालन लखनऊ, वाराणसी, आगरा और गाज़ियाबाद में किया जा रहा था। साल 2017 के बाद 8 नई प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। वर्तमान समय में प्रदेश में कुल 12 विधि विज्ञान प्रयोगशालाएँ सक्रिय हैं। इनमें झांसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर, बरेली, गाेंडा, अलीगढ़ और मुरादाबाद शामिल हैं। पूर्व में जहां सीमित संख्या में उपलब्ध प्रयोगशालाओं के कारण मामलों के निस्तारण में विलंब होता था, वहीं अब विभिन्न जिलों में उपलब्ध प्रयोगशालाओं से पुलिस और न्यायालयों को समयबद्ध रिपोर्ट प्राप्त हो रही है।
उत्तर प्रदेश में 6 नई प्रयोगशालाओं की स्थापना का कार्य जारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने आधुनिक तकनीकों से लैस फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अयोध्या, बस्ती, बांदा, आज़मगढ़, मीरजापुर और सहारनपुर में 6 नई प्रयोगशालाओं की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। इन प्रयोगशालाओं के शुरू हो जाने के बाद प्रदेश में अपराध नियंत्रण और साक्ष्य संकलन की प्रक्रिया और भी प्रभावी हो जाएगी।
राज्य स्तर पर अंगुली चिन्ह ब्यूरो और उससे जुड़े नेटवर्क को हाईटेक बनाया गया
उत्तर प्रदेश की विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। NAFIS (National Automated Finger Print Identification System) के तहत राज्य स्तर पर अंगुली चिन्ह ब्यूरो और उससे जुड़े नेटवर्क को हाईटेक बनाया गया है। इससे एसटीएफ की 9 यूनिट, एटीएस की 1 यूनिट और जीआरपी की 12 इकाइयों को जोड़ा गया है। वहीं, 98 लोकेशनों पर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की स्थापना की गयी है। इस व्यवस्था के चलते एनसीआरबी नई दिल्ली द्वारा जारी डैशबोर्ड में प्रदेश को पहला स्थान प्राप्त हुआ है। अब तक लगभग 4,14,473 फिंगरप्रिंट्स का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। इससे अपराधियों की पहचान और अज्ञात शवों के मिलान की प्रक्रिया सरल और त्वरित हुई है।
विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की नियुक्ति पर भी जोर
सरकार ने हाल के वर्षों में तीन नई अधिनियम (BNS, BNSS, BSA-2023) लागू किए हैं, जिनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की नियुक्ति पर भी जोर दिया गया है। नई भर्ती के माध्यम से प्रशिक्षित वैज्ञानिकों को विभिन्न इकाइयों में तैनात किया गया है। ये वैज्ञानिक विवेचना, साक्ष्य संग्रहण, प्रयोगशाला विश्लेषण और बीट आधारित पुलिसिंग में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट के कार्यक्रम में करेंगे उद्घाटन करेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान (UPSIFS) के तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम में साइबर, बहुपक्षीय कानूनी ढांचे, फॉरेंसिक और रणनीतिक काउंटरमेजर्स जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी। इस तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन का उद्देश्य साइबर सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय कानूनी फ्रेमवर्क, फॉरेंसिक विज्ञान के बीच के संबंधों को समझने और इस क्षेत्र में रणनीतिक काउंटरमेजर्स की दिशा में कदम उठाने पर केंद्रित है। सम्मेलन में दुनियाभर के विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे, जो साइबर अपराध और अपराध विज्ञान से जुड़े विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान के ऑडिटोरियम में आयोजित होगा।