संघर्ष को मिली सफलता : किसान का बेटा बना इण्टरमीडिएट में जिला टॉपर, नेवी में शामिल होकर देश सेवा करने का है संकल्प
The struggle got success: the son of the laborer became the district topper in Intermediate, resolved to serve the country by joining the Navy
डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat24 : कहते है सफलता कभी बेकार नहीं जाती। मेहनत एक दिन रंग जरूर लाती है। इस बात को मजदूर के एक बेटे ने साकार करके दिखा दिया। दादरी क्षेत्र के फूलपुर गांव के रहने वाले एक किसान के बेटे दीपांशु तोंगड ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की इण्टरमीडिएट की परीक्षा में गौतम बुद्ध नगर में बालक और बालिका वर्ग में सर्वाधिक अंक हासिल कर जिला टॉप किया है। दीपांशु सैंथली स्थित जवाहर इंटर कॉलेज का छात्र है। उसने 500 में से 440 अंक हासिल कर यह उपलब्धि हासिल की है। उसकी इस सफलता के पीछे संघर्ष की एक लम्बी कहानी है।Panchayat24 ने दीपांशु से फोन पर एक्सक्लूसिव बातचीत की है। इस दौरान दीपांशु ने कुछ ऐसी बातें बताई है जिन्हें हमारे दिल में उसकी इस सफलता का कद कई गुना बढ़ गया है।
जिले में टॉप 5 में शामिल होने का बनया था लक्ष्य
दीपांशु ने हमे बताया कि साल 2020 में भी उसे हाईस्कूल में जिले में छठवींं रेंक हासिल हुई थी। उसने परीक्षा की तैयारी लक्ष्य बनाकर की थी। उसका लक्ष्य था कि वह इण्टरमीडिएट की परीक्षा में कम से कम टॉप-5 में अपनी जगह बना सके। परीक्षा देने के बाद इस बात की संभावनाएं प्रबल हो गई थी। हालांकि, वह जिला टॉप करेगा, यह नहीं सोचा था। जिला टॉप करने पर दीपांशु की सामान्य प्रतिक्रिया था। उसने कहा अच्छा है कि मैंने जिला टॉप किया है। लेकिन इसका वास्तविक अर्थ तब है जब मैं अपने परिवार की जिम्मेवारी का निर्वहन कर सकूं। मेरी मंजिल अभी दूर है।
एलजी कम्पनी में पिता करते थे नौकरी, दो साल पूर्व हो गया था देहांत
दीपांशु तोंगड़ ने बताया कि उसके पिता महेश सिंह ग्रेटर नोएडा स्थित एलजी कम्पनी में ठेकेदार के अन्तर्गत नौकरी करते थे। गांव में उनकी थोड़ी सी खेती योग्य जमीन भी है जिस पर वह खेती भी करते थे। वह टयूमर से पीडि़त थे। दो साल पूर्व उनका देहांत हो गया था। उसने बताया कि जब उनका देहांत हुआ उस समय उसकी हाईस्कूल की परीक्षाएं चल रही थी। वहीं उसकी माताजी सीमा एक गृहणी है। वह ही घर का सारी जिम्मेवारी उठा रही है। परिवार में उसकी एक छोटी बहन है जो गांव में ही कक्षा सात में पढ़ती है।
गुरूओं के प्रति आभार जिन्होंने निशुल्क शिक्षा दी
दीपांशु तोंगड़ ने बताया कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। जवाहर इंटर कॉलेज से पढ़ाई कर रहा था। लेकिन उसने निजी तौर पर पढ़ाई की जिसमें उसके गुरूओं ने उसकी मदद की है जिन्होंंने उसे निशुल्क शिक्षा प्रदान की। उसने विशेष तौर पर विज्ञान के अध्यापक नवीन कुमार, हिन्दी के अध्यापक वरूण भाटी और अ्ग्रेजी के अध्यापक जॉनी कौशिक का विशेष आभार व्यक्त किया।
यूटयूब से गणित की तैयारी की, एनडीए की तैयारी जारी
दीपांशु ने बताया कि गणित की तैयारी उसने स्वयं की थी। इसके लिए उसने यूटयूब चैनल तथा एप की मदद ली। गणित उसका मनपसंद विषय है। ऐसे में यूटयूब से भी गणित की तैयारी में उसे कोई समस्या नहीं आई। उसने हमे बताया कि वह एनडीए में जाना चाहता है। भारतीय नेवी उसको बहुत आकर्षित करती है। साधनों के अभाव के कारण उसकी एनडीए की तैयारी भी प्रभावित हो रही है। लेकिन वह इसके लिए भी यूटयूब और एप की मदद ले रहा है। जब उससे पूछा गया कि नेवी में ही क्यों जाना है तो उसने कहा कि नेवी को लेकर मेरे मन में एक उत्साह है।
संकल्प को बनाया पढ़ाई का हथियार
दीपांशु ने बताया कि वह पढ़ाई करते समय एक योजना बनाकर रखता था। हर रोज वह विषय के आधार पर एक टारगेट सेट कर लेता था। जब तक वह अपने इस टारगेट को हासिल नहीं कर लेता था, उसका पीछा नहीं छोड़ता था। यदि यह टारगेट दो घंटों में मिल जाए या पांच घंटों में। कई बार ऐसे भी मौके आए जब टारगेट पूरा नहीं होने पर वह रात को सोया भी नहीं था।
सफलता का श्रेय माताजी को
दीपांशु ने कहा कि पिताजी के जाने के बाद मां ही घर की सारी जिम्मेवारी को अकेले उठा रही है। उन्होंने कभी भी मुझसे यह नहीं कहा कि घर का कोई काम करूं।उनका केवल यही कहना था कि वह केवल अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान केन्द्रित रखे, भटके नहीं। घर के सारे काम वह खुद कर लेंगी। ऐसे में मेरी हर सफलता का श्रेय मेरी मां को जाता है।
सफलता के नशे को छात्र सिर पर नहीं चढ़ने दे
दीपांशु ने कहा कि जो छात्र मेहनत नहीं करते, उन्हें असफल होने पर दुखी होने का अधिकार नहीं है। आगे मेहनत कर सफलता मिलेगी। जो कम अंक आने पर बहाने बनाते हैं उनके लिए मैं कुछ भी नहीं कहना चाहता। वहीं जो छात्र सफल हो चुके हैं। वह सफलता को अपने सिर पर न चढने दे। लक्ष्य को ध्यान में रखे और जब तक लक्ष्य न मिल जाए, आगे बढ़ते रहेा