पुलिस कमिश्नर ने पत्रकारों को दी सलाह, अपनी जिम्मेदारियों को समझे, जीवन में शॉर्टकट अपनाने का कभी प्रयास न करें
The Police Commissioner advised journalists to understand their responsibilities and never try to take shortcuts in life.

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 (ग्रेटर नोएडा) : पिछले कुछ समय से जिले में पत्रकारों और पुलिस के आपसी संबंधों पर जमी बर्फ पिंघलनी शुरू हो गई है ? गलगोटिया इंस्टीटयूट में समाज में विश्वास निर्माण में मीडिया और प्रशासन की भूमिका विषय पर आयोजित एक गोष्ठी के बाद इस प्रकार की चर्चाएं हैं। आयोजन में पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह की उपस्थित को इसी रूप में देखा जा रहा है। वैसे भी पत्रकार और पुलिस समाज रूपी नदी के उन दो किनारों की तरह है जो भले ही आपस में कभी नहीं मिलते हैं लेकिन अपनी भूमिका का निर्वहन करके समाज में व्यवस्था के प्रति विश्वास बहाली और बेहतर संभावनाओं का सृजन करते हैं। अन्यथा विनाश तय है।
गोष्ठी में पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने अपने संबोधन में पत्रकारों को सुपरमैन की संज्ञा देते हुए समाज में पत्रकारों की सकारात्मक भूमिका को बेबाकी के साथ स्वीकार किया और सलाह देते हुए आईना भी दिखाया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को पेशे के प्रति अपनी जिम्मेवारियों को समझना होगा। याद रखें कभी भी सफलता के लिए शॉर्टकट न अपनाएं। उन्होंने पत्रकारों को गलत बयानी से बचने की सलाह देते हुए इमेज बिल्डिंग पर जोर दिया। उन्होंन कहा कि आपकी इमेज ही आपको सारी जिंदगी आगे बढ़ाती है। उन्होंने कार्यक्रम का हिस्सा बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
गोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य भले ही समाज में विश्वास निर्माण में पत्रकार एवं प्रशासन की भूमिका पर चर्चा रहा हो, लेकिन इसको पत्रकार एवं पुलिस संबंधों में पैदा हुई खाई को भरने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। पुलिस और पत्रकार की उपस्थिति ही समाज की भलाई की गारंटी होती है। दोनों के बीच सकारात्मक एवं सहयोगी भाव होना बहुत आवश्यक है। जिले में पिछले दिनों जिस तरह का घटनाक्रम घटा है वह किसी से छिपा हुआ नहीं रहा है। वहीं, समाज ने अपने नजरिए से इसका मूल्यांकन एवं विश्लेषण भी किया है।
दरअसल, जिले में पुलिस व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। बहुत सारे बदलाव व्यवस्था के अनुरूप अपना आकार ले रहे हैं। पुलिस के सामने अभी भी समाज में इमेज बिल्डिंग एवं विश्वास बहाली की चुनौती है। वहीं, जिले में पत्रकार संगठनों, प्रेस क्लबों और स्वयं पत्रकारों के कंधों पर इस बात की जिम्मेवारी का बोझ बढ़ गया है कि कोई सुपरमैन शॉर्टकट अपनाकर ऐसी परिस्थितियां पैदा न करें जिससे पत्रकार एवं प्रशासन के संबंधों के बीच खाई पैदा हो। दोनों को याद रखना होगा कि मर्यादित आचरण ही समाज में विश्वास बहाली का आधार है। बहरहाल, यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि यह गोष्ठी अपने उद्देश्य में कितनी सफल रही और पुलिस एवं पत्रकारों के संबंधों पर जमी बर्फ कितनी पिंघली रही है ?