स्पेशल स्टोरी

विपक्ष का वोट चोरी का आरोप और Gen-Z के सहारे भारत में नेपाल जैसे घटनाक्रम की आशंकाओं के बीच दिल्‍ली एवं हैदराबाद विश्‍वविद्यालय छात्र संघ चुनाव परिणाम क्‍या इशारा कर रहे हैं ?

The Delhi and Hyderabad University student union elections are being held amid opposition allegations of vote theft and fears of a Nepal-like situation in India.

डॉ देवेन्‍द्र कुमार शर्मा

Panchayat 24 (ग्रेटर नोएडा) : देश में पिछले कुछ दिनों से विपक्ष द्वारा वोट चोरी और नेपाल में हुए सत्‍ता परिवर्तन की खूब चर्चा हो रही है। विपक्ष सत्‍ता पक्ष पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से जवाब मांग रहा है। हालांकि चुनाव आयोग द्वारा दिए जा रहे जवाब से विपक्ष संतुष्‍ट नहीं है।  वहीं, नेपाल में हुए सत्‍ता परिवर्तन में Gen-Z की सत्‍ता से असंतुष्टि माना जा रहा है। भारत का विपक्ष देश के युवाओं की नेपाल के Gen-Z से तुलना करते हुए कह रहा है कि भारत में भी नेपाल जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

दोनों मुद्दे भले ही प्रथम दृष्‍टया सतही प्रतीत हो रहे हैं, लेकिन इनका सीधा संबंध भारत की लौकतांत्रिक व्‍यवस्‍था और उससे जुड़े जनता के विश्‍वास से हैं। जनता का लोकतंत्र के मूल्‍यों पर विश्‍वास ही भारत के लोकतंत्र की मजबूती है। यदि कोई मुद्दा इस विश्‍वास पर सवाल खड़ा करता है तो यह निश्‍चय ही विचारणीय प्रश्‍न बन जाता है।

मामला पूरी तरह राजनीतिक है। विपक्ष के आरोपों और आशंकाओं को खारिज करते हुए सत्‍ता पक्ष मैदान में उतर गया है। लेकिन आम नागरिक के लिए यह प्रश्‍न महत्‍वपूर्ण क्‍या वास्‍तव में भारत में सत्‍ता वोट चोरी करके हथियाई गई है ? क्‍या भारत का युवा इतना असंतुष्‍ट है कि श्रीलंका, बंगलादेश और नेपाल की तरह असंवैधानिक तरीकों से सत्‍ता को उखाड़ फेंकने के लिए तैयार है ? क्‍या भारत के लोकतांत्रिक मूल्‍य इतने कमजोर पड़ चुके हैं कि सत्‍ता पविर्तन के लिए अलोकतांत्रिक तरीके ही शेष बचे हैं ?

इस तरह के आशंकाओं के बीच युवाओं के युवाओं की मनोदशा को समझना अत्‍यंत आवश्‍यक हो जाता है। क्‍योंकि युवाओं के बीच एक नारा भारत में बहुत प्रचलित है ” संघर्षों के साए में असली आजादी पलती है, उस ओर जमाना चलता है, जिस ओर जवानी चलती है”

हाल में दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव संपन्‍न हुए हैं। सत्‍ता पक्ष का प्रतिनिधित्‍व करने वाले एनडीए घटक दल भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी ने अध्‍यक्ष, सचिव और सह सचिव के पदों पर जीत दर्ज की है। वहीं, वोट चोरी के आरोप लगाने वाले विपक्षी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई को महज उपाध्‍यक्ष पद से संतुष्‍ट रहना पड़ा है। यह परिणाम स्‍पष्‍ट संकेत देते हैं कि वोट चोरी उनके लिए कोई मुद्दा नहीं है। वह नेपाल के Gen-Z जैसी सोच नहीं रखते हैं। हालांकि कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय चुनाव परिणाम को पूरे देश के युवाओं के की मनोस्थिति का प्रतिबिंब नहीं माना जा सकता। किन्‍तु हैदराबाद विश्‍वविद्यालय छात्र संघ चुनाव परिणाम इसका स्‍वयं उत्‍तर देते हैं।

हैदराबाद विश्‍वविद्यालय, जो लंबे समय से वामपंथी और दलित संगठनों के प्रभाव में रहा है, वहां भी एबीवीपी ने अप्रत्‍याशित प्रदर्शन करते हुए अध्‍यक्ष, उपाध्‍यक्ष, महासचिव सहित सभी प्रमुख पदों पर जीत दर्ज की है। वहीं, एनएसयूआई को मिली करारी हार इस बात का साफ संकेत हैं कि विपक्षी दल और कांग्रेस वोट चोरी के मुद्दे पर पर युवाओं का विश्‍वास जीतने में असफल ही रहे हैं।

इन छात्र संघ चुनाव परिणामों से यह भी स्‍पष्‍ट होता है कि भारतीय युवा लोकतांत्रिक मूल्‍यों में पूर्ण विश्‍वास रखते हैं। वे सत्‍ता के प्रति असंतोष और नाराजगी को व्‍यक्‍त करने के लिए नेपाल के Gen-Z की तरह नहीं सोचते हैं। उनके लिए लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था द्वारा उपलब्‍ध कराए गए साधन सत्‍ता बदलाव के लिए कहीं अधिक प्रभावी और विश्वसनीय हैं।

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