आखिर क्यों विधानसभा में ग्रेटर नोएडा और एनपीसीएल के नाम पर हुई चर्चा ? जानिए क्या है पूरा मामला ?
Why was the name of Greater Noida and NPCL discussed in the assembly? Know what is the whole matter?

Panchayat 24 : हाल ही में सम्पन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान ग्रेटर नोएडा और एनपीसीएल के नाम की चर्चा हुई। इस चर्चा के दौरान कैबिनेट ऊर्जा मंत्री अरविन्द शर्मा ने न केवल ग्रेटर नोएडा शहर का जिक्र सदन के पटल पर किया, बल्कि शहर को विद्युत आपूर्ति करने वाली निजी कंपनी एनपीसीएल की सराहना की। चूंकि ऊर्जा मंत्री ने ग्रेटर नोएडा और एनपीसीएल के बारे में जो भी बातें कहीं, वह सदन के पटल पर कहीं गई। अत: यह बातें सदन के रिकार्ड का हिस्सा बन गई है। ऐसे में ग्रेटर नोएडा और एनपीसीएल भी इस रिकॉर्ड का हिस्सा बन गए हैं।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, दरअसल सपा विधायक डॉ. रागिनी ने विधानसभा में उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग के निजीकरण का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप मॉडल के अन्तर्गत निजीकरण किया जा रहा है। इन दोनों ही निगमों के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के 21-21 जिले आते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मॉडल में 51 प्रतिश शेयर निजी कंपनियों के हाथों में होंगे। विपक्ष का आरोप था कि इसके चलते विद्युत विभाग पर पूरी तरह से निजी कंपनियों का अधिकार हो जाएगा। डॉ रागिनी ने कहा कि यह बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने दोनों ऊर्जा निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की। इस पर सरकार की ओर से इसका खंडन किया गया।
ऊर्जा मंत्री ने ग्रेटर नोएडा और एनपीसीएल का उदाहरण देकर पीपीपी मॉडल को सराहा
कैबिनेट ऊर्जा मंत्री अरविन्द शर्मा ने विपक्ष के विरोध पर जवाब देते हुए कहा कि यदि किसी क्षेत्र में सुधार की संभावना है तो उसको नकारना उचित नहीं है। वर्तमान परिस्थितियों में उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि बसपा सरकार ने साल 2010 में कंपनी आगरा में विद्युत आपूर्ति का काम सौंपा था। बेहतर व्यवस्था को देखकर आसपास के लोग भी ऐसी ही व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को पीपीपी मॉडल के अन्तर्गत निजी हाथों में सौंपे जाने का बेवजह विरोध किया जा रहा है। इसकी शुरूआत साल 1993 में नोएडा से हो चुकी है। उस समय केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली पीवी नरसिम्हा सरकार थी। मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। शर्मा ने ग्रेटर नोएडा में पीपीपी मॉडल पर विद्युत आपूर्ति करने वाली कंपनी एनपीसीएल की विधानसभा में जमकर तारीफ करते हुए पीपीपी मॉडल को सराहा।
ग्रेटर नोएडा में पूरे प्रदेश से दस प्रतिशत सस्ती विद्युत आपूर्ति की जा रही है
ऊर्जा मंत्री अरविन्द शर्मा ने ग्रेटर नोएडा में विद्युत आपूर्ति करने वाली निजी कंपनी एनपीसीएल का जिक्र करते हुए पीपीपी मॉडल की सराहना की। उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा में राज्य की अपेक्षा रेट दस प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा कि यह दस प्रतिशत रेट उस स्थिति में कम है जब कंपनी उपभोक्ता को सब्सिडी दे रही है। इसके बावजू सरकार द्वारा एनपीसीएल को सब्सिडी का पैसा सरकार द्वारा नहीं दिया जा रहा है। कंपनी की विद्युत आपूर्ति गुणवत्ता भी बहुत बेहतर है। अत: पीपीपी मॉडल को एक दम से नकारना कतई भी उचित नहीं है। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बड़ी मात्रा में संगठित बिजली चोरी और लाइन हानि के कारण सरकार को लगभग 47 हजार करोड़ रूपया सब्सिडी के रूप में देना पड़ा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आगामी तीन सालों में यह सब्सिडी बढ़कर 90 हजार करोड़ हो जाएगी। ऐसे में उपभोक्ताओं को साल 2027 तक 24 घंटे विद्युत आपूर्ति के लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा। अरविन्द शर्मा ने पीपीपी मॉडल के आधार पर विद्युत आपूर्ति के निजीकरण को मजबूरी ओर समय की आवश्यकता बताया। उन्हेंने टेलीकॉम सेक्टर का उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह से निजी कंपनियों को व्यवस्था सौंपे जाने के बाद उपभोक्ताओं को लाभ होता है।
नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा से मिली सरहना के लिए उनका आभार प्रकट करती है। एनपीसीएल की हमेशा से ही कोशिश रही है कि वह ग्रेटर नोएडा में उपभोक्ताओं को किफायती दरों पर विद्युत आपूर्ति के साथ साथ बेहतर सुविधाएं भी मुहैया कराए। हमें इस बात की खुशी है कि अभी तक हम अपने इस लक्ष्य में सफल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री मिली सराहना के बाद हमारी जिम्मेवारी और बढ़ गई है। हमारी पूरी कोशिश होगी कि हम ग्रेटर नोएडा के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरें। हमेशा की तरह उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान करते रहें।
—— मनोज झा, प्रवक्ता, एनपीसीएल