अंतर्राष्ट्रीय

डोनाल्‍ड ट्रम्‍प की जीत से साबित हो गया है कि घुसपैठ और अवैध शरणार्थियों की समस्‍या दुनिया के सामने बड़ी चुनौती है,

Donald Trump's victory has proved that the problem of infiltration and illegal refugees is a big challenge for the world

Panchayat 24 : संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव संपन्‍न हो गया है। सभी विश्‍लेषणों को पीछे छोड़ते हुए रिपब्लिकन उम्‍मीदवार डोनाल्‍ड ट्रम्‍प ने डेमोक्रेट उम्‍मीदवार कमला हैरिस को बड़े अंतर से चुनाव हरा दिया है। डोनाल्‍ड ट्रम्‍प की जीत के पीछे वैसे तो कई कारण हैं लेकिन घुसपैठ को लेकर उनका सख्‍त रूख एक अहम कारण माना जा रहा है। डोनाल्‍ड ट्रम्‍प की जीत के बाद यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि घुसपैठियों और अवैध शरणार्थियों की समस्‍या को संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की जतना निकट भविष्‍य में बड़े खतरे के रूप में देख रही है। यूरोप के कई देश फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और स्‍पेन जैसे कई देशों में कई स्‍थानों पर घुसपैठियों और अवैध शरणार्थियों के कारण डेमोग्राफी बदल गई है। इनके अराजकतापूर्ण आचरण के कारण स्‍थानीय लोगों का जीवन कई बार संकट में पड़ गया है। दुनिया भर में ऐसे उदाहरणों को देखकर संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की जनता ने घुसपैठियों और अवैध शरणार्थियों का खुलकर विरोध करने वाले डोनाल्‍ड ट्रम्‍प को चुनाव में भारी मतदान किया।

घुसपैठ और अवैध शरणार्थियों की समस्‍या पूरी दुनिया के सामने बड़ी चुनौती के रूप में उभर रही है। भारत इस समस्‍या से कई दशकों से ग्रस्‍त है। यहां पाकिस्‍तान, बंगलादेश और म्‍यांमार के रोहिंग्‍या शरणार्थी एवं घुसपैठियों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है। हालात यह है कि यह देश के अलग अलग राज्‍यों के शहरों में बड़ी संख्‍या में बस गए हैं। यहां तक कि जम्‍मु एवं कश्‍मीर जैसे संवेदनशील और देश की राजधानी दिल्‍ली में इन्‍होंने अवैध बस्तियां बसा ली है। पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम और पूर्वोत्‍त्‍र राज्‍यों में हालात चिंताजनक है। यह फर्जी दस्‍तावेजों के सहारे देश के नागरिकों के अधिकारों को लूट रहे हैं। देश के संसाधनों पर कब्‍जा कर लिया है। भारत में घुसपैठियों और अवैध शराणार्थियों की समस्‍या इतनी विकट हो चुकी है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में यह प्रमुख मुद्दा बन रहा है। इस समस्‍या समाधान के लिए सीएए और एनआरसी जैसे कानूनों को लागू करने की आवश्‍यकता महसूस हो रही है। हालांकि इस मुद्दे पर सत्‍ता पक्ष और विपक्ष के बीच वैचारिक विरोध और टकराव चल रहा है।

संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के नागरिक दूसरे देशों में घुसपैठियों और अवैध शरणार्थियों के कारण पैदा हुए हालातों को देखकर आशंकित है। समस्‍या समाधान के लिए डोनाल्‍ड ट्रम्‍प को चुनाव जिता दिया। यह आने वाला समय ही बताएगा कि डोनाल्‍ड ट्रम्‍प इस समस्‍या से अपने देश को कैसे निजात दिलाते हैं ? भारत में घुसपैठियों और अवैध शरणार्थियों से जुड़ा मामला कहीं अधिक जटिल, पेंचीदा और परेशान करने वाला है। यहां ऐसे लोगों की बड़ी संख्‍या है जो घुसपैठियों और अवैध शरणार्थियों पर होने वाली कार्रवाई को धर्म से जोड़कर देखते हैं। धार्मिक आधार पर उनके प्रति भावनात्‍मक लगाव करते हैं। ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जहां इस भावनात्‍मक लगाव के चलते देश के नागरिकों ने दूसरे धर्म के अन्‍य नागरिकों की अपेक्षा घुसपैठियों और अवैध शरणार्थियों का समर्थन तक किया। इनके प्रति होने वाली कानूनी कार्रवाई का विरोध किया। इनके खिलाफ बनने वाले कानूनों का विरोध किया। सीएए के विरोध में देश भर में हुए धरना प्रदर्शन इसका जीता जागता उदाहरण है।

घुसपैठियों और अवैध शरणार्थियों की समस्‍या को लेकर यदि संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका और भारत के बीच तुलना करें तो पता चलता है कि संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में राजनीतिक एवं नागरिक संस्‍कृति का स्‍तर कहीं अधिक ऊंचा है। वहां की जनता के बीच मुद्दों को लेकर अधिक स्‍पष्‍टता है। राष्‍ट्र विरोधी और राष्‍ट्र हितेषी बातों की बेहतर पहचान है। अभिव्‍यक्ति और आचरण की स्‍वतंत्रता के बावजूद राष्‍ट्र हित के साथ निजी हित का बेहतर समायोजन करने की क्षमता है। इस लिए राष्‍ट्र हित के साथ कोई समझौता स्‍वीकार नहीं है। शायद यहीं भारत और संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के नागरिकों के बीच बड़ा अंतर भी है।

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