ग्रेटर नोएडा जोन

बेटी ने बढ़ाया मान तो गांव ने दिया सम्‍मान, स्‍वागत में उमड़ा जनसैलाब, ओलम्पिक में देश के लिए गोल्‍ड जीतना चाहती है खुशी

If the daughter raised the honor, the village gave respect, the crowd gathered in the welcome, happy to win the gold for the country in the Olympics

Panchayat24 : ग्रेटर नोएडा के पाली गांव की बेटी ने कुश्‍ती प्रतियोगिता में कांस्‍य पदक जीतकर गांव का मान बढ़ाया है। घर आगमन पर गांव ने भी बेटी का दिल खोलकर सम्‍मान दिया। गांव के लोगों ने सोमवार को बेटी का स्‍वागत किया। इस दौरान बड़ी संख्‍या में महिलाएं, पुरूष और बच्‍चे मौजूद थे। खुशी का सपना है कि वह ओलम्पिक में देश के लिए सवर्ण पदक जीते।

ग्रेटर नोएडा के पाली गांव निवासी बालकिशन प्रधान की पोती खुशी भाटी ने उत्‍तराखंड के हल्‍द्वानी में 19 अगस्‍त से 21 अगस्‍त तक चली अंडर-15 राष्‍ट्रीय कुश्‍ती प्रतियोगिता में हिस्‍सा लिया। देश भर की महिला पहलवानों ने इस प्रतियोगिता में हिस्‍सा लिया। हालांकि खुशी का वजन 62 किग्रा था, लेकिन उसका चयन 80 किग्रा भारग वर्ग में हुआ। अपनी कैटीगिरी में खुशी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। लेकिन सेमिफाइनल में हरियाणा की पहलवान ने खुशी को हरा दिया। इस हार के साथ ही खुशी के स्‍वर्ण की उम्‍मीदें टूट गई, लेकिन उसने हिम्‍मन नहीं हारी और बचे हुए अवसर का भरपूर उपयोग किया। अब खुशी के पास केवल कांस्‍य पदक जीतने का अवसर था। कांस्‍य पदक के लिए खुशी का मुकाबला हिमाचल प्रदेश की पहलवान से होना था। इस मुकाबले को जीतकर खुशी ने कांस्‍य पदक अपने नाम कर लिया।

बचपन से ही परिवार में कुश्‍ती के दांवपेंच देखे

खुशी के पिता धर्मेन्‍द्र सिंह भाटी उर्फ संटा प्रधान पेशे से एक किसान है। खुशी ने बचपन से ही परिवार में चाचा राहुल भाटी को पहलवानी के दांव पेंच अजमाते हुए देखा था। बस यही से उसके दिल में भी पहलवानी के प्रति प्रेम पैदा हो गया। खुशी के मन में कुश्‍ती के प्रति प्रेम को पिता सहित पूरे परिवार का सपोर्ट मिला।

पढ़ाई के साथ कुश्‍ती का भी लिया प्रशिक्षण

खुशी भाटी ने बताया कि वह ग्रेटर नोएडा स्थित एक निजी स्‍कूल से 10वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही है। उसने कुश्‍ती के लिए प्रशिक्षण लिया। हालांकि पढ़ाई के साथ कुश्‍ती जैसे खेल के साथ सामंजस्‍य बैठाना आसान नहीं होता, लेकिन खुशी ने इस तालमेल को भी बखूबी अंजाम दिया। खुशी ने बताया कि उसने कुश्‍ती के लिए उसने नोएडा कॉलेज ऑफ फिजिकल एजूकेशन में प्रशिक्षण लिया। कोच रवि कुमार ने उन्‍हें कुश्‍ती के गुर सिखाए।

सफलता में कोच और परिजनों का रहा अहम सहयोग

खुशी का मानना है कि कुश्‍ती जैसे खेल में महिलाओं को शुरूआती दौर में कई तरह के दबावों का सामना करना पड़ता है। लेकिन परिवार से उसे इसके लिए सपोर्ट किया गया। कोच रवि कुमार से मिला प्रशिक्षण और उनका अनुभव इस सफलता में महत्‍वपूर्ण साबित हुआ। खुशी का कहना है कि यदि लड़कियों पर समाज विश्‍वास कर उनके साथ खड़ा हो जाए तो लड़कियां भी देश के मान और सम्‍मान को आगे बढ़ाने में पूरी तरह से सक्षम हैं। बस जरूरत है, समाज, देश और राष्‍ट्र को लड़कियों की छिपी हुई प्रतिभा को समझने की।

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