आतिशी को मुख्यमंत्री चुनकर आम आदमी पार्टी ने कई लक्ष्यों पर लगाया निशाना, सफलता परिणाम तय करेगा ?
By electing Atishi as CM, Aam Aadmi Party has hit multiple targets; will success decide the result?

Panchayat 24 : अरविन्द केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से मिली सशर्त जमानत के दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र देने के अपने वायदे को पूरा कर दिया है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने एक बैठक में पार्टी की कद्दावर महिला नेता आतिशी मार्लेना को नए मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में चुन लिया है। आतिशी को नया मुख्यमंत्री चुने जाने के पीछे कई ऐसी वजह रही जिसके चलते पार्टी ने उन्हें दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुना है। हालांकि इस फैसले को लेते समय दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल को पार्टी की पूर्व महिला नेता और राज्य सभा सांसद स्वाति मालीवाल प्रकरण जरूर याद आया होगा।
फिर भी कुछ ऐसी राजनीतिक परिस्थितियां है जिसके चलते आतिशी स्वाति मालीवाल की तरह पार्टी से विद्रोह करने की स्थिति में कतई नहीं है। वहीं, आम आदमी पार्टी जीतनराम मांझी और चंपई सोरेन जैसे हालातों से पार पाने में तो कम से कम कामयाब हो गई है। हालांकि दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के बाद आतिशी के पास करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। यह तय माना जा रहा है कि उन्हें अरविन्द केजरीवाल की रबर स्टांप के रूप में ही आगामी भविष्य में काम करना होगा। ऐसा करके अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की सत्ता पर भी काबिज रहेंगे और सुप्रीम कोर्ट की शर्तों का भी पालन कर पाएंगे। इससे बढ़कर मुख्यमंत्री पद त्यागकर राजनीतिक लाभ भी लेने का प्रयास करेंगे।
हालांकि मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय और राखी बिड़ला के नाम पर भी चर्चा हुई। लेकिन पार्टी हर उस अनावश्यक विवाद से बचना चाहती थी जिसको लेकर दिल्ली चुनाव प्रभावित हो। इनमें से अधिकांश को लेकर पार्टी आशंकित थी कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हिलोरे मार सकती है जिससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, कुछ लोगों की राजनीतिक एवं प्रशासनिक क्षमताओं को लेकर पार्टी ने आतिशी के नाम पर मुहर लगाना ही उचित समझा। विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी अन्ना आन्दोलन का जिक्र करते हुए अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसौदिया को राजनीतिक सुचिता के लिए त्याग करने वाले नेता के रूप में भी पेश करेगी।
आतिशी मार्लेना को दिल्ली का मुख्यमंत्री पद का चेहरा चुनने के बाद आम आदमी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरी पार्टी बन गई है जिसने दिल्ली को महिला मुख्यमंंत्री दी है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा चल रही थी कि अरविन्द केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल उनकी उत्तराधिकारी हो सकती है। लेकिन सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद विपक्ष अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगाता। ऐसे में हरियाणा, जम्मु कश्मीर और यहां तक की देश के दूसरे राज्यों सहित दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विरोधी दलों पर लगाए गए आरोप भी कमजोर हो जाते। वहीं, जनता के बीच राजनीतिक परिवारवाद के लिए कही गई बातों का भी प्रभाव कम हो जाता। इसका सबसे बुरा प्रभाव पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता था। वहीं, अब आतिशी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद हरियाणा चुनाव में हुड्डा परिवार पर परिवारवाद को लेकर आम आदमी पार्टी खुलकर हमलावर होगी।
आतिशी के रूप में दिल्ली को एक महिला मुख्यमंत्री देकर अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने देश की आधी आबादी अर्थात महिला मतदाताओं को साधने का प्रयास किया है। राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल प्रकरण के बाद हुई आम आदमी पार्टी के राजनीतिक नुकसान की भी बहुत हद तक भरपाई करने की कोशशि की है। वहीं, एक महिला को मुख्यमंत्री पद सौंपकर अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने लोगों को संदेश देने का प्रयास किया है कि पार्टी महिलाओं का सम्मान करती है। स्वाति मालीवाल प्रकरण में एक तरह से आरोपों के तीर स्वाति मालीवाल की ओर मोड़ने की कोशिश की है। यदि अब कोई स्वाति मालीवाल को लेकर अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से सवाल पूछा जाता है तो, पार्टी आतिशी का उदाहरण पेश कर कह सकती है कि स्वाति मालीवाल की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बहुत ऊंची थी। हालांकि आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल के ऐसे जवाब जनता को कितना संतुष्ट कर पाएंगे यह आने वाला समय ही बताएगा।