जिला प्रशासन

बड़े मासूम है मेरे देश के शराब प्रेमी, जेब भी कटवाते हैं और उफ तक नहीं करते, अर्थव्‍यवस्‍था में देते हैं सराहनीय योगदान

The liquor lovers of my country are very innocent, they get their pockets picked and don't even complain, they make a commendable contribution to the economy

Panchayat 24 : शराब की लत को बुरी आदतों में शुमार किया जाता है। सिनेमा घर या फिर टीवी पर किसी धारावाहिक या फिर किसी फिल्‍म में शराब के सेवन के सीन के साथ एक चेतावनी भी दिखाई जाती है जिस पर लिखा होता है कि शराब पीना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है। फिर भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है देश में एक ऐसा बड़ा वर्ग है जो शराब प्रेमी है। शराब के प्रति इनके प्रेम का अनुभव बिहार में होता है जहां शराब पर प्रतिबंधित है लेकिन चोरी छिपे इसका सेवन शराब प्रेमी कर ही लेते हैं। कई बार यह प्रेम कई लोगों की मौत का कारण भी बना है। कई बार तो शराब के लिए तय कीमत से अधिक मूल्‍य का भुगतान भी करते हैं। वहीं, कई बार न चाहते हुए भी अधिक कीमत चुकाकर जेब तक कटवाते हैं लेकिन उफ तक नहीं करते हैं और अर्थव्‍यवस्‍था के विकास में अपना अहम और सराहनीय योगदान देते हैं। विश्‍वास नहीं होता तो कोरोनाकाल की स्‍मृतियां ताजा करके देख लीजिए।

यह सुनकर कितना आश्‍चर्य लगता है कि गौतम बुद्ध नगर में, जहां सामान्‍य दिनों में शराब के ठेकों पर निर्धारित शुल्‍क से अधिक कीमत पर शराब बेचे जाने की खबरें सुनना आम बात है, वहां दीपावली जैसे त्‍यौहार पर आबकारी विभाग को इस संबंध में कोई शिकायत ही नहीं मिली। अब ऐसा तो है नहीं कि पूरे जिले में अचानक ही शराब की दुकानों पर रामराज्‍य आ गया और दीपावली के उपलक्ष में दस से बीस रूपये की बढ़ी कीमत वसूली ही न गई हो। जिला आबकारी विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार बीते अक्‍टूबर माह में ही लगभग दो अरब के करीब (183.28 करोड़) की शराब की बिक्री हुई है। वहीं, अकेले दीपावली के त्‍यौहार के मौके पर 31 अक्‍टूबर को 15 हजार से अधिक शराब की बोतले और 62 हजार बीयर केन की बिक्री हुई है। इनकी बिक्री से कुल 20 करोड़ की धनराशि प्राप्‍त हुई। जिले में दीपावली के मौके पर शराब की रिकार्ड बिक्री से जिला आबकारी विभाग इस लिए प्रफुल्लित होगा कि उसको रिकार्ड राजस्‍व मिला है। शराब की दुकानों पर बैठे सेल्‍समेन और कर्मचारी इस लिए खुश हुए होंगे कि निर्धारित मूल्‍य से अधिक कीमत वसूलकर उनका दीपावली का त्‍यौहार अच्‍छा बन गया।

यह अलग बात है कि जिन शराब प्रेमियों ने दीपावली के मौके पर शराब खरीदी होगी, उनमें ऐसे लोग भी होंगे जिनके बच्‍चे उनकी इस बुरी आदत की वजह से दीपावली का त्‍यौहार नहीं मना सके होंगे। उनके घर पर इस त्‍यौहार पर भी अंधेरा ही रहा होगा। ऐसा नहीं है कि शराब के ऐसे प्रेमियों को यह नहीं पता है कि उनके शराब के प्रति इस अति लगाव के कारण उनके बच्‍चे अभाव से गुजर रहे हैं। वह अच्‍छे भोजन, अच्‍छे स्‍कूल और अच्‍छी शिक्षा से वंचित रह रहे हैं। इसके बावजूद भविष्‍य में वह बार-बार शराब की दुकान पर जाएंगे। निर्धारित शुल्‍क से दस से बीस रूपये अधिक का भुगतान करके शराब खरीदेंगे। लेकिन मजाल है कि उफ तक मुंह से निकले। अब इसको शराब प्रेमियों की सहन शक्ति कहिए या फिर देश की अर्थव्‍यवस्‍था में अपने महत्‍वपूर्ण योगदान के प्रति समर्पित भाव।

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