बिहारी सिंह की प्रतिमा का लोकार्पण : एक आयोजन ने बयां कर दी भाजपा में चल रही अंदरूनी गुटबाजी की कहानी, उभरे नए समीकण
Inauguration of Bihari Singh's statue: An event told the story of internal factionalism going on in BJP, new parallels emerged

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 : सर्वविदित कि गौतम बुद्ध नगर भाजपा में लंबे समय से गुटबाजी का दौर चल रहा है। एक गुट स्थानीय सांसद डॉ महेश शर्मा का है। यह गुट लोकसभा चुनाव के लिए एक बार फिर से पार्टी नेतृत्व के सामने डॉ महेश शर्मा को मजबूत दावेदारी के रूप में पेश कर रहा है। वहीं, दूसरा गुट जेवर विधायक ठाकुर धीरेन्द्र सिंह का है। यह गुट डॉ महेश शर्मा की दावेदारी का विरोध कर रहा है। यह गुट किसी भी हाल में डॉ महेश शर्मा का टिकट कटवाना चाहता है। दोनों गुटों के बीच काफी समय से शह और मात का खेल चल रहा है। दोनों ही गुट अपना शक्ति प्रदर्शन भी करते रहते हैं। ऐसे में दादरी क्षेत्र में जमीनी नेता के रूप में अपनी पहचान रखने वाले बिहारी सिंह की प्रतिमा का उनके पैतृक गांव रूपवास में लोकार्पण कार्यक्रम के आयोजन में भाजपा गुटबाजी के नए समीकरण दिखे। वैसे तो कार्यक्रम में समाज की हर विचारधारा के लोग मौजूद रहे, लेकिन इनमें भाजपा नेताओं का बोलबाला रहा। इनमें केन्द्र मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, पंजाब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़, गौतम बुद्ध नगर के सांसद डॉ महेश शर्मा और पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजय सिंह का नाम प्रमुख है। हालांकि यह एक निजी कार्यक्रम था लेकिन इस आयोजन ने भाजपा की न केवल गुटाबजी की पूरी कहानी को एक बार फिर से बयां कर दिया बल्कि गौतम बुद्ध नगर भाजपा में नए सिरे से उभरे समीकरणों को भी बयां कर दिया। इस आयोजन के बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हो रही है। इस आयोजन के बाद राजनीतिक पंडित भाजपा के दोनों गुटों की क्षमता का आंकलन भी कर रहे हैं।
डॉ महेश शर्मा के साथ नवाब सिंह नागर की उपस्थिति
गौतम बुद्ध नगर भाजपा में साल 2009 लोकसभा चुनाव के बाद से ही स्थानीय सांसद डॉ महेश शर्मा और दादरी नोएडा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक एवं उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर को एक दूसरे के धुर विरोधी माना जाता है। हाल ही में नवाब सिंह नागर ने एक बार फिर डॉ महेश शर्मा के विरूद्ध पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी दावेदारी पेश की है। बुधवार को रूपवास गांव में बिहारी सिंह की प्रतिमा के लोकार्पण कार्यक्रम में डॉ महेश शर्मा के साथ नवाब सिंह नागर भी उपस्थित थे। इतना ही नहीं नवाब सिंह नागर ने अपने सूक्ष्म भाषण में डॉ महेश शर्मा को अपना लोकप्रिय सांसद भी कहा था। वहीं, डॉ महेश शर्मा ने भी अपने भाषण में नवाब सिंह नागर का नाम लिया था। इस घटनाक्रम से राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि जिले के एक दूसरे के विरोधी माने जाने वाले दोनों बड़े नेताओं के संबंधों पर जमी बर्फ पिंघल रही है। बता दें कि दोनों नेताओं के बीच के संबंधों में हो रहे बदलावों को दीपावी की एक घटना ने भी बहुत हवा दी है। दरअसल, दीपावली पर्व के अवसर पर सांसद डॉ महेश शर्मा अपनी पत्नी उषा शर्मा के साथ नवाब सिंह नागर के घर पहुंचे थे। उन्हें दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं भी दी थी। इस मौके की तस्वीर को डॉ महेश शर्मा और नवाब सिंह नागर, दोनों ने ही सोशल मीडिया पर शेयर किया था। दोनों नेताओं के बीच आरएसएस एक कॉमन फेक्टर है। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच संबंध सुधार के पीछे आरएसएस से जुड़े लोगों की अहम भूमिका है।
राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर की अनुपस्थिति बनी चर्चा का केन्द्र
बिहारी सिंह को जमीन से जुड़ा नेता माना जाता है। यहींं, कारण है कि उनकी प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में सभी दलों और गुटों से संबंधित लोग उपस्थित थे। इसके बावजूद इस कार्यक्रम में डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट के बड़े चेहरों की उपस्थिति दर्ज नहीं थी। मुख्य रूप से राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर की अनुपस्थिति लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रही। सुरेन्द्र सिंह नागर का फोटों भी कार्यक्रम के होर्डिंग और बैनरों से गायब था। यह एक निजी कार्यक्रम था। संभवत: कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा सुरेन्द्र सिंह नागर को आमंत्रित न किया गया हो अथवा अनुपस्थिति की कोई दूसरी वजह रही है। लेकिन दोनों ही परिस्थितियों में यह कार्यक्रम गौतम बुद्ध नगर भाजपा की गुटबाजी के नए उभरते समीकरणों को बयां जरूर कर गया।
डॉ महेश शर्मा ने मंच से दिया गुर्जर विरोधी आरोपों का जवाब
गौतम बुद्ध नगर भाजपा की गुटबाजी गुर्जर, ठाकुर और ब्राह्मण जातियों के इर्द गिर्द घूमती रही है। सांसद डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट अकसर डॉ महेश शर्मा पर गुर्जर विरोधी होने का आरोप लगाता रहा है। बिहारी सिंह की प्रतिमा के लोकार्पण के मौके पर डॉ महेश शर्मा ने कार्यक्रम के दौरान मंच से कहा कि वह पिछले 35 सालों से राजनीति से जुड़े हैं। वर्तमान में वह राजनीति में जहां भी खड़े हैं, उसके लिए वह गुर्जर समाज के कर्जदार हैं। इस मंच से डॉ महेश शर्मा द्वारा अपने प्रति फैली भ्रांतियों और आरोपों का जवाब दिया।
सुरेन्द्र सिंह नागर को लेकर भाजपा की गुर्जर लीडरशिप में हलचल ?
राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर का नाम भाजपा के उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने पार्टी में तेजी से अपना सफर तय किया है। भाजपा ने भी सुरेन्द्र सिंह नागर को लगातार बड़ी जिम्मेवारियां दी है। चाहे वह चुनाव प्रचार के दौरान दी गई जिम्मेवारियों हो या फिर संगठन से जुड़ी जिम्मेवारी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हाल ही में सुरेन्द्र सिंह नागर को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सुरेन्द्र नागर का पार्टी में लगातार बढ़ता कद भाजपा की गुर्जर लीडरशिप के बीच हलचल पैदा कर रहा है। दशकों से भाजपा के लिए काम कर रहे पार्टी के दूसरे गुर्जर समाज के नेता इससे असहज महसूस कर रहे हैं। जानकारों की माने तो पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेता दूसरे दलों से आए लोगों को संगठन में अहम जिम्मेदारी देने से सहमत नहीं है। कृष्णपाल गुर्जर को भाजपा के बड़े गुर्जर नेताओं में शामिल किया जाता है। ऐसे में बिहारी सिंह की प्रतिमा के लोकार्पण कार्यक्रम में कृष्णपाल गुर्जर के साथ स्थानीय सांसद डॉ महेश शर्मा की उपस्थिति गौतम बुद्ध नगर भाजपा की गुटबाजी के नए समीकरणों को बयां करती हुई दिखी।
बिहारी सिंह के सुपुत्र करेंगे भाजपा ज्वाइंन ?
बिहारी सिंह की प्रतिमा के लोकार्पण के अवसर पर जिस तरह से मंच पर भाजपा के बड़े और छोटे नेताओं का जघट लगा हुआ था उसके बाद राजनीतिक चर्चाओं का बाजार भी गर्म है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पिछले काफी समय से कांग्रेस ओर वर्तमान में राष्ट्रीय लोकदल में सक्रिय बिहारी सिंह के छोटे सुपुत्र यतेन्द्र कसाना जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। उनके फेसबुक इंट्रो में उन्होंने खुद को राष्ट्रीय लोकदल का प्रवक्ता लिखा हुआ है। हालांकि यतेन्द्र कसाना इस प्रकार की किसी भी संभावना से इंकार करते हैं। वैसे भी जब तक सब कुछ योजना के अनुसार नहीं हो जाता है, राजनीति में कोई भी नेता किसी भी संभावना को स्वीकार नहीं करता है। यतेन्द्र ने कहा कि कार्यक्रम में दूसरी पार्टी के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन वह किसी कारणवश कार्यक्रम में नहीं आ सके। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी को भी कार्यक्रम में आना था। व्यस्तता के कारण वह कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके। बिहारी सिंह के परिवार के सुरेन्द्र सिंह नागर के साथ वैचारिक संबंध मधुर नहीं है। यदि जनता के बीच चल रही चर्चा को तवज्जो दी जाए तो भाजपा में आने के बाद बिहारी सिंह का परिवार गौतम बुुद्ध नगर की गुटबाजी में सुरेन्द्र सिंह नागर के साथ खड़ा हुआ कतई नहीं दिखेगा। ऐसे में वह ठाकुर धीरेन्द्र सिंह खेमे से दूरी बनाकर रखेंगे। इसका लाभ डॉ महेश शर्मा गुट को मिलेगा।