ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

गौतम बुद्ध नगर में अधिकारी, भूमाफिया, नेता और किसान नेताओं का गठजोड़ नहीं चाहता किसान समस्‍याओं का समाधान

Panchayat 24 : चीनी क्रांति के जनक माओ-त्‍से-तुग ने एक बार कहा था कि चीन की गरीब जनता की पीठ पर तीन आतातायी और शोषक-साम्राज्‍यवादी, पूंजीपति और जमींदार-सवार हैं। किन्‍तु चीन की औरतों के कंधों पर एक चौथा शोषक वर्ग अर्थान चीन के मर्द सवार हैं। यदि चीन की जनता को स्‍वतंत्रता और शोषण से मुक्ति चाहिए तो इन चारों प्रकार के शोषण और अत्‍याचारों का अंत करना जरूरी है। भले ही यह बात माओ-त्‍से-तुंग ने चीन की 1948 से पूर्व की परिस्थितियों के संदर्भ में कही गई थी, लेकिन उनकी यह बातें 76 साल बाद गौतम बुद्ध नगर में संदर्भ में सटीक बैठती हैं। वर्तमान में गौतम बुद्ध नगर की जनता का तीन वर्ग शोषण कर रहे हैं। इनमें प्राधिकरणों के अधिकारी, नेता और भूमाफिया शामिल है। गौतम बुद्ध नगर के किसानों के कंधों पर एक चौथा शोषक वर्ग अर्थात किसान नेता भी सवार है। जब तक इन चारो शोषक वर्गों को समाप्‍त नहीं किया जाता, गौतम बुद्ध नगर के किसानों की समस्‍याओं का समाधान असंभव प्रतीत हो रहा है।

जिले के किसान पिछले चार दशक से विकास के लिए प्राधिकरणों द्वारा किए गए जमीन अधिग्रहण के बाद अपने अधिकारों और मांगों को लेकर हर स्‍तर पर याचना और प्रार्थना कर रहे हैं। कभी अधिकारी के कार्यालय में, कभी नेताओं की दहलीज पर, कभी किसान नेताओं के आश्‍वासनों और भरोसे आगे बढ़ जाते हैं या फिर भूमाफियाओं के मकड़जाल में फंसकर अपनी जमीन औने पौने भाव बेचकर बर्बादी के कगार पर पहुंच जाते हैं। ऐसे में गौतम बुद्ध नगर के किसानों की दुर्दशा के लिए प्राधिकरणों के अधिकारी, भूमाफिया, नेता और किसान नेताओं का गठजोड़ जिम्‍मेवार है। यह गठजोड़ नहीं चाहता है कि किसानों की समस्‍याओं का समाधान हो। कारण स्‍पष्‍ट है कि किसानों की समस्‍याओं के कारण ही इनकी दुकानदारी चल रही है। इस गठजोड़ की शक्ति और प्रभाव का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इसके सामने प्रशासन, शासन और सरकार बेबस नजर आ रही हैं।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में एसआईटी जांच रिपोर्ट लीक प्रकरण में भी सामने आया यह गठजोड़

इस गठजोड़ का जीता जागता उदाहरण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में उजागर हुए एसआईटी जांच लीक मामले से भी सामने आया है। दरअसल, नोएडा प्राधिकरण के तत्‍कालीन चैयरमेन डॉ प्रभात कुमार ने साल 2011 में जमीन अधिग्रहण से प्रभावित गांवों की लीजबैक की जांच में भारी अनियमित्‍ता पाई थी। उन्‍होंने शासन स्‍तर पर 533 में से 237 प्रकरणों को बीते साल अक्‍टूबर में खारिज कर दिया था। धरना प्रदर्शन के बाद किसानों की मांग पर लीज बैक मामलों की एक बार फिर से जांच के आदेश दिए गए थे। शासन के आदेश पर बनी एसआईटी ने इन सभी खारिज किए गए 237 मामलों की पुन: जांच शुरू की थी। यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरूणवीर सिंह को इस एसआईटी का अध्‍यक्ष बनाया गया था। एसआईटी को जांच रिपोर्ट शासन को सौंपनी थी। लेकिन इससे पूर्व ही एसआईटी जांच रिपोर्ट लीक होने की खबरे सामने आ गई। कुछ किसानों ने डॉ अरूणवीर सिंह को मामले की शिकायत की। उन्‍होंने मामले की जांच की। जांच सही पाई गई। इस पूरे घालमेल में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसआईटी में शामिल अधिकारी एवं कुछ किसान नेताओं की भूमिका संदिग्‍ध बताई जा रही है। डॉ अरूणवीर सिंह ने मामले की शिकायत शासन स्‍तर पर भी की गई है। उन्‍होंने एसआईटी में शामिल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की संस्‍तुति शासन को भेजी है।

जांच रिपोर्ट शासन को भोजने के लिए प्राधिकरण अधिकारी किसान नेताओं के संग रच रहे हैं साजिश !

एसआईटी जांच रिपोर्ट लीक होने के बाद डॉ अरूणवीर सिंह ने इस रिपोर्ट को शासन को भेजने से इंकार कर दिया है। एसआईटी में शामिल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सदस्‍यों की संदिग्‍ध भूमिका के बाद उन्‍होंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रवि एनजी को इस बारे में सूचित कर दिया है। इस बारे में साक्ष्‍य भी उपलब्‍ध करा दिए गए हैं। संभवत: एक दिन पूर्व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि ने ऐसे अधिकारियों के पर कतरने के लिए अधिकारियों के कार्यक्षेत्र एवं विभागों में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है। बदली हुई परिस्थितियों में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बैठे प्रभावशाली अधिकारी एवं फर्जी साक्ष्‍य पेश कर लीजबैक का लाभ प्राप्‍त करने वाले नेताओं के बीच खलबली गच गई है। विभाग छिनने और पोल खुलने के बाद प्राधिकरण के अधिकारियों और किसान नेताओं का गठजोड़ नई साजिश रच रहा है। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के अनुसार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी और कुछ दूसरे अधिकारी एवं कर्मचारी किसान नेताओं के साथ मिलकर सीईओ के खिलाफ धरना प्रदर्शन कराने की साजिश रचने का आरोप है। यह लोग यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरूणवीर सिंह और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि पर दबाव बनाकर जांच रिपोर्ट को शासन को भेजने का दबाव बना रहे हैं।

किसानों की शिकायत पर सामने आया मामला 

दरअसल, किसानों के एक प्रतिनिधिमण्‍डल ने सोमवार को यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरूणवीर से मुलाकात कर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी तथा दूसरे अधिकारियों और किसान नेताओं द्वारा एसआईटी जांच रिपोर्ट शासन को भेजने के लिए धरना प्रदर्शन का सहारा दबाव बनाने के लिए लेने की साजिश की बात कही है। उन्‍होंने इस संबंध में कुछ साक्ष्‍य भी डॉ अरूणवीर सिंह को सौंपे हैं। किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने अधिकारियों की गाड़ी व अन्य फोटो के साथ साक्ष्य भी दिए हैं। यीडा के सीईओ ने इस बारे में ग्रेनो प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि को भी अवगत कराया है। उन्हें फोटो व वीडियो भी भेज दी है। उन्‍होंने रिपोर्ट को शासन को भेजने से इन्कार कर दिया।

बड़ा सवाल ?

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लीज बैक प्रकरणों की जांच रिपोर्ट लीक होने के बाद बन रहे हालातों पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। क्‍या, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने एसआईटी के सामने जान बूझकर अपात्र लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए कानूनों का उल्‍लंघन करते हुए गलत साक्ष्‍य पेश किए ? जिन लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने एसआईटी के सामने झूठे साक्ष्‍य पेश किए उनके साथ क्‍या इनका निजी हित जुड़ा हुआ है ? क्‍या एसआईटी में शामिल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने जानबूझकर फर्जीवाड़े को अनदेखा करते हुए एसआईटी जांच को भ्रमित करने का प्रयास किया ? किसान नेताओं और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच इतने मधुर संबंधों का आधार क्‍या है ? ग्रेटर नोएडा के अंदर की खबर रखने वाले लोगों की माने तो पूर्व में भी ग्रेटर नोएडा के अधिकारी एवं कर्मचारी अपने काले कारनामों को उजागर करने वाले आला अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए किसान नेताओं के साथ मिलकर धरना एवं प्रदर्शन का सहारा लेते रहे हैं। यदि यह बात सही है तो किसान नेताओं को इसकी एवज में ऐसे अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा किस तरह से संतुष्‍ट किया जाता है ?

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