चोरी के बाद चोर ने लौटाई सौ साल पुरानी अष्ठधातु निर्मित राधा-कृष्ण की कीमती मूर्ति, जानिए चोर पत्र में क्या लिखा ?
Change of heart: After stealing, the thief returned a 100-year-old precious idol of Radha-Krishna, know what the thief wrote in the letter?

Panchayat 24 : आपने शायद ही कभी सुना हो कि किसी चोर ने चोरी की हो और चोरी की गई वस्तु को बाद में सकुशल लौटा दिया हो। इतना ही नहीं, चोर ने बाकायदा माफीनामा लिखकर अपने किए पर पछतावा करते हुए शर्मिंदा भी हुआ हो। शायद आपका जवाब ना में ही होगा। लेकिन ऐसा चमत्कार हुआ है। प्रयागराज के श्रंगेश्वरपुरधाम से लगभग दो किमी दूर स्थित गऊघाट स्थित एक मंदिर से लगभग एक सप्ताह पूर्व चोरी हुई एक सौ साल पुरानी राधा-कृष्ण की अष्ठधातु से निर्मित बेशकीमती मूर्ति चोरी हुई थी। यह मूर्ति एक हाईवे किनारे सकुशल सुरक्षित रखी मिली है। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने मूर्ति को कब्जे में ले लिया। मूर्ति के साथ एक पत्र भी पुलिस को मिला है। पत्र में चोर ने माफीनामा लिखा है। चोर ने लिखा है कि उसने अज्ञानतावश भगवान की मूर्ति को चोरी कर लिया है। मूर्ति को मंदिर के महंत को सौंप दिया गया जिसके बाद पूरे विधि विधान से मूर्ति को मंदिर में स्थापित कर दिया गया।
क्या था पूरा मामला ?
दरअसल, प्रयागराज के श्रंगेश्वरपुरधाम के गऊघाट आश्रम में स्थित मंदिर से आठ दिन पूर्व सौ साल पुरानी राधा-कृष्ण की अष्ठधातु से निर्मित मूर्ति को चोर ने चोरी कर लिया था। चोर ने पूरी घटना को अंजाम देने से पूर्व सीसीटीवी कैमरों को भी बंद कर दिया था। सुबह के पहर में जब महंत पूजा अर्चना के लिए मंदिर पहुंचे तो उन्हें घटना के बारे में पता चला। पुलिस को मामले की सूचना दी गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की लेकिन चोरों का कोई सुराग नहीं लगा था। गऊघाट आश्रम स्थित मंदिर से अष्टधातु की दो मूर्तियां चोरी होने से फलाहारी संत स्वामी जयराम दास आहत हैं। चोरी के बाद उन्होंने फल और जल त्याग दिया है। जानकारी होने पर एसीपी जंगबहादुर यादव व आसपास के ग्रामीण उन्हें मनाने पहुंचे थे, लेकिन वह नहीं माने।
हृदय परिवर्तन या फिर पुलिस का डर ?
कुछ लोग चोर द्वारा चोरी की गई अष्ठधातु निर्मित राधा-कृष्ण की एक सौ साल पुरानी मूर्ति को वापस लौटाने की घटना को चोर का हृदय परिवर्तन कह रहे हैं। कुछ ऐसी ही बात पुलिस को हांडिया कोखराज हाईवे की सर्विस रोड़ पर मिली मूर्ति के साथ मिले पत्र में भी लिखी है। वहीं, कुछ लोग कह रहे हैं कि यह उत्तर प्रदेश पुलिस का भय है। चोर ने बिना परिणाम जाने मंदिर से मूर्ति को चोरी कर लिया था। लेकिन बाद में परिणाम के बारे में विचार कर मूर्ति को लौटा दिया।