रवि काना की गिरफ्तारी और होटल संचालक के बेटे की हत्या की टाइमिंग से बिगड़ी जिले की पारिस्थितिकी
The ecology of the district deteriorated due to the arrest of Ravi Kana and the timing of the murder of the hotel operator's son.

Panchayat 24 :
क्या कबाड़ माफिया रवि काना की गिरफ्तारी और ढाबा संचालक के पुत्र कुणाल की हत्या की घटनाओं में कोई अंतर्संबंध हो सकता है? बिल्कुल अलग-अलग होने के बावजूद इन घटनाओं की टाइमिंग ने कमिश्नरेट पुलिस और जिले कुछ प्रभावशाली मीडियाकर्मियों तथा भाजपा नेताओं को आमने-सामने खड़ा कर दिया है।
हालांकि यह मात्र संयोग ही है कि जिस दिन कबाड़ माफिया रवि काना की पुलिस रिमांड शुरू हुई, ठीक उसी दिन दोपहर को उसी बीटा 2 थाना क्षेत्र से एक ढाबा संचालक के पुत्र कुणाल का अपहरण हो गया। सूत्रों का कहना है कि कमिश्नरेट पुलिस की कार्रवाई शुरू होते ही कबाड़ के काले धंधे में लिप्त रवि काना के थाईलैंड भाग जाने से जिले के कुछ मीडियाकर्मियों और भाजपा के नेताओं ने राहत की सांस ली थी।

माना जा रहा था कि रवि काना और धंधे में सहयोगी उसकी महिला मित्र को थाईलैंड से लाना आसान नहीं होगा। परंतु कमिश्नरेट पुलिस के प्रयासों के चलते चार माह से भी कम समय में रवि काना और उसकी महिला मित्र को थाईलैंड से मंगवाकर गिरफ्तार कर लिया गया। जिला न्यायालय के आदेश पर एक मई से पुलिस ने रवि काना को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की। रिमांड के दौरान रवि काना और उसकी महिला मित्र ने पुलिस को क्या क्या जानकारी दी, उसका कोई अधिकारिक ब्यौरा तो अभी सामने नहीं आया है परंतु जो जानकारी छन छन कर आ रही है, उसके अनुसार रवि काना ने अपने काले धंधे को संरक्षण देने वाले कुछ प्रभावशाली लोगों के नाम पुलिस के सामने उजागर किए हैं।
इनमें पुलिस विभाग में तैनात पूर्व और वर्तमान अधिकारियों के अलावा कुछ प्रभावशाली मीडियाकर्मी तथा भाजपा नेताओं के नाम शामिल बताए गए हैं। रवि काना की गिरफ्तारी और रिमांड से तिलमिलाए मीडियाकर्मी, भाजपा नेता और पुलिस विभाग के अधिकारियों द्वारा पुलिस के विरुद्ध मोर्चेबंदी शुरू कर दी गई है। बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने के जैसा ढाबा संचालक के पुत्र कुणाल का अपहरण और फिर हत्या से मोर्चेबंदी में लगे लोगों को जैसे संजीवनी मिल गई।
बताया जा रहा है कि दोनों चर्चित मामलों को लेकर गौतमबुद्धनगर से लेकर लखनऊ तक उखाड़ पछाड़ का जबरदस्त खेल चल रहा है। अभी तक तैनात रहे दोनों पुलिस आयुक्तों की सफलता और विफलताओं की तुलना की जा रही है। इस बीच कुणाल हत्याकांड में पुलिस के संदेह की सुई मृतक के अति निकट परिजनों पर जाकर अटक गई है। इस हत्याकांड के खुलासे में अजीबोगरीब सच्चाई सामने आ सकती है। उधर रवि काना मामले में उजागर हुए लोगों को कमिश्नरेट पुलिस पूछताछ के लिए तलब करने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में लखनऊ से हरी झंडी मिलने की प्रतीक्षा की जा रही है।